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Poetry with Avdhesh Kanojia

#आओ_दीप_जलाएँ मन में प्रेम का दीप जलाकर अंधकार को भगाएँ। स्नेह पुष्प वर्षण करके सबके मन हर्षाएँ।। पूजन कर लक्ष्मी गणेश अपने भाग्य जगाएँ।

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आओ दीप जलायें मन में प्रेम का दीप जलाकर
अंधकार को भगाएँ।
स्नेह पुष्प वर्षण करके
सबके मन हर्षाएँ।।
पूजन कर लक्ष्मी गणेश
अपने भाग्य जगाएँ।
घनी अमावस रात्रि में
आओ दीप जलाएँ।।

✍️अवधेश कनौजिया© #आओ_दीप_जलाएँ

मन में प्रेम का दीप जलाकर
अंधकार को भगाएँ।
स्नेह पुष्प वर्षण करके
सबके मन हर्षाएँ।।
पूजन कर लक्ष्मी गणेश
अपने भाग्य जगाएँ।

Bharat Bhushan pathak

#SaraswatiPuja ज्ञानदायिनी मातु विमले,शारद माँ हमको वर दे। मूढ़ बहुत हैं हम सब माते,वरदहस्त हमपर धर दे।। श्वेतपद्म पर रहने वाली,अमृत ज्ञान #Poetry

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AB

Om Nmh Shiway____🍁🍁🦋🍁🍁 पतझड़ में अक्सर पते शाखों से निकल आते हैं ,,,, फिर बसंत आती है,,, समय हर किसी का आ ही जाता है,,,,, पर कुछ चीजें हम #MorningThoughts #yourquote #titliyan #alpanas #scareofdark #chn_chn

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Always bring your own sunshine... 
Don't matter whether the weather is.... !!

Good Morning... 
Have a Great Day.... !! Om Nmh Shiway____🍁🍁🦋🍁🍁


पतझड़ में अक्सर पते शाखों से निकल आते हैं ,,,, 
फिर बसंत आती है,,, 
समय हर किसी का आ ही जाता है,,,,,
पर कुछ चीजें हम

AB

मृदा नहीं देह है यह,. भू - पटल पर बिछी हुई श्वास इसमें भी निःसंदेह ही है और है निरंतर ही, अपरदित होता #day #soilerosion #5dec_2021

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....... 

मृदा नहीं देह है यह,.
भू - पटल पर बिछी हुई
श्वास इसमें भी निःसंदेह ही है
और है निरंतर ही,

अपरदित होता

प्रिन्शु लोकेश तिवारी

*_______कविता______* *देखो सखी मधुवर्षण हो रही।* *(प्रिन्शु लोकेश)* अंबर में मेघों को देखो लिए हाथ में प्

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Mumbai Rains *_______कविता______*
*देखो सखी मधुवर्षण हो रही।*
                                   *(प्रिन्शु लोकेश)*
अंबर में मेघों को देखो
लिए हाथ में प्याले हैं।
रवि,शशि दोनों दिखते छिपते 
सब पी कर मतवाले हैं।

सभी देव पीकर लड़खाते 
देखो कैसी गर्जन हो रही।
देखो सखी मधुवर्षण हो रही।

अंबर में ज्यों लुढ़का प्याला
तरु पतिका से मदिरा टपके।
वर्षों से आश लगाऐ बैठा
प्यासा चातक रस को झपके।

रवि के ताप से तपती वसुधा
हिमरस पाते प्रमुदित हो गई।
तिमिर गेह में पडीं जो बीजें
मधुरस पाते हर्षित हो गई।

पी कर खड़े हुए नवतरु
नशे में डाली चरमर हो रही।
देखो सखी मधुवर्षण हो रही।

हुआ आगमन निज प्रियतम का
एक बूंद अधरों में पड़ गई।
कौन प्रियतमा किसकी प्रियतम
नशे में जाने क्या-क्या कह गई।

नशे में नैन हुए अंगूरी
काम में वो तो शंकर हो रही।
देखो सखी मधुवर्षण हो रही।

रूप अप्सरा चली गई फिर
पूर्ण रूप से गलगल हो कर।
वसुधा का आंचल फिर देखा
दादुर बोले गदगद हो कर।

किसी का प्याला चटका नभ पर
देखो कैसी लपकन हो रही।
देखो सखी मधुवर्षण हो रही।

इन मेघों में न जाने
कितना मदिरा भरा हुआ है।
हिमशिखरों से हिम भी लाते
जो मदिरा में पड़ा हुआ है।

देहगुहा में भर लो रसना
अबकी अद्भुत वर्षण हो रही।
देखो सखी मधुवर्षण हो रही।

निशा निशा में पीती ही थी
आज उषा में आई है।
तिमिर उषा में मानों ऐसे
निशा निशा ही छाई है।

निशा उषा सब साथ मे पीते
जाने कैसे दर्शन हो रही।
देखो सखी मधुवर्षण हो रही।
*_प्रिन्शु लोकेश* *_______कविता______*
*देखो सखी मधुवर्षण हो रही।*
                                   *(प्रिन्शु लोकेश)*
अंबर में मेघों को देखो
लिए हाथ में प्

AB

अरसा ही हो गया है तुमसे मिले तुम्हारे हज़ार चाहने पर भी मैं कभी नहीं मिलती कारण मेरी व्यवस्ता है और व्यवस्ता के बाद बचता समय मेरा स्वंय क

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     अरसा ही हो गया है तुमसे मिले तुम्हारे हज़ार चाहने पर भी मैं कभी नहीं मिलती कारण मेरी व्यवस्ता है और व्यवस्ता के बाद बचता समय मेरा स्वंय क

AB

तुम्हें पता है तुम्हारे मन की चंचलता और ह्रदय की सुंदरता से मेरी पूरी देह में बस चुकी है, ठीक वैसे जैसे बनारस के घाट पर अटका घर लौटने पर

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( अनुशीर्षक ) 
तुम्हें पता है तुम्हारे मन की चंचलता 
और ह्रदय की सुंदरता से मेरी
पूरी देह में बस चुकी है,

ठीक वैसे जैसे बनारस के घाट पर अटका
घर लौटने पर

Prabhat Raghuvanshi

कभी कहीं पर किसी सफर में उदास लम्हों की रहगुजर में मैं अपने मुस्तकबिल से खौफ खाकर और अपनी हालत से तंग आकर पलटकर जब भी मैं अपनी माजी को देखता #yours

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3 months 1 day 14 hours 13 minutes
Or
92 days 14 hours 13 minutes
Or
2,222 hours 
Or
1,33,333 minutes
Or
8,000,000 seconds

=
1,000,000 steps 👣 
{ fastest 1 million Step of me }
****************************
आखरी स्याही 
in Caption कभी कहीं पर किसी सफर में
उदास लम्हों की रहगुजर में
मैं अपने मुस्तकबिल से खौफ खाकर
और अपनी हालत से तंग आकर
पलटकर जब भी मैं अपनी माजी को देखता
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