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sandy
इतकी रागावलीस.... इतकी रागावलीस की बोलणार हि नाहीस एकदा का होईना मला माफ
इतकी रागावलीस.... इतकी रागावलीस की बोलणार हि नाहीस एकदा का होईना मला माफ #story #nojotophoto
read moreKumar.vikash18
( "चंचल" ) मन भंवर मन मोर , मन चंचल चितचोर ! मन गोरा मन काला , मन हंस मतवाला ! मन पवन मन हिलोर , मन उङता चहुँ ओर ! मन चंदन मन निर्मल , मन अमृत का प्याला ! मन मुरली मन तान , मन राधा का श्याम ! चंचल ( "चंचल" ) मन भंवर मन मोर , मन चंचल चितचोर ! मन गोरा मन काला , मन हंस मतवाला ! मन पवन मन हिलोर , मन उङता चहुँ ओर !
चंचल ( "चंचल" ) मन भंवर मन मोर , मन चंचल चितचोर ! मन गोरा मन काला , मन हंस मतवाला ! मन पवन मन हिलोर , मन उङता चहुँ ओर !
read more(तरूण तरंग)तरूण.कोली.विष्ट
मन बना लिया जिसने वो बन गया समझो फिर ©®तरूण मन #मन #motivation
मन #मन #Motivation
read moreRajesh Khanna
मेरे दिल को तेरे चहरे के सिबाये कोई और चहेरा नजर नहीं आता अब ले लो दिल की बात भाले ही तुम मेरे पास नहीं हो पर दिल मन ही मन बातें कर लेता है ©Rajesh Khanna मन ही मन
मन ही मन #Shayari
read moreAnupam Mishra
किसी पिंजरे में कैद पंछी की तरह जैसे हमारा मन भी कैद हो गया है, सामने खुली चांदनी नजर आती है पर चार दिवारियों के बाहर नहीं निकल पाती, कुछ रस्मों की दीवारें हैं कुछ मर्यादाओं की रेखाएं हैं और कुछ ऊसूलों की सलाखें हैं जिनको तोड़कर जाने की उम्मीद नहीं बस देखकर सुकून मिले अब वही सही, ऐसा नहीं कि भीतर जोश या हिम्मत नहीं पर यह सोचकर हूं मन को बांध लेती कि जब इस पंछी का अंत निश्चित है ही फिर क्यूं इसे खुले में छोड़ना कभी, येे बावला तो देख लेता है कभी भी कुछ भी और चाहता है कि सब मिल जाए उसे यहीं, बेहतर है कि ये पिंजरे में बंद रहे यूं ही पता नहीं फट पड़े कब कौन सी ज्वालामुखी। ©अनुपम मिश्र #मन #बावला मन
Rk Prajapati
मन ही मन को जानता, मन की मन से प्रीत। मन ही मनमानी करे, मन ही मन का मीत। मन झूमे मन बावरा, मन की अद्धभुत रीत। मन के हारे हार है, मन के
मन ही मन को जानता, मन की मन से प्रीत। मन ही मनमानी करे, मन ही मन का मीत। मन झूमे मन बावरा, मन की अद्धभुत रीत। मन के हारे हार है, मन के #शायरी #nojotophoto
read moreShashi Bhushan Mishra
Meri Mati Mera Desh अपना दिन है अपनी रातें, लोग करेंगे ख़ुद की बातें, मिला उसे अपनाया हमने, छोड़ गए जो ख़ुद पछताते, कोई समय से बड़ा नहीं है, क्या लाए जो लेकर जाते, प्रेम और व्यवहार बनाकर, रखे जो सबसे सबको भाते, बैठ गए जो भाग्य भरोसे, कभी न पार नदी कर पाते, इंतज़ार कबतक करते हम, वक़्त के साथ नहीं चल पाते, शामिल ख़ुशियों को ना करते, 'गुंजन' मन ही मन अकुलाते, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #मन ही मन अकुलाते#
Ailena ketes
बाते तो बहुत सारी करनी हैं,दिल मे सवाल भी बहुत हैं,बहुत सारे कनफ्यूजन भी हैं, लेकिन अब दिल और मन यही कहता है चुप रहे सानत रहे और अकेले रहे!! ©Shubhali Singh #मन #मन कि बाते