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Ravendra

तीसरे दिन एक प्रत्याशी ने दाखिल किया नामांकन बहराइच । लोकसभा सामान्य निर्वाचन-2024 अन्तर्गत नामांकन के तीसरे दिन 56-बहराइच (अ.जा.) संसदीय #वीडियो

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Vikas Sahni

#काव्यात्मक_उपचार #शायराना_दवा तनाव कम हो सकता है यदि हो नीयत खराब, घाव कम हो सकता है यदि हो निकट शराब मगर मैं शराब नहीं पीता इसलिए रखता हूँ #Poetry

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Blue Moon ___काव्यात्मक उपचार___
____शायराना_दवा____

तनाव कम हो सकता है
यदि हो नीयत खराब,
घाव कम हो सकता है
यदि हो निकट शराब
मगर मैं शराब नहीं पीता इसलिए
रखता हूँ एक गुलाब
मेरा मतलब इक विशिष्ट डायरी
बनाने को बार-बार एक शायरी
कविता के रूप में।
                ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #काव्यात्मक_उपचार
#शायराना_दवा
तनाव कम हो सकता है
यदि हो नीयत खराब,
घाव कम हो सकता है
यदि हो निकट शराब
मगर मैं शराब नहीं पीता इसलिए
रखता हूँ

Vikas Sahni

#एक_कविता_ही_है_जो केवल कविता ही है, जो मुझे ज़िंदा रखना चाहती है। केवल कविता ही है, जो ऐसा परिंदा रखना चाहती है। क्योंकि हार की राह में ज #Poetry

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#एक_कविता_ही_है_जो

केवल कविता ही है,
जो  मुझे  ज़िंदा रखना चाहती है।
केवल कविता ही है,
जो ऐसा परिंदा रखना चाहती है।
क्योंकि हार की राह में जब भटकता हूं
तब भी मैं कुछ लोगों को खटकता हूं
क्योंकि कविता फिर भी जिता देती है,
क्योंकि कविता फिर भी बिता देती है
दुखभरी प्रत्येक काली रात 
और होता है त्वरित प्रभात।
        ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #एक_कविता_ही_है_जो
केवल कविता ही है,
जो  मुझे  ज़िंदा रखना चाहती है।
केवल कविता ही है,
जो ऐसा परिंदा रखना चाहती है।
क्योंकि हार की राह में ज

Vikas Sahni

#मुख_मारने_का_काम शाम को सुबह व सुबह को शाम कहते हो, महफ़िल में मुख‌ मारने को काम कहते हो। वह तो अयोग्य और अशिक्षित आदमी की मूर्खता से मिल #Poetry

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#मुख_मारने_का_काम
शाम को सुबह व सुबह को शाम कहते हो,
महफ़िल में मुख‌ मारने  को काम कहते हो।
वह तो अयोग्य और अशिक्षित आदमी की 
मूर्खता से मिला है,  जिसे इनाम कहते हो।
असल में मेहनत तो वही कर रहा है जिसे
तुम बार-बार निकम्मा व नाकाम कहते हो।
इसके बाद मेरी कविता कहती है निरर्थक
है जो शाम को दीपक जला राम कहते हो।।
                           ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #मुख_मारने_का_काम
शाम को सुबह व सुबह को शाम कहते हो,
महफ़िल में मुख‌ मारने  को काम कहते हो।
वह तो अयोग्य और अशिक्षित आदमी की 
मूर्खता से मिल

Vikas Sahni

#नजफगढ़_का_अनपढ़ मैं तो हूं आज भी अनपढ़, जो जा-जा कर नजफगढ़ मांगा करता हूं मन्नत कि मिल जाए जन्नत मगर म्हारे मन की मुराद बनकर रह जाती है याद #Poetry

