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Ganesh joshi
Village Life भावनाओं का प्रेम सागर चारों तरफ व्यय से भरा हुआ है। -थॉमस रॉबर्ट डेवर ©Ganesh joshi #villagelife भावनाओं का प्रेम सागर चारों तरफ व्यय से भरा हुआ है। -थॉमस रॉबर्ट डेवर #Love #Prem #pyaar #SAD #sad_feeling
Sunil itawadiya
कैप्शन पूरा पढ़ना बेहद आनंद आएगा 😊😊😊😊😊😊😝😊😊😊 एक आदमी अपने घर रोबोट लेकर आया उस रोबोट का काम था जो भी झूठ बोलेगा उसमें एक थप्पड़ लगाएगा :1 बेटा-पापा आज मैं स्कूल नहीं जाऊंगा मेरे पेट में
Naresh Chandra
गतांक से आगे कृपया अवलोकन करें 🙏🙏🙏 ©Naresh Chandra अब देखे हिन्दुओ की लाशों पर कैसे व्यापार हुआ* तब कांग्रेस ने उन लाशों को निकालने के लिये एक विज्ञप्ति निकाली *ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग प्राइवेट ल
AhMeD RaZa QurEsHi
■■■■बचपन की यादें■■■■ ____________________________ आज की बारिश ने मुझे अपना बचपन याद दिला दिया क्या खूबसूरत वक्त था ना बचपन का उस वक्त नहाने पर बीमार नही होते थे और आज थोड़ा भीगने पर बीमार हो जाते है,बचपन मे दोस्तो के साथ खूब बारिश के बहते बहाव में कागज़ की नाव चलाया करते थे और फिर उसी नाव में पानी भरता देखते थे कि कब ये नाव डूबती है और किसकी नाव ज्यादा आगे तक जाती है साईकल के पुराने टायर से दौड़ लगाते थे, कांच की गोलियों से खूब अलग अलग तरह के खेल खेला करते थे जिन्हें अंचिया कहते थे इनसे गोला, गिच, नक्का-चौक में साफ्कुच,धड़का,सीध,गुड़काश वगैरह जैक का इस्तेमाल करते थे जीतने के लिए। इसके अलावा लट्टू, पोसम्भा-भई-पोसम्भा, लोहा-लकड़ी, धरती-भाटा, गिल्ली-डंडा, भागम-भाग, सितोलिया, पतंग लूटना, केसीट की रील निकलना, चिड़िया उड़, राजा रानी चोर सिपाही, आसपास-थप्पी, छापे, चकन-पे, चोर-पुलिस, घर-घर, बर्फी, निसरणी,गुलाम-लड़की, कबड्डी, कुच्चा-दड़ी, माल-दड़ी ओर कही खेल खेलते थे बहुत आनंद भरा बचपन था हमारा। गुड़िया के बाल, संतरे, खोपरे ओर काले-नमक व ज़ीरे की गोलियां, इमली, अठन्नी ओर रुपये वाली पेप्सी , भोगले जिन्हें फिंगर कहते है आजकल, इसके अलावा आमलिकंठे, पारलेजी-किसमी, पारले जी बिस्किट, इनाम वाली चूरन ओर बहुत कुछ जो शायद अब यादों से भी ओझल हो गया है क्या खूबसूरत था हमारा बचपन। बारिश के बाद मेंढक फ़ूडकलो ओर मकोड़ो का आतंक, घास में चलती मखमल की डोकरी, ओर साँप की छतरी, सांप की मौसी ओर बहुत से टिड्डे जिन्हें अल्लाह का घोड़ा कहते थे कितना खूबसूरत था हमारा बचपन, वो रूठने पर कट्टी हो जाना और वापस मनाए पर अब्बा हो जाना भी याद है, कितना आसान था ना रूठो को मना लेना काश आज भी लोग इसी अब्बा से फिर एक हो जाते पर अब ऐसा नही होता, अफसोस बचपन हमसे रुखसत हो गया। पेपर से कितने तरह के खिलौने बनाया करते थे हम हवाई जहाज़, नाव, गुलाब का फूल, मेंढक, हवा में उड़ने वाली फिरकी, ओर बहुत कुछ जो शायद अब ख्यालो में
Deep Kush
“सफ़र” - ‘एक प्रेम कथा' उठ जा आलसी कितना सोएगा .. फ़ोन के बार बार बजते अलार्म से तरूण की नींद खुली । (तरुण ने अपनी माता जी की आवाज़ को ही अपना अलार्म टोन सेट कर रखा
Kamaal Husain
कोशिश और सिर्फ कोशिश एक हैरतअंगेज दास्ताँ पढें कैप्शन में कोशिश का अंदाजा शायद लग जाए नमस्कार लेखकों।🌸 Collab करें आज इस पर और अपने ख्याल व्यक्त करें। Check out our pinned post 🎊 #rzpartners #rzhindiquest238 #yqdidi #yqr