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Jha Manish 002
Suditi Jha
मेरे कंधे पर बंदूक रख के चलाना छोड़ दो साहब, हर बार खुद की गलती पर मुझे गुनहगार बनाना छोड़ दो साहब । । 🙏 खुद की गलतियों पर किसी और को गुनहगार बनबाना छोड़ दो।। #qsstichonpic2049 #request #yqdidi #game #होशियारी
Divyanshu Pathak
भूख न मेटे मेड़तो न मेटे नागौर। रजवट भूख अनौखडी मरयाँ मिटे चित्तोड़।। 23 अक्टूबर 1567 ई. में अक़बर ने चित्तोड़ पर हमला कर दिया कई माह तक संघर्ष चला 'जयमल' और पत्ता ने मुग़लों के छक्के छुड़ा दिए।अक़बर ने बारूद की बन्दूक से जयमल को घायल कर दिया लेकिन पत्ता ने उनको अपने कन्धे पर बिठाया और युद्ध क्षेत्र में चारों हाथ से तलवार चलाते शाहिद हो गए तब जाकर 25 फरबरी 1568 को अक़बर ने चित्तोड़ पर अधिकार करपाया। कहते हैं कि अक़बर "जयमल और पत्ता" की वीरता से इतना प्रभावित हुआ कि उनकी गजारूढ़ प्रतिमायें बनबाकर आगरा किले के मुख्यद्वार पर लगवाईं जिनको देखन
Divyanshu Pathak
हर हाल में जीने की आदत डालिए जीवन में परिवर्तन के लिए जीवन की समृद्धि के लिए दूसरों की मदद करो स्वार्थ के बग़ैर मिलना जुलना सीखिये फ़ायदे के बग़ैर जिंदगी जीना सीखिये दिखावे के बग़ैर मुस्कुराना सीखिये सेल्फ़ी के बग़ैर ! इसीलिए कहता हूँ मुस्कुराओ मुस्कुराओ मुस्कुराओ क्योंकि जिंदा आदमी मुस्कुराता है मुर्दे कभी नहीं मुस्कुराते ! युवाओं से कहता हूँ हाथ में मोबाइल हो न हो चहरे पे मुस्कुराहट होनी चाहिए स्मार्ट मोबाइल से नही बनते स्माइल से स्मार्ट जरूर लगते हैं ! सुप्रभात। दिखावे की ज़िन्दगी, ज़िन्दगी नहीं होती। #दिखावामतकरो #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi.......जी 😜😝🍹🍉😅 🐤:
✍ अमितेश निषाद
अब हमहू बनब नेता जी भौकाल रही खूब टाइट जी खद्दर पहिर के खूब रोब छाड़ब कुछ लोगवा सहमल कुछ रही डेराइल जी पाँच साल त खूब चांदी काटब कई पुस्त के जिनगी देहब बनाई जी आगे-पीछे नवका लवंडी न के त रेलम रेला हमसे बड़का कुल कहिये नमस्कार भाई जी कुछ काम पड़ जाई अगर केहू के अरे आव सगरो कमवा हमहि कराईब जी एहि में त खूब कमाई होई अरे भाई एतना में कइसे होई जी आई चुनाव फिर त नारा लागी और कहब हम ही क्रप्सन हटाइब जी सबके गोड़ ध के गिर जाइब हम अरे हम नेता ना हई राउर बेटा जी ✍️ अमितेश निषाद ( सुमीत ) ०६/०६/२०१९ #NojotoQuote अब हमहू बनब नेता जी भौकाल रही खूब टाइट जी खद्दर पहिर के खूब रोब छाड़ब कुछ लोगवा सहमल कुछ रही डेराइल जी पाँच साल त खूब चांदी काटब कई पुस्त क
#maxicandragon
#आंदोलन ये आंदोलन क्यो आते है कुछ नेता तो कुछ बापू कुछ भैसासुर बन जाते है डांडी आई GandHi आया भारत छोडो ने बोस छुडाया असहयोग के सहयोग से, जलियावाला कांड कराया जेपी से निकला था लालू, बेटा खोजे सोने का आलू लोकपाल का कुंभकर्ण है सोता, भैसासुर बनबैठा एकलौता अब जागे कुछ किसान वाले वाड्रा पप्पू बडे रखवाले मुद्दा बस समझ यही है आता हिन्दुस्तान इन्हे नही भाता लूट खसूट कुछ भी करके देश के टुकडे इन्हे कराना छोटे छोटे देश बनाकर शरीया तंत्र स्थापित करवाना रुको जरा संभल के चलना हिन्द जमी उपजाऊ है इसे फकीर तुम न समझना ये तुमसे बडा कसाई है ये कैसी जिद मचाई है किस कारण ये भीड लगाई है खेत है तो Khaliaan चाहिए कौन है जिन्हे khalistan चाहिए कोई नही, ये जयचंद है ज्यादा नही बस चंद है ढूंढ ढूंढ इन्हें मार गिराओ भारत माँ और संस्कृति बताओ #SadharanManushya ©#maxicandragon #आंदोलन ये आंदोलन क्यो आते है कुछ नेता तो कुछ बापू कुछ भैसासुर बन जाते है डांडी आई GandHi आया भारत छोडो ने बोस छुडाया असहयोग के सहयोग से,
Rupam Jha
कतय हेरायल ढेंगा-पानी आ कतय चोरा-नुकी क खेल, कतय गेल ओ धप्पा-धुप्पी आ कतय हेरायल पोसम्पा क रेल, कबड्डीयो नै खेलै आब बच्चा,इ कोन कलजुग भेल, फोने म खेल ताकी लेलक ,छूटल नेना-भुटका क सँझुका मेल, कतय चली गेल माटिक चूल्हा परहक भोजन-भात, ओय भोज्य क वर्णन की करब,अहा!गजबे होय छल स्वाद, चिनबारक चूल्हा-चेकी बिला गेल,भेल गैस-सिलिंडरक साथ, विलुप्त भ गेल सबटा संस्कृति,उफ! कतेक नमहर छैक आधुनिकताक हाथ, डहि गेल सबटा खर क घर,बदैल गेल देहातक हालात, बड़का-बड़का इमारत बनि गेल,बढ़ि गेल सबहक आब बिसात, नै जैत अइछ आब कियो कलम-गाछी,नै रहल ओ पहुलका बात, बूढ़-पुराण सँ लय बच्चा-बुदरुक सब अपने मँ मग्न रहै छैथ,केने रहै छैथ सब क कात, कोनाक नेनाक हड्डी मजगूत हेतै,जँ नै वो अपन मैट पर लोड़ीयैत, नून-रोटी क जगह पिज़्ज़ा-बर्गर ल लेलकै,स्वास्थ्य पर होयत अछि वज्रनिपात, कंसारक चूड़ा-मुरही निपत्ता भेल,फास्ट-फूड लगौने अछि सब पर घात, खेती-पातीं चौपट भ गेल,बदैल गेल सबटा हालात, शहर बनेता गांव क सब मिल,नै जानी की छैन ग्रामीणक जज्बात, शहर बनबैक सपना त नहिये पुरतैन,धोता गाम सँ सेहो हाथ!! गामक वर्णन की करब गाम त होइते अछि अमूल्य(ओना प्रयास केने छी अयि स पहुलका पोस्ट म गांव क वर्णित करै क)मुदा आब बहुत तेजी सँ बहुत किछु बदैल रहल