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Stories related to लिखीत चुटकले

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Ankit Bahuguna

चटपटे चुटकले

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टीचर क्लास में पढ़ा रही थी
बच्चों आज मैं तुमको अंग्रेजी सिखाऊंगी

टीचर – पप्पू तू खड़ा हो जा

पप्पू – जी मैडम

टीचर – बता “राम मुझे प्यार नहीं करता है”
इसको इंग्लिश में सेंटेंस बनाओ

पप्पू – राम पागल है
एक बार हमें मौका दो चटपटे चुटकले

Ankit Bahuguna

चटपटे चुटकले #Comedy

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इंतजार की घडी Thoda Intjaar Ka Maja Lijiye

प्रेमिका – मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ

प्रेमी – सॉरी जानू थोड़ा लेट हो गया था

प्रेमिका – तुम्हें क्या पता कि

इंतजार की घडी कितनी लंबी होती है

प्रेमी – तो दूसरी कंपनी की घड़ी खरीद लो ना जानू
ब्रेकअप  चटपटे चुटकले

Tera Lover Boy

ये बात लिखीत मे ले लो #writer #Loverboyrahul #विचार

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Parul Sharma

चुटकले चुकता हो गये ठहाकों से पर कवितायें ऋण छोड़ गयी है पारुल शर्मा #diary

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चुटकले चुकता हो गये ठहाकों से
पर कवितायें ऋण छोड़ गयी है

©Parul Sharma चुटकले चुकता हो गये ठहाकों से
पर कवितायें ऋण छोड़ गयी है
             पारुल शर्मा
#diary

Kulbhushan Arora

बचपन की एक याद एक था वो भी ज़माना, महीना भर इक,एक पैसा बचा, इक्कठा करते थे चार आना। (मतलब25पैसे) फिर किसी इतवार की शाम किया जाता दावत का इंत #yqquotes #yqकुलभूषणदीप #yqबचपन #yqबचपन_के_दिन

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 बचपन की एक याद
एक था वो भी ज़माना,
महीना भर इक,एक पैसा बचा,
इक्कठा करते थे चार आना।
(मतलब25पैसे)
फिर किसी इतवार की शाम
किया जाता दावत का इंत

Kulbhushan Arora

बचपन की एक याद एक था वो भी ज़माना, महीना भर इक,एक पैसा बचा, इक्कठा करते थे चार आना। (मतलब25पैसे) फिर किसी इतवार की शाम किया जाता दावत का इंत #yqकुलभूषणदीप

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बचपन की यादें बचपन की एक याद
एक था वो भी ज़माना,
महीना भर इक,एक पैसा बचा,
इक्कठा करते थे चार आना।
(मतलब25पैसे)
फिर किसी इतवार की शाम
किया जाता दावत का इंत

Kulbhushan Arora

Nits Sparkles ✨ एक था वो भी ज़माना, महीना भर इक,एक पैसा बचा, इक्कठा करते थे चार आना। (मतलब25पैसे) फिर किसी इतवार की शाम किया जाता दावत का इ #yqकुलभूषणदीप #yqबचपन #yqबाल_दिवस

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एक था बचपन
हमारा...,
😂😂😍😍 Nits Sparkles ✨ 
एक था वो भी ज़माना,
महीना भर इक,एक पैसा बचा,
इक्कठा करते थे चार आना।
(मतलब25पैसे)
फिर किसी इतवार की शाम
किया जाता दावत का इ

ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

कवि हद्रय बहुत ही सुँदर होता है--- कवि हमेशा मानव प्रेमी होता है,,वह किसी राष्ट्र विशेष का नही होता है जब काव्यिक मंच पर""""एक साथ (अकबर त #nojotophoto

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 कवि हद्रय बहुत ही सुँदर होता है---
कवि  हमेशा मानव प्रेमी होता है,,वह किसी राष्ट्र विशेष का नही होता है

जब काव्यिक मंच पर""""एक साथ (अकबर त

JALAJ KUMAR RATHOUR

पार्ट -2 1 जुलाई का दिन था मैं अपने सभी दोस्तों से मिला पर नजर उसी को ढुंढ रही थी मगर वो कहीं दिख ही नही रही थी मैंने उसकी सहेली से पूछा कि #जलज

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पार्ट -2
1 जुलाई  का दिन था मैं अपने सभी दोस्तों से मिला पर नजर उसी को ढुंढ रही थी मगर वो कहीं दिख ही नही रही थी मैंने उसकी सहेली से पूछा कि बाती  क्यों नही आई तो उसने बताया की उसके पापा के साथ चली गयी वो अब ,पहले यहाँ पर अपनी नानी के यहाँ रहती थी । जिनका देहांत हो गया पिछले महीने, मैं उस दिन उदास था और कई दिन तक रहा जब क्लास चार का रिजल्ट  मिला तो मै क्लास मे प्रथम आया था और वो सेकंड, किसी को विश्वास नही हो रहा था और मेरे दोस्त मुझे ताने दे रहे थे हाँ उस दिन एक चीज का पता चला की वो थी ही ऐसी जो दुसरों के लिए जीती थी उस दिन के बाद मै  कभी पीछे सीट पर नही बैठा, क्युकी मैं चाहता था कि उसकी मेहनत जाया ना जाए  तभी उसकी दुसरी सहेली ने उसकी एक चिट्ठी दी उसमे लिखा था.दीपक. तुम बहुत अच्छे हो तुमने मुझे एक अच्छा दोस्त दिया जिसने मुझे हंसना सिखाया, मुझे हिंदी के गाने और चुटकले सिखाये, तुम्हारा शुक्रिया.दीपक  पता नही अब मै कब मिलूँ तुमसे पर यार एक चीज याद रखना की.दीपक और बाती का साथ सिर्फ इतना ही होता है.बाती जमाने के सामने दीपक को रोशन कर देती है उसके बाद स्वयं जल जाती है दादी अक्सर ये बात बताती हैं
तुम्हारी दोस्त "बाती ठाकुर"
उस दिन मेरे पास सिर्फ तीन चीजे थी एक अंग्रेजी वाले पन्ने पर जेल पेन से लिखी और उसके आँसू के बूंदो से भीगी उसकी चिट्ठी , दूसरा मेरी और उसकी वजीफा वाली फोटो से बनी फोटो फ्रेम और उसके साथ  बीती यादें..... 
......... #जलज राठौर पार्ट -2
1 जुलाई  का दिन था मैं अपने सभी दोस्तों से मिला पर नजर उसी को ढुंढ रही थी मगर वो कहीं दिख ही नही रही थी मैंने उसकी सहेली से पूछा कि

Harshita Dawar

सीमित सीमाएं सीमित हों सकती है पर औरत किसी सीमा की मोहताज नहीं हैं सांसारिक बंधनों से मुक्त हों सकती हैं लांघ लेती है घर की दहलीज अकेनो रूप #RESPECT #yqbaba #yqdidi

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सीमित
सीमाएं सीमित हों सकती है
पर औरत किसी सीमा की मोहताज नहीं हैं
सांसारिक बंधनों से मुक्त हों सकती हैं
लांघ लेती है घर की दहलीज अकेनो रूप में ढल जाती है  
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Insta@dawarharshita सीमित
सीमाएं सीमित हों सकती है
पर औरत किसी सीमा की मोहताज नहीं हैं
सांसारिक बंधनों से मुक्त हों सकती हैं
लांघ लेती है घर की दहलीज अकेनो रूप
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