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gaTTubaba
New Year 2025 दिन बदल जाते हैं साल बदल जाते हैं चेहरे ही क्यों ? आइने भी बदल जाते हैं दुनिया बदलने की सोच रखनेवाले क्यों थक हारकर एक दिन ? सबको बदलते बदलते खुद ही बदल जाते हैं हंसने लगे थे सब पत्थर पर की, "ये बदलता क्यों नहीं ?" पहचान मिटाकर दौड़ में वो भी शामिल हुआ कहने लगा , "सब बदल रहे हैं चलो हम भी बदल जाते हैं....!" ©gaTTubaba #Newyear2025 दिन बदल जाते हैं साल बदल जाते हैं चेहरे ही क्यों ? आइने भी बदल जाते हैं दुनिया बदलने की सोच रखनेवाले
#Newyear2025 दिन बदल जाते हैं साल बदल जाते हैं चेहरे ही क्यों ? आइने भी बदल जाते हैं दुनिया बदलने की सोच रखनेवाले
read moreनवनीत ठाकुर
न जाने क्यों उन्हें मेरा साथ गवारा लगने लगा। हमसे हुए मुखातिब, तो हमारा साथ उन्हें जन्नत लगा। हुआ है सामना मेरा आज जमाने की जिल्लत से, हुए है वो भी रूबरू अपनी जिंदगी से हाल ही में, आज उन्होंने जन्नत को भूल जाना ही बेहतर समझा। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर न जाने क्यों उन्हें मेरा साथ गवारा लगने लगा हमसे हुए मुखातिब, तो हमारा साथ उन्हें जन्नत लगा, हुआ है सामना मेरा आज जमाने की जिल्
#नवनीतठाकुर न जाने क्यों उन्हें मेरा साथ गवारा लगने लगा हमसे हुए मुखातिब, तो हमारा साथ उन्हें जन्नत लगा, हुआ है सामना मेरा आज जमाने की जिल्
read moreKulvant Kumar
White "एक साधारण सा इंसान भी,जब चाहत के दायरे में आता है तो वो भी मूल्यवान बन जाता है " ©Kulvant Kumar #love_story "एक साधारण सा इंसान भी,जब चाहत के दायरे में आता है तो वो भी मूल्यवान बन जाता है "
#love_story "एक साधारण सा इंसान भी,जब चाहत के दायरे में आता है तो वो भी मूल्यवान बन जाता है "
read moreनवनीत ठाकुर
इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे काग़ज़ पर गिरा, पानी का असर निकला। अरमान सजे थे जिनसे रोशन मेरी दुनिया, वो चिराग़ जला लेकिन हवा का असर निकला। मिलन की घड़ी आई तो जुदाई के साए थे, जिसे चाहा था अपना, वो भी बेख़बर निकला। ख़्वाबों की हक़ीक़त में जो देखा था कभी हमने, आईना दिखाया तो हर शक्ल बदल निकला। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे का
#नवनीतठाकुर इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे का
read moreबेजुबान शायर shivkumar
Unsplash // खुद को निखार लेना // छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है तप कर आग में हम सोना बन ही कर आते हैं मजबूरी जब ,अपने सर पे जिम्मेदारी आई तो समझ आ आती है इस जिंदगी की दौड़ भी यु बढ़ती ही जाती है वो अनाड़ी भी एक खिलाड़ी बन जाते हैं जब गिर-गिर कर और ठोकर पर ठोकर यु खाते हैं बारिश में भीग कर कड़ी धूप में यु जल कर भी वो बढ़ जाते हैं न भाग कर ,अपने मुश्किलों से लड़ कर वो जीत कर दिखाते हैं वो भी अपने वक्त के साथ साथ चलना भी सीख आता है उसे अपने मेहनत का फल लेना भी आता है अपने इन हाथों की लकीरों को भी बदल देते हैं मेहनत करने वाले तूफान का रुख भी यु मोड़ देते हैं ये दुनिया रोकती ही रहेगी मगर तुम चलते ही रहना न सुनना किसी की बात को तुम अपनी मंजिल को ही देखना कर हौसला बुलंद तू , तुमने तो इतिहास रचा कदम बड़ा हंसने वालो को एक दिन चुप करा देना , तुम इतिहास बना देना ©बेजुबान शायर shivkumar छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है तप कर आग
छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है तप कर आग
read moreनवनीत ठाकुर
दुश्मनी का सफ़र भले ही छोटा हो, इंसानियत की राह पर चलना बड़ा होता है। जो दुश्मन था कभी, वो अब रास्ता दिखा सकता है, दिलों में घावों को भी मोहब्बत भर सकता है। अक्सर जख्मों से ही नई ताकत मिलती है, जो कभी टूटा था, वही फिर से उठ सकता है। दुश्मनी की दीवार कब तक खड़ी रहेगी, सच्ची दोस्ती की हवाओं में वो भी गिर सकेंगी। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर दुश्मनी का सफ़र भले ही छोटा हो, इंसानियत की राह पर चलना बड़ा होता है। जो दुश्मन था कभी, वो अब रास्ता दिखा सकता है, दिलों में घाव