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#नजफगढ़_का_अनपढ़

मैं तो हूं आज भी अनपढ़,
जो जा-जा कर नजफगढ़
मांगा करता हूं मन्नत
कि मिल जाए जन्नत
मगर म्हारे मन की मुराद
बनकर रह जाती है याद
तो कविता आ जाती है
करने को दर्द से आज़ाद
जब सर्दी का सफ़ेद सूरज सुस्त लगने लगता है
जब जिगर हो  दूर देर  तम तक जगने लगता है
जब कठिन कार्य या कठोर परिश्रम
के बदले मिलता महज़ तम का ग़म।
                                  ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #नजफगढ़_का_अनपढ़
मैं तो हूं आज भी अनपढ़,
जो जा-जा कर नजफगढ़
मांगा करता हूं मन्नत
कि मिल जाए जन्नत
मगर म्हारे मन की मुराद
बनकर रह जाती है याद

Vikas Sahni

#दिल_का_दर्ज़ी जीत जाता है बार-बार वो फ़र्ज़ी, बार-बार हार जाती है मेरी मर्ज़ी। और कविता के कोरे कागज़ पे दर्द दर्ज़ करता है दिल का दर्ज़ी।। #Poetry

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#दिल_का_दर्ज़ी
जीत जाता है बार-बार वो फ़र्ज़ी,
बार-बार हार जाती है मेरी मर्ज़ी।
और  कविता  के  कोरे कागज़ पे
दर्द दर्ज़ करता है दिल का दर्ज़ी।।
              ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #दिल_का_दर्ज़ी
जीत जाता है बार-बार वो फ़र्ज़ी,
बार-बार हार जाती है मेरी मर्ज़ी।
और कविता के कोरे कागज़ पे
दर्द दर्ज़ करता है दिल का दर्ज़ी।।

Vikas Sahni

#तिल_का_त्योहार_तथा_तुम लगता है फिर भी नहीं चैन आयेगा यद्यपि यहीं कहीं इसी महीने में मनाया जायेगा पुनः त्योहार-ए-दीपावली। गुड़, मुरमुरे, दह #कविता

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Makar Sankranti Messages  
लगता है फिर भी नहीं चैन आयेगा 
यद्यपि यहीं कहीं इसी महीने में मनाया जायेगा
पुनः त्योहार-ए-दीपावली।
गुड़, मुरमुरे, दही, मूँगफली,
तिल तथा चिपटे चावल 
खाने के बावजूद मन है विकल
क्योंकि इक गीत बनाने को,
संगीत सजाने को
जिसका इंतज़ार है,
वही नहीं है,
क्योंकि किसी की
रचना को रिकॉर्ड
करते-करते
मुख दुख गया 
फिर भी गायन गज़ब न हो सका,
काव्य रब न हो सका
क्योंकि काव्य रब होता तो,
क्योंकि काव्य सब होता हो
मैं अब तक न रुका होता
मैं वो हो चुका होता,
जो होना है मुझे
हमेशा के लिए।
                                 ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #तिल_का_त्योहार_तथा_तुम
लगता है फिर भी नहीं चैन आयेगा 
यद्यपि यहीं कहीं इसी महीने में मनाया जायेगा
पुनः त्योहार-ए-दीपावली।
गुड़, मुरमुरे, दह

Vikas Sahni

#खुदा_से_आपत्ति आज फिर से खुदा ने मेरी एक और चाहत को मरवा दिया; मैंने बेहतर गाना चाहा, खुदा ने फिर से कविता करवा दिया।। इस प्रकार पूजनीय पत्

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आज फिर से खुदा ने
मेरी एक और चाहत को मरवा दिया;
मैंने बेहतर गाना चाहा,
खुदा ने फिर से कविता करवा दिया।।
इस प्रकार पूजनीय पत्थर ने
दिये दर्द को कविता से भरवा दिया।।
                      ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #खुदा_से_आपत्ति
आज फिर से खुदा ने
मेरी एक और चाहत को मरवा दिया;
मैंने बेहतर गाना चाहा,
खुदा ने फिर से कविता करवा दिया।।
इस प्रकार पूजनीय पत्

Jaydeep Soni

सोनी जयदीप #2023Recap

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Vikas Sahni

#इश्क_का_इंटरव्यू इश्क के इंटरव्यू में इतना ध्यान देते हैं, कि वे बार-बार गा-गा कर जान देते हैं। यह ही सोच संगीत के स्नेही को हम कविता लिख

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