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Anuradha Vishwakarma

मेरी भावनाएँ क्रूर और मुड़ी हुई हैं, मेरा जीवन बुरा सपना है #विचार

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मेरी भावनाएँ क्रूर और मुड़ी हुई हैं, मेरा जीवन बुरा सपना है मेरी भावनाएँ क्रूर और मुड़ी हुई हैं, मेरा जीवन बुरा सपना है

Shivam

मैं नदी थी वापस मुड़ी नहीं, वो समंदर था आगे बढ़ा नहीं। #Broken

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मैं नदी थी वापस मुड़ी नहीं,
वो समंदर था आगे बढ़ा नहीं। मैं नदी थी वापस मुड़ी नहीं,
वो समंदर था आगे बढ़ा नहीं।
#broken

Dr. Sakshi

वैरिकोज़ नसें मुड़ी हुई, बढ़ी हुई नसें होती हैं। कोई भी नस जो त्वचा की सतह के करीब है, वैरिकोज्ड हो सकती है। #varicoseveins ayurvedicmedic #Knowledge #Vaidya #ayurvedicmedicine #Dr_sakshi

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vibrant.writer

कब तक किसी के #इशारों पर नाचते रहोगे, कब तक दूसरों के #गिरेबान में झांकते रहोगे. कभी तो अपनी ओर मुड़ी #तीन_उंगलियों को देखो, कब तक दूसरों #yqdidi #vibrant_writer #pritliladabar

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कब तक किसी के इशारों पर नाचते रहोगे, 
कब तक दूसरों के गिरेबान में झांकते रहोगे. 
कभी तो अपनी ओर मुड़ी तीन उंगलियों को देखो, 
कब तक दूसरों पर उंगली उठा कर उन्हें मारते रहोगे।  कब तक किसी के #इशारों पर नाचते रहोगे, 
कब तक दूसरों के #गिरेबान में झांकते रहोगे. 
कभी तो अपनी ओर मुड़ी #तीन_उंगलियों को देखो, 
कब तक दूसरों

vibrant.writer

कब तक किसी के #इशारों पर नाचते रहोगे, कब तक दूसरों के #गिरेबान में झांकते रहोगे. कभी तो अपनी ओर मुड़ी #तीन_उंगलियों को देखो, कब तक दूसरों #yqdidi #vibrant_writer #pritliladabar

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कब तक किसी के इशारों पर नाचते रहोगे, 
कब तक दूसरों के गिरेबान में झांकते रहोगे. 
कभी तो अपनी ओर मुड़ी तीन उंगलियों को देखो, 
कब तक दूसरों पर उंगली उठा कर उन्हें मारते रहोगे।  कब तक किसी के #इशारों पर नाचते रहोगे, 
कब तक दूसरों के #गिरेबान में झांकते रहोगे. 
कभी तो अपनी ओर मुड़ी #तीन_उंगलियों को देखो, 
कब तक दूसरों

@thewriterVDS

वो #सामने से गुजरी ही थी कि मैं #समझ बैठा कुछ और था पीछे मुड़ी घूरती रही मैं भी #घूरता रहा मै प्यार उसको समझ बैठा दिल अपना उसको दे बैठा #yqdidi #अचानक #VaibhavDevSingh #टक्कर #सावधानी_हटी_दुर्घटना_घटी

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वो सामने से गुजरी ही थी
कि
मैं समझ बैठा कुछ और था
पीछे मुड़ी
घूरती रही
मैं भी घूरता रहा
मै प्यार उसको समझ बैठा
दिल अपना उसको दे बैठा
अभी भी वो घूर रही थी
मैं भी उसको घूर रहा था
अचानक
सामने से आती कार ने 
युं टक्कर मारी
वो भी घूरती रही
मैं भी घूरता रहा।

