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Parasram Arora
आदि काल से बहती आई है ये नदिया. इसीके आँगन मे मैं जन्मा खेला कूदा बड़ा हुआ न जाने कहाँ है इसका स्त्रोत और कहा होगा इसका. अंत सुना है सागर मे ही है कहीं इसका विश्राम स्थल है इस नदी से मैं इसकी गाथा इसीकी जुबानी सुन चुका हूँ और अपनी आप बीती भी इससे साझा कर चुका हूँ कितना करता हूँ मैं प्यार इससे कि इसके सांध्य दर्शन मे मैं सब कुछ भूल जांता हूँऔर तभी दो हाथ मौन समाधि मे इसके लिए स्वतः जुड़ जाते है और ये नदी भी मेरा मौन प्रेम और समर्पण स्वीकार कर लेती है मेरी भी अभीप्सा है. इसके विश्राम स्थल तक मैं इसका हमसफऱ बना रहूँ और इसे. नदी से सागर बनता हुआ देख सकूँ और अच्छा तो यही होगा कि मैं भी इसके साथ ही जल समाधी लूँ ©Parasram Arora जल समाधि
Arora PR
वो सागर उस उफनती नदी को. अपनी ओर आते देख अपनी किस्मत पर नाज़ कर रहा है. वो खुश है कि उस नदी को जल समाधि दिलाने के लिये. ईश्वर ने उसे चुना है ©Arora PR जल समाधि
KrissWrites
उर्मिला -लक्ष्मण नई नवेली आई थी मै जनक की दूसरी पुत्री थी मै अपने उन्हे जी भरके देखना चाह्ती थी मै लेकिन अब उन्हे जाना था 14 वर्षो के लिए वनवास और मुझे काटना था विरह की आग अपने प्रेम को दबाकर हमे अब पत्नी धर्म निभाना था उन्हे करनी थी भईया राम और भाभी सीता की सेवा और मुझे करना था उनकी वापिसी का इंतजार मै भी तो जाना चाह्ती थी वन मुझे भी क्यो नही ले गए पिया तुम भईया-भाभी की सेवा करते मै तुम्हारी कर लेती मै भी तो जाना चाहती थी वन मुझे क्यो नही ले गए लक्ष्मण राम कहलाए सीया-वर तुम क्यो नही कहलाए उर्मिला-वर लक्ष्मण तुम समझते हो मै 14 वर्षो से सो रही थी नही मै तुम्हारी विरह की याद मे जल रही थी लक्ष्मण सबने सीता-राम कहा किसी ने उर्मिला-लक्ष्मण क्यो नही कहा लक्ष्मण अभी तो 14 वर्षो बाद वनवास काटके आए थे कुछ ख्वाहिशे कुछ तमन्ना तो पूरी करने देते लक्ष्मण अयोध्या की ख़ातिर तुम्हे जल समाधि लेने की क्या जरूरत थी लक्ष्मण तुमने मैरे बारे कभी नही सोचा लक्ष्मण ।।। -KRISSWRITES 🪶 । ©kriss.writes उर्मिला -लक्ष्मण नई नवेली आई थी मै जनक की दूसरी पुत्री थी मै अपने उन्हे जी भरके देखना चाह्ती थी मै लेकिन अब उन्हे जाना था 14 वर्षो के लि
kaushik
पाटण की रानी रूदाबाई Caption में पढ़ें गुजरात से कर्णावती के राजा थे, राणा वीर सिंह वाघेला (सोलंकी), इस राज्य ने कई तुर्क हमले झेले थे पर कामयाबी किसी को नहीं मिली, सुल्तान बेघारा
Anil Siwach