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shalini jha
White भावों का जीवन को वरण कर जीवंत रह दुःख से सुख की यात्रा जीवन की शाखाओं पर पत्तों सा लहराना हवा के झोंको में सुगंध बन दिशाओं की निर्मलता का स्पर्श नदी बन सागर के खारेपन में घुल जाना मिठास का छांव बन छिप जाना शीतलता को कुछ क्षण प्रकाश का दिव्यता बोध से भरे सकारकता के कई कई प्रमाण हैं ©shalini jha # भावों का जीवन को वरण कर जीवंत हो सुख दुख को बांटना जीवन की शाख पर पत्तों सा लहराना हवा के झोंको में सुगंध बन दिशाओं की निर्मलता
# भावों का जीवन को वरण कर जीवंत हो सुख दुख को बांटना जीवन की शाख पर पत्तों सा लहराना हवा के झोंको में सुगंध बन दिशाओं की निर्मलता
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
राहों की खोज चलते रहिए आगे, बढ़ते रहिए आगे, कहीं तो मक़ान होगा, कहीं तो मंज़िल होगी। मिलते रहिए अपनों से, मिलते रहिए गैरों से, कहीं तो एहसास होगा, कहीं तो पहचान होगी। हाथ बढ़ाते रहिए, हिम्मत बढ़ाते रहिए, कहीं तो पुकार होगी, कहीं तो सांस होगी। लड़ते रहिए अंधेरों से, लड़ते रहिए धुंध-कोहरे से, कहीं तो आसमान होगा, कहीं तो रोशनी होगी। सदैव बढ़ते रहिए, चौकस रहिए हर वक्त, कहीं तो लकीर होगी, कहीं तो नज़र होगी। डरना क्यों है दोपहरी से, उत्साह भरते रहिए, कहीं तो धूप होगी, कहीं तो छांव होगी। अग्रसर रहिए जलधारा में, थमने न पाए विजयी रथ, कहीं तो मिट्टी होगी, कहीं तो पत्थर होगी। साधते रहिए हिम्मत, सौर्य के गीत भी गाते रहिए, कहीं तो सफ़लता होगी, कहीं तो विजयी होगी। ©theABHAYSINGH_BIPIN #walkingalone राहों की खोज चलते रहिए आगे, बढ़ते रहिए आगे, कहीं तो मक़ान होगा, कहीं तो मंज़िल होगी।
#walkingalone राहों की खोज चलते रहिए आगे, बढ़ते रहिए आगे, कहीं तो मक़ान होगा, कहीं तो मंज़िल होगी।
read moreनवनीत ठाकुर
White दिल के दो हिस्से, दो राहों पे खड़े, एक दौड़ रहा है, दूसरा थक कर पड़े। एक चाहता है शोहरत का हर रंग, दूसरा तलाशे बस शांति का एक संग। ख्वाहिशें बढ़ें तो सपनों का बोझ भारी हो, सुकून घटे तो दिल का हर पल बेमानी हो। एक बिछाए महलों का ख्वाब, अंबर को छूने, दूसरा खो जाए पेड़ों की छांव में सुकून पाने। जब ख्वाहिशें बढ़ें, रास्ता कठिन हो जाए, सुकून का समंदर कब लहरों में खो जाए। अगर धड़कनों का रुख सही दिशा में हो, तो दिल के सारे सवाल खुद-ब-खुद हल हो। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर दिल के दो हिस्से, दो राहों पे खड़े, एक दौड़ रहा है, दूसरा थक कर पड़े। एक चाहता है शोहरत का हर रंग, दूसरा तलाशे बस शांति का एक स
#नवनीतठाकुर दिल के दो हिस्से, दो राहों पे खड़े, एक दौड़ रहा है, दूसरा थक कर पड़े। एक चाहता है शोहरत का हर रंग, दूसरा तलाशे बस शांति का एक स
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़ुद को कब तक बाँधोगे। वक़्त के साथ बेहिसाब ग़लतियाँ की हैं तुमने, सलाखों के पीछे ख़ुद को कब तक छुपाओगे? जो कभी साथ छांव सा था, वह अब छूट गया, आख़िर खुद से ये जंग कब तक लड़ोगे। लोग माफ़ी देते हैं एक-दूसरे को अक्सर, आख़िर तुम खुद को कब तक सताओगे। रिहाई जुर्म से नहीं मिलती, यह तो मालूम है, आख़िर ग़लतियों पर कब तक पछताओगे। प्रकृति में सूखी डालें भी बहार में पनपती हैं, खुद को सहलाने का वक़्त कब तक टालोगे। वक्त हर नासूर बने ज़ख्मों को भी भरता है, आख़िर ज़ख्मों को भरने से कब तक डरोगे। ©theABHAYSINGH_BIPIN दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़
दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़
read moreAlamsingh Choungad
green-leaves नए साल का दूसरा दिन ✨👆🏻🥀💗🦋🌺 हरि भरी हरियाली दिख रही हैं ठंडी ठंडी हवा चल रही है यही नए साल का नायरा है ©Alamsingh Choungad #GreenLeaves नए साल का दूसरा दिन ✨👆🏻🥀💗🦋🌺 हरि भरी हरियाली दिख रही हैं ठंडी ठंडी हवा चल रही है यही नए साल का नायरा है नये अच्छे विचार शुभ
#GreenLeaves नए साल का दूसरा दिन ✨👆🏻🥀💗🦋🌺 हरि भरी हरियाली दिख रही हैं ठंडी ठंडी हवा चल रही है यही नए साल का नायरा है नये अच्छे विचार शुभ
read morePrashant Shakun "कातिब"
............................... ©Prashant Shakun "कातिब" Writer म्हारी लाडो, शेरनी, शेरुआ, नंदू, नंदी, नंदिता, मोटी, मोटो, क्यूटी बच्चा... समय के साथ और भी नाम मिलते रहेंगे😂 छोटी सी परी के जैसी
Writer म्हारी लाडो, शेरनी, शेरुआ, नंदू, नंदी, नंदिता, मोटी, मोटो, क्यूटी बच्चा... समय के साथ और भी नाम मिलते रहेंगे😂 छोटी सी परी के जैसी
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White तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार में। घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी, खो जाने दो मुझे मखमली छांव में। ऐशगाह अब वीरान क्यों लगता है, ले चलो मुझे ख़्वाबों की गोद में। अरसों से खुद को सँवारा है मैंने, बांध लो अब मुझे नैनों के जाल में। लौट गए जज़्बातों के सारे खरीदार, मैं बिक गया बस इश्क़ के बाज़ार में। थक चुका हूं मैं इस कच्ची सर्दी से, ले चलो मुझे इश्क़ की गरमाहट में। ढूंढते रहे जो मुझे शहर के शोर में, अब बसा हूं 'अभय' कुदरत के गांव में। ©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_shayari तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार
#sad_shayari तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
Village Life अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है। चल पड़ा हूँ वापस पगडंडी पर, बस्ती से दूर, एक छोटा सा गांव है। जहाँ सुकून की मिट्टी से गंध उठती है, और सपनों का आकाश साफ़ है। ढूंढ रहा है हर कोई शहर में बसेरा, पर वहाँ भी ज़िंदगी कहाँ आज़ाद है। शोर में खो जाती है पहचान अपनी, बस भीड़ में रह जाता एक फरियाद है। लौट आओ अपनों के बीच, अभी वक्त है, ज़िंदगी छोटी है, किसे सरोकार है। रिश्तों की गरमाहट को महसूस कर लो, फिर न कह सकेगा दिल, ये जो अंगार है। शहर के शोर में सब कुछ खो जाता है, पर दिल सुकून तो अपनों में ही पाता है। थोड़ा ठहरो, जरा संभालो इन पलकों को, क्योंकि यादें ही अंत में हमारा संसार हैंl ©theABHAYSINGH_BIPIN #villagelife अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।
#villagelife अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।
read moreनवनीत ठाकुर
White ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधियाँ तो कभी अश्क राहत नहीं करते। चल पड़े हैं सफर में तन्हा सवालों के साथ, जवाब आने से पहले ही हालात नहीं थमते। गुज़री है ज़िंदगी बस इक छांव की तरह, जो भी छूने की चाह थी, वो हसरत नहीं भरते। राह-ए-इश्क़ में ठहराव का इंतज़ार किसे, ये धड़कनें भी सुकून की इजाज़त नहीं करते। मोहब्बत की राह में हर कदम पर ये जाना, मंज़िलें तो हैं मगर वो क़ुर्बत नहीं करते। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधि
#नवनीतठाकुर ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधि
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