"सावधानी हटी, दुर्घटना घटी" वो #सामने से गुजरी ही थी
कि
मैं #समझ बैठा कुछ और था
पीछे मुड़ी
घूरती रही
मैं भी #घूरता रहा
मै प्यार उसको समझ बैठा
दिल अपना उसको दे बैठा

RJ Surbhi Jain

वो बोलते हैं तेरे बोलना कहा गया तेरा खुद मे गुम रहना कहा गया तेरी चंचलता तेरा बचपना कहा गया वो बोलते हैं तेरा भागना कहा गया तूड़ी मुड़ी जुल् #Instagram #poem #writing #nojotohindi #indianwriters #surbhikikalamse

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Miss You Quotes वो बोलते हैं तेरे बोलना कहा गया
तेरा खुद मे गुम रहना कहा गया
तेरी चंचलता तेरा बचपना कहा गया
वो बोलते हैं तेरा भागना कहा गया
तूड़ी मुड़ी जुल्फों का इतराना कहा गया
वो बोलते हैं
और दिमाग अंखे मूंद कर सुनता है
वो बोलते हैं 
और दिल खामोश हो कर सुनता है
वो बोलते हैं 
और तस्वीर का अंग अंग तस्‍अली से सुनता है वो बोलते हैं तेरे बोलना कहा गया
तेरा खुद मे गुम रहना कहा गया
तेरी चंचलता तेरा बचपना कहा गया
वो बोलते हैं तेरा भागना कहा गया
तूड़ी मुड़ी जुल्

Mahfuz nisar

#Beauty छीछलते रेत सा हाथ, तुम्हारी कोमल बाहें, सब स्पर्श मात्र नहीं, सब है स्पंदन हीर, तुम्हारी लटें मुड़ी, पिंजड़े में तन-मन, धड़कन के हौल

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छीछलते रेत सा हाथ,
तुम्हारी कोमल बाहें,
सब स्पर्श मात्र नहीं,
सब है स्पंदन हीर,
तुम्हारी लटें मुड़ी,
पिंजड़े में तन-मन,
धड़कन के हौले सुर,
सब क्रीड़ा है प्रिय,
चैत्र सी चेहरे में चमक,
सावन से मेघ नयन,
पूस में होठों पे छुअन,
सब ऋतु है तेरी अघन,
तेरे टुकड़े में नींद मेरी,
तू चीज़ नहीं तू है मूलधन,
बिछडू पर ले कर लगन,
जान तू,जान-की,जानेमन।
✍ mahfuz nisar © #Beauty छीछलते रेत सा हाथ,
तुम्हारी कोमल बाहें,
सब स्पर्श मात्र नहीं,
सब है स्पंदन हीर,
तुम्हारी लटें मुड़ी,
पिंजड़े में तन-मन,
धड़कन के हौल

Harsh Malviya

जिस और उठी उंगली जग की उस ओर मुड़ी गति भी पग की जग के आंचल से बंधा हुआ खींचता आया तो क्या आया जिस और गया नफरत मिली जग की रहता खामोश गल #poem

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जिस और उठी उंगली जग की 
उस ओर मुड़ी गति भी पग की 
जग के आंचल से बंधा हुआ 
खींचता आया तो क्या आया 

जिस और गया नफरत मिली जग की 
रहता खामोश गलतियां थी रब की 
रब की किस्मतो मैं फसा में मोहरा हुआ 
शतरंज की चाल में उलझा मेरा जमाना आया 

क्या जुल्म किया मैंने क्या थी मेरी खता 
चौराहे पर खड़ा हूं नहीं मंजिल का पता 
हर शख्स ने दिल तोड़ा दी जिसके दर  पर सदा 
दुख दर्द आंसू ही मेरे नसीब में आया जिस और उठी उंगली जग की 
उस ओर मुड़ी गति भी पग की 
जग के आंचल से बंधा हुआ 
खींचता आया तो क्या आया 

जिस और गया नफरत मिली जग की 
रहता खामोश गल

Archana Tiwari Tanuja

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