#नवनीतठाकुर दुश्मनी का सफ़र भले ही छोटा हो, इंसानियत की राह पर चलना बड़ा होता है। जो दुश्मन था कभी, वो अब रास्ता दिखा सकता है, दिलों में घाव
read moreनवनीत ठाकुर
Unsplash लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके, ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं। शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़, वो भी बुझते-बुझते बस एक निशानी हो गईं। इश्क़ में लिखते रहे हम हज़ारों किस्से, मगर सच्चाई में वो सब बेमानी हो गईं। वो कसमें, वो वादे, वो लम्हों की गहराइयाँ, अब किताबों की तरह बंद कहानी हो गईं। जो हमने देखा था कभी चाँद की रोशनी में, वो उम्मीदें भी अब धुंधली कहानी हो गईं। जिनसे रोशन था कभी हर एक कोना-ए-दिल, वो रोशनी भी अंधेरों की मेहरबानी हो गईं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके, ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं। शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़, वो भी
#नवनीतठाकुर लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके, ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं। शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़, वो भी
read moreनवनीत ठाकुर
दरवाज़ों पर नाम बदलते रहेंगे सदा, आज मेरा है, कल तेरा फ़साना होगा। मिट्टी का हर शख़्स यहां मुसाफ़िर पुराना होगा, हर सफर की मंज़िल यही ठिकाना होगा।। वक़्त वक्त की बात है, जो बुलंद था, वो भी गिराना होगा। फलक के नीचे सबका मुक़द्दर एक सा, हर शख़्स को आख़िर मिट जाना होगा। जिनके कदमों से ज़माना कांपता था कभी, उनका निशां भी धूल में मिल जाना होगा। हर खुशी, हर ग़म, बस लम्हों की बात है, इस खेल में हर किरदार बदल जाना होगा। ©नवनीत ठाकुर #दरवाज़ों पर नाम बदलते रहेंगे सदा, आज मेरा है, कल तेरा फ़साना होगा। मिट्टी का हर शख़्स यहां मुसाफ़िर पुराना होगा, हर सफर की मंज़िल यही ठिकान
#दरवाज़ों पर नाम बदलते रहेंगे सदा, आज मेरा है, कल तेरा फ़साना होगा। मिट्टी का हर शख़्स यहां मुसाफ़िर पुराना होगा, हर सफर की मंज़िल यही ठिकान
read moreharikesh
White ✍️ 6 वी 🙏 अभी और कर तू 1. इस रंग बिरंगी दुनियां में तू भी अपना रंग जमा उढ़ जाग अपने अंधियारे से खुद को नईं राह दिखा आँखें खोल, देख और कुछ कर तू अभी और और थोड़ा और कर तू 2. तू खुद में झाँक जरा, और खुद पर अनुसंधान कर यहां जो खुद से जागा, उसने नया दिखाया आविष्कार यहां मन बिखरा तेरा, इक्कटा कर तू अभी और कर तू 3. मन बिखरा, समय निकला, कभी खुद को पूछा, क्या किया साथ तेरे जो आज है कल कहां, पाजेब देख, क्या जमा किया कुछ नही, कुछ नही, फिर क्या तू अभी और कर तू 4. जिसने कल किया, आज उसी का तो चर्चा है तू इंशा वो भी इंशा, जिसका दरो दीवार पे पर्चा है खुद से, खुद के, समय से छल न कर तू अभी और और थोड़ा और कर तू ✍️ ©harikesh अभी और कर तू 1. इस रंग बिरंगी दुनियां में तू भी अपना रंग जमा उढ़ जाग अपने अंधियारे से खुद को नईं राह दिखा आँखें खोल, देख और कुछ कर तू अभी
अभी और कर तू 1. इस रंग बिरंगी दुनियां में तू भी अपना रंग जमा उढ़ जाग अपने अंधियारे से खुद को नईं राह दिखा आँखें खोल, देख और कुछ कर तू अभी
read moreAnukaran
White लोग कहते हैं फर्क पड़ता है क्या? जी हाँ ज़नाब फर्क पड़ता है, चाहे वो रिश्ता इंसानियत का हो या दोस्ती का, जब वो कभी मुश्किल में हो, वो भी अपने आप को वही पाता है, सच्चा दोस्त उसे, उस मुश्किल की निकालने के लिये जी तोड़ कोशिश करता है, उस मुश्किल भरे पल को अपने अंदर महशूस करता है। और आप ज़नाब कहते हैं फर्क पड़ता है क्या? हाँ बहुत फर्क पड़ता है। ©Anukaran #good_night लोग कहते हैं फर्क पड़ता है क्या? जी हाँ ज़नाब फर्क पड़ता है, चाहे वो रिश्ता इंसानियत का हो या दोस्ती का, जब वो कभी मुश्किल में हो,
#good_night लोग कहते हैं फर्क पड़ता है क्या? जी हाँ ज़नाब फर्क पड़ता है, चाहे वो रिश्ता इंसानियत का हो या दोस्ती का, जब वो कभी मुश्किल में हो,
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