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theABHAYSINGH_BIPIN
White तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार में। घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी, खो जाने दो मुझे मखमली छांव में। ऐशगाह अब वीरान क्यों लगता है, ले चलो मुझे ख़्वाबों की गोद में। अरसों से खुद को सँवारा है मैंने, बांध लो अब मुझे नैनों के जाल में। लौट गए जज़्बातों के सारे खरीदार, मैं बिक गया बस इश्क़ के बाज़ार में। थक चुका हूं मैं इस कच्ची सर्दी से, ले चलो मुझे इश्क़ की गरमाहट में। ढूंढते रहे जो मुझे शहर के शोर में, अब बसा हूं 'अभय' कुदरत के गांव में। ©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_shayari तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार
#sad_shayari तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार
read moreBROKENBOY
Unsplash ज़माने से सुना था कि मोहब्बत हार जाती है, जो चाहत एक तरफ हो वो चाहत हार जाती है। कहीं दुआ का एक लफ्ज़ असर कर जाता हैं, और कभी बरसों की इबादत भी हार जाती है। ©BROKENBOY #traveling ज़माने से सुना था कि मोहब्बत हार जाती है, जो चाहत एक तरफ हो वो चाहत हार जाती है। कहीं दुआ का एक लफ्ज़ असर कर जाता हैं, और
#traveling ज़माने से सुना था कि मोहब्बत हार जाती है, जो चाहत एक तरफ हो वो चाहत हार जाती है। कहीं दुआ का एक लफ्ज़ असर कर जाता हैं, और
read moreनवनीत ठाकुर
सौ बरस की आरज़ू, पल में ढह गई, ज़िंदगी की ये कश्ती, लहरों में बह गई। ख्वाब जो संजोए थे, वो पल में बिखर गए, सफ़र का हिसाब करने से पहले ही गुज़र गए। बरसों बरस का सामान किस काम आएगा, जब मौत का फरिश्ता पल में बुलाएगा। जिंदगी को समझने में उम्र गुजर गई, और मौत ने आते ही कहानी बदल गई। साजो-सामान क्या, ये तख़्तो-ताज क्या, पल भर की है जिंदगी, फिर ये आज क्या। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर सौ बरस की आरज़ू, पल में ढह गई, ज़िंदगी की ये कश्ती, लहरों में बह गई। ख्वाब जो संजोए थे, वो पल में बिखर गए, सफ़र का हिसाब करने स
#नवनीतठाकुर सौ बरस की आरज़ू, पल में ढह गई, ज़िंदगी की ये कश्ती, लहरों में बह गई। ख्वाब जो संजोए थे, वो पल में बिखर गए, सफ़र का हिसाब करने स
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