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अदनासा-
आज फ़िर पढ़ा अख़बार मैं एतबार की खातिर मगर फ़िर वही समाचार था सरकार की खातिर ©अदनासा- #हिंदी #अख़बार #पढ़ा #समाचार #एतबार #सरकार #खातिर #Instagram #Facebook #अदनासा
Anuj Ray
White लगा के आग दिल में , छोड़ दी है सर्दी रातों को, बेखुदी का हाल बताने, तुम बिन जाए तो जाए कहां। ©Anuj Ray ₹ तुम बिन जाए तो जाए कहां"
मेरी कलम के दो शब्द
White एहतियात बरतती है जिन्दगी भी की। कहीं कोई शक्स गुमराह ना हो जाए।। ©मेरी कलम के दो शब्द गुमराह ना हो जाए
Shashi Bhushan Mishra
White कर दे जब मौसम बेज़ार, लगे नियति बेबस लाचार, पतझड़ गुजरी आया बसंत, होती रहती है जीत हार, ख़ुशियों की है आवा-जाही, कर दूँ सारा कुछ दरकिनार, बरसे मधुमय रस प्रेमपूर्ण, आकर छेड़े मन का सितार, देकर सुकून कुछ पल का ही, फिर गुज़र जाए चाहे बहार, भर दे शीतलता धरती पर, सावन में घिर गिरकर फुहार, बाक़ी कर दे दिल पर 'गुंजन', दो पल की ही ख़ुशियाँ उधार, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #गुज़र जाए चाहे बहार#
AYUSH SINGH
White सुख का दिन डूबे डूब जाए। तुमसे न सहज मन ऊब जाए। खुल जाए न मिली गाँठ मन की, लुट जाए न उठी राशि धन की, धुल जाए न आन शुभानन की, सारा जग रूठे रूठ जाए। उलटी गति सीधी हो न भले, प्रति जन की दाल गले न गले, टाले न बान यह कभी टले, यह जान जाए तो ख़ूब जाए। ©AYUSH Kumar सुख का दिन डूबे डूब जाए। तुमसे न सहज मन ऊब जाए। खुल जाए न मिली गाँठ मन की, लुट जाए न उठी राशि धन की, धुल जाए न आन शुभानन की, सारा जग र
दूध नाथ वरुण
कहीं दिन ये ढल न जाए,पिया आ भी जाओ अब तो। जिया बिन तेरे न जाए, पिया यूं न सताओ हमको।। ©दूध नाथ वरुण #जिया #बिन #तेरे #न #जाए
Shashi Bhushan Mishra
Meri Mati Mera Desh आईना सच बताने लग जाए तो, गलतियों को दिखाने लग जाए तो, पैरहन के अलावा भी है और कुछ, भेद घर का बताने लग जाए तो, मर्ज़ का नुस्खा बताए ख़ुद मरीज, चाराग़र को सिखाने लग जाए तो, पहुँचकर थाने में सारे चोर ख़ुद ही, रपट बरबस लिखाने लग जाए तो, झूठ की देकर दलीलें कोर्ट में, फैसला ख़ुद सुनाने लग जाए तो, सेंकने वाले सियासी रोटियों को, आग दिल में जलाने लग जाए तो, सोचता हूँ संकटों के जनक गुंजन, समस्या को भगाने लग जाए तो, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #लग जाए तो#
pramod malakar
# जनता जाए भाड़ में # पिछवाड़े में फेविकोल किसने लगाया था, उसे कुर्सी पर किसने बैठाया था। जिसने कहा था कुर्सी में हीं कुछ गड़बड़ी है, उसका कुर्सी से चिपके रहना भी जरूरी है। जनता जाए भाड़ में, दिल्ली डुब जाए अषाढ़ में। हर घर में शराब पिलाना ज़रुरी है, कुर्सी लूटने के लिए नोटों कि लूट मजबूरी है। घर - घर में आज उछल रहा है सवाल, केजरीवाल को ED ने क्यों बनाया सहवाल। चलो जो भी हुआ बहुत अच्छा हुआ, भ्रष्टाचारियों का निकल रहा धुआं। केंद्र में सबका साथ सबका विकास वाली सरकार है, आज देश को सिर्फ भाजपा कि दरकार है। मित्रों याद रखना कमल फूल को, सर पर लगा लो भारत माता कि पवित्र धूल को। मैं मालाकार रक्षक हूं भारतीय संस्कृति का, मैं शब्द हूं राष्ट्रीय गीत कि हर पंक्ति का। कल सुभाष,भगत सिंह और चंद्रशेखर ने जगाया था, 2014 में हर हिन्दू तिरंगा और भगवा लहराया था। केजरी के पिछवाड़े में फेविकोल किसने लगाया था, उसे कुर्सी पर किसने बैठाया था।। ########################### कवि ---- प्रमोद मालाकार... जमशेदपुर ©pramod malakar #जनता जाए भाड़ में