Find the Latest Status about स्वावलंबन from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, स्वावलंबन.
Dr.Vinay kumar Verma
Asha Giri
जीवन की कमाई जिंदगी में सब कुछ कमाया, हिम्मत कमाई,अपने बल पर शोहरत पाई। प्यार कमाया,सद्व्यवहार से छोटे-बडो़ं का आशीष पाया। सम्मान पाया,अपनी संतानों से म
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
स्वावलंबन से होत है, व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास, चेतना आती है उसमे, नहीं करता कभी किसी से आस।। बाक़ी कैप्शन में पढ़े..👇👇 आत्मनिर्भरता अथवा स्वावलंबन का अर्थ है स्वयं पर निर्भर रहना...... हम बचपन से यही सीखते आएं है की आत्म निर्भर बनो, अपना काम स्वयं करो, किस
नेहा उदय भान गुप्ता
स्वावलंबन से होत है, व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास, चेतना आती है उसमे, नहीं करता कभी किसी से आस।। बाक़ी कैप्शन में पढ़े..👇👇 आत्मनिर्भरता अथवा स्वावलंबन का अर्थ है स्वयं पर निर्भर रहना...... हम बचपन से यही सीखते आएं है की आत्म निर्भर बनो, अपना काम स्वयं करो, किस
abhishek manoguru
…......…....…....... ©abhishek manoguru हिंदुस्तान में हिज़ाब को मजहब के नाम पर स्वावलंबन से अधिक महत्व देने वाली महिलाओं को ईरान में हुई घटना से सबक लेना चाहिए कि आपके समर्थन में
SI UPP BDH
स्त्रियों को सुंदर दिखना आवश्यक क्यों? स्त्रियों को सुंदर दिखना आवश्यक क्यों? एक व्याख्यान के अनुसार डॉ दिव्यकीर्ति ने बताया कि भारत में पश्चिमी देशों की अपेक्षा महिलाएं स
Shree
ठहरिए... कभी अपनों के लिए... हां, जरुर से अपने आप के लिए। .... मुखौटे में दोहरे-तिहरे चेहरे जाने वे कैसे-कैसे जी लेते हैं!! .... परख बढ़े, परिचय बढ़े परिवार, सबको ले जो चलें तो हो सम्मान। .... सहज, सुलभ, सुन्दर, सरल समभाव रहे वहीं खुश, रखें सबको प्रेम भाव। 🍀🍀🍀शुभ प्रभात 🍀🍀🍀 जैसे नदी की लम्बाई बढ़ती, वेग शांत सा होता जाता। परिपक्व हो जीवन में भ्राता, मानव भी रोज सीखता जाता।
Sujata Darekar
विश्वामधे कशाला येईल का तिची सर आईविना भिकारी साक्षात देवही जर देऊ कशी उपाधी कारुण्य, प्रेम, छाया आईमुळे प्रसवले, हे शब्दही खरेतर देऊन झुंज जाते माघार घेत वादळ वावर तिचा असा की हसते उन्हातले घर ठिगळांमधून बघते ती चांदणे नभाचे करते पिलांकरीता डोळ्यांत एक जागर कादंबरी लिहू की कविता, गझल, रुबाई ओतू कसे कळे ना शब्दात 'माय' सागर सुप्रभात लेखक मित्र आणि मैत्रिणींनो कसे आहात? आज मातृदिन आहे. सर्वांना मातृदिनाच्या हार्दिक हार्दिक शुभेच्छा. मला माहिती आहे तुम्ही आज भरपूर
Mr.Poet
vishnu prabhakar singh
बताह भीड़ न शिर न पैर हवा में ! हताश नर मुंड शोर मचाती माँगो का अपने मूल अधिकार के बल पर कृत्रिम बौद्धिकता के फांस में आंदोलन की सूक्ष्मता प्रतिपादित करती केवल कान खोलने को कहती तत्काल हस्तक्षेप को दर्शाती उचित समय पर क्रम दुहराती सुचना पर अनावश्यक विश्वास लेकर प्रसार का विस्फोट करती हवा में! छोड़ जाती बताह भीड़ को स्वीकारती व्यथा व्यवस्था तंत्र और कल्याण अवमानना के बीच की खाई नैतिकता में व्यवस्था निर्मित अभाव राजनीति एक व्यवसाय व लक्ष्य संघर्ष का अप्राकृतिक क्रिया अस्तित्व में ! शीघ्र पतन हो भी तो कैसे बताह भीड़ अव्यवस्था का रूपक न देह न देहि ,अकेला हवा में ! (कृपया,शेष अनुशीर्षक में देखें) आंदोलन का रसायन! बताह भीड़ न शिर न पैर हवा में ! हताश नर मुंड शोर मचाती माँगो का