Find the Latest Status about सैम वाल्टन from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, सैम वाल्टन.
Dharmnath Kumar
घड़ी मत देखो, वह करो जो वह करती है। चलते रहो।" -सैम लेवेन्सन यह उद्धरण हमें याद दिलाता है कि हमें अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और विकर्षणों या समय बीतने को हमें वापस नहीं आने देना चाहिए। घड़ी की सुइयाँ चलती रहती हैं, और हमें भी अपने सपनों और आकांक्षाओं की ओर बढ़ना चाहिए। ©Dharmnath Kumar #shraddha घड़ी मत देखो, वह करो जो वह करती है। चलते रहो।" -सैम लेवेन्सन
Rekha Gakhar
abtab alam
Jashan fatta
Alone समीप - एक कहानी वो कहते थे हिंदी नहीं आती है उनको ढंग से लिख या बोल नहीं पाते हैं अंग्रेज़ी में लिखते, अंग्रेजी में गाते अंग्रेजी में सोते, अंग्रेजी में जागते यहाँ तक कि सपने भी अंग्रेजी में ही देखते हैं उनका एक छोटा सा बच्चा था उनके बाबूजी ने बड़े प्यार से उसका नाम रखा था - समीप पर जैसे ही उनके बाबूजी गुज़रे उन्होंने समीप को सैम में बदल दिया सैम को उन्होंने अमरीका भेजा था पढ़ने को। कल ही सैम वापस आया है साथ में एक अंग्रेज़ दुल्हन लिए, जो उनकी देसी अंग्रेजी सुन हस पड़ी कल। सैम भी अपनी मुस्कान दबा ना पाया वो भौचक देखते रह गए सालों बाद, कल जाकर बाबूजी की याद आई उन्हें बीस साल बाद मालूम हो रहा था कि सैम अब समीप नहीं रहा ©Jashan fatta समीप - एक कहानी वो कहते थे हिंदी नहीं आती है उनको ढंग से लिख या बोल नहीं पाते हैं अंग्रेज़ी में लिखते, अंग्रेजी में गाते अंग्रेजी में सोत
Manzoor Alam Dehalvi
Shivank Shyamal
कविता- “स्वर्णिम विजय वर्ष” मैं स्वर्णिम 'विजय वर्ष' तुमको, अपनी आखों से दिखलाऊंगा। धीरे धीरे 'जग-जीत'ने की गाथा, इस कविता से बतलाऊंगा।। इकहत्तर की जंग में, भारत की सेना ने ऊँचा नाम किया। रण में 'दुर्गा', 'सैम बहादुर' की, नीति का जग ने सम्मान किया।। सरहद, धरती, अम्बर, सागर, चहुं ओर परचम लहराया था। दो हिस्सों में टूटा पाक, फ़िर घुटनों पर रोते आया था। 'निर्मल', 'इक्का', 'होशियार' ने, 'अरुण' सा लोहा मनवाया था। सीने में दुश्मन के 'तलवार', 'त्रिशूल', और 'ट्राइडेंट' घोप दिखलाया था। 'कुल दीप' के नेक इरादे, ना पाक मनसूबों पर भारी थे। भारत के 'विक्रांत' सैनिक, ख़ुद में ही चिंगारी थे।। मिट्टी में जीता, 'लोंगेवाला' और 'बसंतर', असमान में 'कैक्टस लिली' खिलाया है। ना ये अंतिम बार हुआ था, ना ये पहली बार हुआ है, भारत ने दुश्मन को, नाकों चने चबवाया है।। वैसे तो सत्य, अहिंसा, सत्यशील के, सरगम के अनुयाई है। पर भारत से न भिड़ने में ही, दुश्मन की भलाई है।। ©Shivank Shyamal कविता- “स्वर्णिम विजय वर्ष” मैं स्वर्णिम 'विजय वर्ष' तुमको, अपनी आखों से दिखलाऊंगा। धीरे धीरे 'जग-जीत'ने की गाथा, इस कविता से बतलाऊंगा।। इ
Ravendra