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Sudha Pandey
तू ही स्वरूप महागौरी, तू ही जगद्जननी काली माँ! दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता, तू ही जगत् कल्याणी माँ!! ©Sudha Pandey तू ही स्वरूप महागौरी, तू ही जगद्जननी काली माँ! दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता, तू ही जगत् कल्याणी माँ!!
Shravan Goud
दुर्गति नाशिनी दुर्गा जय जय, काल विनाशिनी काली जय जय । माता रानी हम सब पर कृपा दृष्टि बनाए रखना। जय माताजी 🙏🙏 दुर्गति नाशिनी दुर्गा जय जय, काल विनाशिनी काली जय जय । माता रानी हम सब पर कृपा दृष्टि बनाए रखना। जय माताजी 🙏🙏 गुप्त नवरात्रि की हार्दिक बधा
Divyanshu Pathak
जयति जय जय चन्द्रघन्टे सर्व शोक विनाशिनी। जयति माँ दुर्बुद्धि हरता जयति स्वर्णआभामणि। 03 कमल अस्त्र से माते सबका करती रहो कल्याण। दुर्बुद्धि का नाश करो और देउ अभय वरदान। चंद्र देव सी शीतलता दो तेज सूर्य सा देना माँ। वीर धीर और सद्गुण देकर सत्पुरुष मुझे कर देना माँ। जयति जय जय चन्द्रघन्टे सर्व शोक विनाशिनी। जयति माँ दुर्बुद्धि हरता जयति स्वर्णआभामणि। 03 कमल अस्त्र से माते सबका करती रहो कल्याण। दुर्बुद्ध
Meenakshi Raje
खंड हूँ मैं अखण्ड भी, सौम्य हूँ मैं प्रचंड भी, अंत हूँ आरंभ भी, मैं सृष्टि का प्रारंभ भी, सृजन मैं मृत्यु भी मैं, हूँ पाप की शत्रु भी मैं, मैं ही भव-भय हारिणी, हूँ कालरात्रि विनाशिनी, अपनों की मैं ही ढाल हूँ, दुष्टों का मैं ही काल हूँ, मुझमें समाहित है गगन, मुझसे ही वेग पाते पवन, सब जानते मेरी आकृति, कोई और नहीं मैं हूँ प्रकृति!! -मीनाक्षी ©Meenakshi Raje खंड हूँ मैं अखण्ड भी, सौम्य हूँ मैं प्रचंड भी, अंत हूँ आरंभ भी, मैं सृष्टि का प्रारंभ भी, सृजन मैं मृत्यु भी मैं, हूँ पाप की शत्रु भी मैं,
Poetry with Avdhesh Kanojia
जगदम्ब स्तुति जयति जय अखिलेश्वरी माँ जयति जय वरदायिनी। तिहूँ लोकन की तुम्ही माँ एक ही सुखदायिनी।। रक्तरंजित कालिका तुम खड्ग खप्पर धारिणी। कालाग्नि भासित शुम्भहन्ती असुरदल संहारिणी।। श्वेत वसना शारदा तुम ब्राम्ही वीनापाणिनी। अति प्रबल अज्ञान रूपी अंधकार निवारिणी।। जय अम्बिका दुर्गा भवानी सकल लोक प्रकाशिनी। जय चंड मुंड विनाशिनी जय मातु घट घट वासिनी।। नवरात्रि पावन व आलौकिक भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी। सब पर कृपा हो मातु कर अनूकूल हों कात्यायिनी।। ✍️अवधेश कनौजिया© #नवरात्रि जगदम्ब स्तुति जयति जय अखिलेश्वरी माँ जयति जय वरदायिनी। तिहूँ लोकन की तुम्ही माँ एक ही सुखदायिनी।।
Poetry with Avdhesh Kanojia
जगदम्ब स्तुति जयति जय अखिलेश्वरी माँ जयति जय वरदायिनी। तिहूँ लोकन की तुम्ही माँ एक ही सुखदायिनी।। रक्तरंजित कालिका तुम खड्ग खप्पर धारिणी। कालाग्नि भासित शुम्भहन्ती असुरदल संहारिणी।। श्वेत वसना शारदा तुम ब्राम्ही वीनापाणिनी। अति प्रबल अज्ञान रूपी अंधकार निवारिणी।। जय अम्बिका दुर्गा भवानी सकल लोक प्रकाशिनी। जय चंड मुंड विनाशिनी जय मातु घट घट वासिनी।। नवरात्रि पावन व आलौकिक भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी। सब पर कृपा हो मातु कर अनूकूल हों कात्यायिनी।। #नवरात्रि #माँ #navratri #maa #maan #poetry #poem जगदम्ब स्तुति जयति जय अखिलेश्वरी माँ जयति जय वरदायिनी। तिहूँ लोकन की तुम्ही माँ एक ही स
KP EDUCATION HD
KP TAILOR HD video ©KP TAILOR HD गौ माता की आरती : gau mata aarti ॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाता जो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पाता सुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृप
Vikas Sharma Shivaaya'
नवरात्र के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है। इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। इनका वाहन सिंह है और दस हाथ हैं। इनके चार हाथों में कमल फूल, धनुष, जप माला और तीर है। पांचवा हाथ अभय मुद्रा में रहता है। वहीं, चार हाथों में त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवार है। पांचवा हाथ वरद मुद्रा में रहता है। मान्यता है कि भक्तों के लिए माता का यह स्वरू बेहद कल्याणकारी है। मां चंद्रघंटा के मंत्र: पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥ ध्यान मंत्र: वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्। सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥ मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्। खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥ 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 नवरात्रि के चौथे दिन मां के चौथे स्वरूप माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता कूष्मांडा ने ही ब्रहांड की रचना की थी। इन्हें सृष्टि की आदि- स्वरूप, आदिशक्ति माना जाता है। मां कूष्मांडा सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं। मां के शरीर की कांति भी सूर्य के समान ही है और इनका तेज और प्रकाश से सभी दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। मां को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में जपमाला है। मां सिंह का सवारी करती हैं। देवी कूष्मांडा मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ध्यान मंत्र: वन्दे वांछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्. सिंहरूढाअष्टभुजा कुष्माण्डायशस्वनीम्॥ सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥ – दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्. जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥ – जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्. चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥ 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' नवरात्र के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है। इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा क
Juhi Grover
बहुत सुना ली सब को अपनी व्यथा, अब न तू समाज में बस मज़ाक बन। ( अनुर्शीषक में पढ़ें ) Inspired from yq writer Aradhya बहुत सुना ली सब को अपनी व्यथा, अब न तू समाज में बस मज़ाक बन, अबला, असहाय, कमज़ोर न तू बन, तू खुद अपनी अब ब
AK__Alfaaz..
कल, सिंदूरी साँझ की, चूनर ताने, भूमि चली क्षितिज पर, अपने प्रिय, सूर्य को निहारने, नदी चली बलखाती, छोड़ के पीहर, ओढ़ के घूँघट केसरिया, सागर से मिलने उसके द्वारे, कल, सिंदूरी साँझ की, चूनर ताने, भूमि चली क्षितिज पर, अपने प्रिय, सूर्य को निहारने, नदी चली बलखाती, छोड़ के पीहर,