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Stories related to ठंडी छांव

theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_shayari तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार

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White तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में,
तपने दो इस बदन की जलती आग में।
बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो,
बह जाने दो मुझे दरिया की धार में।

घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी,
खो जाने दो मुझे मखमली छांव में।
ऐशगाह अब वीरान क्यों लगता है,
ले चलो मुझे ख़्वाबों की गोद में।

अरसों से खुद को सँवारा है मैंने,
बांध लो अब मुझे नैनों के जाल में।
लौट गए जज़्बातों के सारे खरीदार,
मैं बिक गया बस इश्क़ के बाज़ार में।

थक चुका हूं मैं इस कच्ची सर्दी से,
ले चलो मुझे इश्क़ की गरमाहट में।
ढूंढते रहे जो मुझे शहर के शोर में,
अब बसा हूं 'अभय' कुदरत के गांव में।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_shayari 
तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में,
तपने दो इस बदन की जलती आग में।
बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो,
बह जाने दो मुझे दरिया की धार

theABHAYSINGH_BIPIN

#villagelife अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।

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Village Life अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी,
यहाँ अब किसका इंतज़ार है।
रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती,
कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।

चल पड़ा हूँ वापस पगडंडी पर,
बस्ती से दूर, एक छोटा सा गांव है।
जहाँ सुकून की मिट्टी से गंध उठती है,
और सपनों का आकाश साफ़ है।

ढूंढ रहा है हर कोई शहर में बसेरा,
पर वहाँ भी ज़िंदगी कहाँ आज़ाद है।
शोर में खो जाती है पहचान अपनी,
बस भीड़ में रह जाता एक फरियाद है।

लौट आओ अपनों के बीच, अभी वक्त है,
ज़िंदगी छोटी है, किसे सरोकार है।
रिश्तों की गरमाहट को महसूस कर लो,
फिर न कह सकेगा दिल, ये जो अंगार है।

शहर के शोर में सब कुछ खो जाता है,
पर दिल सुकून तो अपनों में ही पाता है।
थोड़ा ठहरो, जरा संभालो इन पलकों को,
क्योंकि यादें ही अंत में हमारा संसार हैंl

©theABHAYSINGH_BIPIN #villagelife 
अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी,
यहाँ अब किसका इंतज़ार है।
रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती,
कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधि

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White ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते,
दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते।
हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है,
कभी आँधियाँ तो कभी अश्क राहत नहीं करते।
चल पड़े हैं सफर में तन्हा सवालों के साथ,
जवाब आने से पहले ही हालात नहीं थमते।
गुज़री है ज़िंदगी बस इक छांव की तरह,
जो भी छूने की चाह थी, वो हसरत नहीं भरते।
राह-ए-इश्क़ में ठहराव का इंतज़ार किसे,
ये धड़कनें भी सुकून की इजाज़त नहीं करते।
मोहब्बत की राह में हर कदम पर ये जाना,
 मंज़िलें तो हैं मगर वो क़ुर्बत नहीं करते।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते,
दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते।
हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है,
कभी आँधि

#Mr.India

कई रोज़ से जिंदगी की रवानी में गुम सा हूं, ख़्वाब अधूरे हैं, हकीक़त से भी ख़फा हूं। सुबह का सूरज अब फीका सा लगता है, शाम का चाँद भी ब

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White कई रोज़ से जिंदगी की रवानी में गुम सा हूं,  
ख़्वाब अधूरे हैं, हकीक़त से भी ख़फा हूं।  
सुबह का सूरज अब फीका सा लगता है,  
शाम का चाँद भी बस धोखा सा लगता है।  

मंज़िलें जैसे कहीं दूर खड़ी रह गईं,  
खुद की ख़्वाहिशें दिल में ही दफन हो गईं।  
कभी उड़ने की चाहत ने आसमान मांगा,  
आज जीने की आरज़ू ने एक ठिकाना मांगा।  

हर कदम गिन रहा हूं, हर सांस टटोल रहा हूं,  
खुद से खुद को ही जाने क्यों तोल रहा हूं।  
दुनिया बदलने की चाह लेकर निकला था,  
आज अपने हिस्से का चैन भी खो रहा हूं।  

दिल कहता है थम के किसी छांव में बैठूं,  
बिखरे अरमानों को फिर से जोड़ने का हौसला बटोरूं।  
चलो, कहीं दूर एक मोड़ तलाशते हैं,  
जहां ख्वाहिशें और सपने को फिर से बचपन की तरह संवारते है..!!

©#Mr.India  कई रोज़ से जिंदगी की रवानी में गुम सा हूं,  
ख़्वाब अधूरे हैं, हकीक़त से भी ख़फा हूं।  
सुबह का सूरज अब फीका सा लगता है,  
शाम का चाँद भी ब

Satish Kumar Meena

माता पिता की छांव

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Durga Gautam

#good_night फूल बार बार खिले पेड़ों ने नहीं रोकी अपनी छांव नदियों ने भी नहीं बनाए बांध अपने ऊपर सूरज सींचता रहा धरती को ऊष्मा से अपनी ना

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White फूल बार बार खिले 
पेड़ों ने नहीं रोकी अपनी छांव
नदियों ने भी नहीं बनाए  बांध अपने ऊपर 
सूरज सींचता रहा धरती को ऊष्मा से अपनी
ना ही बारिशें वापस लौटीं बादलों की ओर

प्रकृति में सुंदरता थी प्रेम की पराकाष्ठा की
प्रेम अपनी पराकाष्ठा में सबसे सुंदर था ।

©Durga Gautam #good_night फूल बार बार खिले 
पेड़ों ने नहीं रोकी अपनी छांव
नदियों ने भी नहीं बनाए  बांध अपने ऊपर 
सूरज सींचता रहा धरती को ऊष्मा से अपनी
ना
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