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dilkibaatwithamit
White मुझे रोना नहीं आवाज़ भी भारी नहीं करनी जिंदगी की कहानी में अदाकारी नहीं करनी हवा के ख़ौफ़ से लिपटा हुआ हूँ ख़ुश्क टहनी से कहीं जाना नहीं जाने की तय्यारी नहीं करनी हमारा दिल ज़रा उकता गया था घर में रह रह कर यूँही बाज़ार आए हैं ख़रीदारी नहीं करनी ग़ज़ल को कम-निगाहों की पहुँच से दूर रखता हूँ मुझे बंजर दिमाग़ों में शजर-कारी नहीं करनी ©dilkibaatwithamit मुझे रोना नहीं आवाज़ भी भारी नहीं करनी जिंदगी की कहानी में अदाकारी नहीं करनी हवा के ख़ौफ़ से लिपटा हुआ हूँ ख़ुश्क टहनी से कहीं जाना नहीं जा
मुझे रोना नहीं आवाज़ भी भारी नहीं करनी जिंदगी की कहानी में अदाकारी नहीं करनी हवा के ख़ौफ़ से लिपटा हुआ हूँ ख़ुश्क टहनी से कहीं जाना नहीं जा
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जा रहे हो तुम, फिर लौटकर आओगे, छोड़ता हूँ यहाँ कुछ यादों की किताबें। बेमतलब से अंदाज़, बेपरवाह होकर, जब लौटोगे, वही ख्वाब सजाओगे। छोड़कर जा रहा हूँ तुम्हारे मीठे लम्हे, यकीन है, एक दिन उन्हें ढूंढने आओगे। बेशक होगी तुम्हें मेरे ठिकानों की तलाश, मैं नहीं हूँ, मगर एहसास तुम पा जाओगे। बताएगा हर कोई तुम्हें मेरा पता, पर जीते जी मुझ तक ना पहुँच पाओगे। ©theABHAYSINGH_BIPIN #SunSet जा रहे हो तुम, फिर लौटकर आओगे, छोड़ता हूँ यहाँ कुछ यादों की किताबें। बेमतलब से अंदाज़, बेपरवाह होकर, जब लौटोगे, वही ख्वाब सजाओगे।
#SunSet जा रहे हो तुम, फिर लौटकर आओगे, छोड़ता हूँ यहाँ कुछ यादों की किताबें। बेमतलब से अंदाज़, बेपरवाह होकर, जब लौटोगे, वही ख्वाब सजाओगे।
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मय कसी में डूबकर मैं कहीं तो पहुँचा, तुझ तक ना सही, कहीं और तो पहुँचा। इश्क़ में डूबने पर होश किसको रहता, होश में हूँ जो, अपने घर तक तो पहुँचा। कहाँ आती अब मुझे वो पहले की नींद, यादों में खोकर, मैं तुझ तक तो पहुँचा। सवरने के दिन थे और मैं इश्क़ में डूबा, साहिल की तलाश में, बीच नदी तो पहुँचा। मुकम्मल इश्क़ की गुज़ारिश थी मुझे, इश्क़ में, उसके घर तक तो पहुँचा। तलाश थी मुझे उसके दिल के रास्ते की, मय कसी में ख़ुद की नीलामी में तो पहुँचा। ©theABHAYSINGH_BIPIN #सफ़र मय कसी में डूबकर मैं कहीं तो पहुँचा, तुझ तक ना सही, कहीं और तो पहुँचा। इश्क़ में डूबने पर होश किसको रहता, होश में हूँ जो, अपने घर तक त
#सफ़र मय कसी में डूबकर मैं कहीं तो पहुँचा, तुझ तक ना सही, कहीं और तो पहुँचा। इश्क़ में डूबने पर होश किसको रहता, होश में हूँ जो, अपने घर तक त
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White वर्षों से आग जलती रही, बुझाई नहीं सेज प्यार की हमारी भी सजाई नहीं वक्त ने किस हद तक हाशिए पर रखा हमें, लिखे हजार ख़त, उस तक पहुँचाई नहीं अफवाहों के किस्से फैलते अखबारों में, सच्ची कहानी मेरी, कभी सुनाई नहीं छुपाकर रखा मुझसे मेरे ही राज़ सारे, किसी से भी मेरी कभी लड़ाई नहीं कितना यकीन था, सब मेरे थे यहाँ, मेरी आँखों से वो पर्दा हटाई नहीं उसने भी ढूँढ लिया अकेलेपन की दवा, किए हजारों वादे, पर कोई निभाई नहीं किससे शिकायत करूँ, सभी अपने ही थे, खंजर से भरे हाथ, जो कभी दिखाई नहीं कैसे लिखूँ अपने ही मारे जाने की कहानी, ये राज़, जो खुद से भी बताई नहीं फैसला कहाँ हुआ, मेरी अर्ज़ियों का, झूठ से मेरी कभी रिहाई हुई नहीं हाशिए पर आकर भी यकीन है मुझे, अभय, दुनिया से अभी सच्चाई गई नहीं ©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_quotes वर्षों से आग जलती रही, बुझाई नहीं सेज प्यार की हमारी भी सजाई नहीं वक्त ने किस हद तक हाशिए पर रखा हमें, लिखे हजार ख़त, उस तक पहु
#sad_quotes वर्षों से आग जलती रही, बुझाई नहीं सेज प्यार की हमारी भी सजाई नहीं वक्त ने किस हद तक हाशिए पर रखा हमें, लिखे हजार ख़त, उस तक पहु
read moreKasim Ali Latif
"When patience became the measure of love" - Status "जब सब्र का जाम पी लिया, तो ज़ालिम से कहने का हौसला भी पा लिया। दर्द को अब दोस्त मान लिय
read moreनवनीत ठाकुर
दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे, अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है। मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेरे, अब ये रौशनी भी कुछ धुंधली सी लगती है। कभी जो जुदा हो गईं थीं तमन्नाएँ ए नवनीत, अब वो पूरी हुईं तो कुछ अधुरी सी लगती है। मंज़िल तक पहुँचने की ख़ुशी भी अब ग़म के साए में, अब ये बहार भी कुछ कटीली सी लगती है। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे, अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है। मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेर
#नवनीतठाकुर दिन थे जब ख्वाबों को सिर्फ आँखों में पलते थे, अब हकीकत में मिले तो कुछ अधूरी सी लगती है। मुफलिसी की रातें थीं जैसे स्याह अंधेर
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उलझनों के बीज जो बोके गया वो आज काँटों वाले घने जंगल हो गये कोई खुशी की रोशनी तक मेरी खिड़की पर नही पहुँचे सारे बादल एक साजिश में खड़े हो गये बस एक प्यार करने की इतनी बड़ी सजा भरोसा करना कब हुआ इतना बड़ा गुनाह दिल भी मेरा टूटे ,दुख भी मेरे हिस्से , क्या खुदा तुम भी मुख मोड़े खड़े हो गये ©shayariwaladoctor उलझनों के बीज जो बोके गया वो आज काँटों वाले घने जंगल हो गये कोई खुशी की रोशनी तक मेरी खिड़की पर नही पहुँचे सारे बादल एक साजिश में खड़े हो गय
उलझनों के बीज जो बोके गया वो आज काँटों वाले घने जंगल हो गये कोई खुशी की रोशनी तक मेरी खिड़की पर नही पहुँचे सारे बादल एक साजिश में खड़े हो गय
read moreनवनीत ठाकुर
आँधियों ने भी कई बार राह रोकनी चाही, पर मेरे हौसले ने हर दिवार तोड़ दी। दुनिया ने पूछा कैसे जीते हो हर जंग, मैंने कहा, खुद से हारने की बात छोड़ दी। जो गिरते हैं, वही उड़ना सीखते हैं, जो जलते हैं, वही सूरज बनते हैं। मुझे गिराने की साज़िश हर तूफ़ान ने की, पर मैं हर बार और मज़बूत होकर उठता हूँ। मंज़िलों ने कहा, तुमने हम तक पहुँचने का हक़ पाया, रास्तों ने कहा, तुम्हारे जज़्बे ने हमें झुकाया। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर आँधियों ने भी कई बार राह रोकनी चाही, पर मेरे हौसले ने हर दिवार तोड़ दी। दुनिया ने पूछा कैसे जीते हो हर जंग, मैंने कहा, खुद से
#नवनीतठाकुर आँधियों ने भी कई बार राह रोकनी चाही, पर मेरे हौसले ने हर दिवार तोड़ दी। दुनिया ने पूछा कैसे जीते हो हर जंग, मैंने कहा, खुद से
read moreनवनीत ठाकुर
सूरज हूँ, हर शाम ढलता ज़रूर हूँ, पर हर सुबह फिर से जलता ज़रूर हूँ। जितनी बार गिरा हूँ, उतनी बार सीखा हूँ, हर चोट ने मुझे और सशक्त किया, ज़रूर हूँ। राहें कांटों से भरी हों, फिर भी चलता हूँ, तक़दीर खुद की बदलता ज़रूर हूँ। दूरियाँ चाहे जितनी बढ़ें मुझसे, वो मेरी मंज़िल, फिर भी मेरे कदमों तक पहुँचता ज़रूर हूँ। लहरों से डरकर मैं किनारे नहीं बैठता, तूफ़ान से भी टकराता ज़रूर हूँ। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर सूरज हूँ, हर शाम ढलता ज़रूर हूँ, पर हर सुबह फिर से जलता ज़रूर हूँ। जितनी बार गिरा हूँ, उतनी बार सीखा हूँ, हर चोट ने मुझे और सश
#नवनीतठाकुर सूरज हूँ, हर शाम ढलता ज़रूर हूँ, पर हर सुबह फिर से जलता ज़रूर हूँ। जितनी बार गिरा हूँ, उतनी बार सीखा हूँ, हर चोट ने मुझे और सश
read moreनवनीत ठाकुर
White अंधेरों में उजाले का खिलना, दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी। कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना, ज़िंदगी के इस सफर में संभलना ज़रूरी। मंज़िल तक पहुँचने के लिए रास्ते हों या कांटे, हर फिज़ा में संघर्ष का होना ज़रूरी। हर असफलता से कुछ सीखा है, सच्चाई यही, अच्छे दिन आने तक मेहनत का होना ज़रूरी। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर अंधेरों में उजाले का खिलना, दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी। कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना, ज़िंदगी के इस सफर मे
#नवनीतठाकुर अंधेरों में उजाले का खिलना, दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी। कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना, ज़िंदगी के इस सफर मे
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