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Harshit Ranwal

शीर्षकहीन ज़िन्दगी #Life #Death #Poetry #hindiwriteups #harshitwrites #lifelines #Untitled

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शीर्षकहीन ज़िन्दगी

झूठ-फरेब सब देखा मैंने, क्या मोल बिका सच का जुमला, मैंने देखा खेल धर्म का, ईमान को बिकते देखा मैंने, समय के चक्र में भ्रम किस्मत के पासे का, अब क्या मोल रहा इंसान, जब आँसुओ को बिकते देखा मैंने।
किसी उम्र में हर कोई कवि होता है, अपने धोखे की कहानी हर कोई लिखता है, किसी के शब्दों का काफिला भरे बाजार नीलाम होता है, किसी मूक की मजबूरी पर सारा ज़माना हँस-हँस कर हर दर की ठोकरे देता है।
किसी ने पूछा मुझसे कागज़ के टुकड़ो का यहां क्या मोल? मेरे दोस्त ये ऐसी दुनिया यहां बिन कौड़ी मौत भी बेमोल, यहां दाह खातिर श्मशान में भस्म हुई लकड़ी का भी मोल है, यहां गंगा की कोख में राख मिलाने का भी मोल है, दिल यही सोच बेचैन है क्या यहां सिर्फ तेरे-मेरे भावो का मूल ही बेमोल है?
एक बुझती लौ ने भी किसान के घर की राख बना दी, किसी के खेत की फसल को चिंगारी ने आग लगा दी, मेरे सीने में उठी ताप को सूर्य की गर्मी ने जब पछाड़ दिया, ज़मीन का सीना चीर खिलाने वाले भगवान को ज़हर का घूँट उतार दिया।
आज देखा मैंने किस्मत का मोल, यहां बिक गया घर किसी का, ना हो पाया पूरा, तराजू में जब पैसो का तोल, किसी की जान से किसी का मान ज्यादा कीमती है, भावहीन है व्यापारी, ज़हन में इंसानियत भरी बात कहाँ पहुँचती है।
मैंने उठायी है किसी अपने की अर्थी, शोक के माहौल में बात बेबसी है जहाँ करती, ज्यादा है यहां जिम्मेदारियों का बोझ, हर साँस के साथ बढ़ता गया बोझ, हर राह करता गया मैं सुकून की खोज।
किसी की राख उड़ किसी कब्र की मिट्टी में मिल गयी, मजहब की लगाई आग आखिर आज बुझ गयी, धड़कने बनाने वाला कागज़ फिर कोरा रह गया, बीच राह ठहर गयी ज़िन्दगी, वक़्त का पहिया रुका रह गया, कोई रूठ गया मुझसे कोई उदास रह गया, मेरी साँसें भी अंत समय उखड़ गयी, मृत्यु ने अपनाया जब ज़िन्दगी बीच राह आकर मुकर गयी। 

Harshit Ranwal© शीर्षकहीन ज़िन्दगी #life #death #poetry #hindiwriteups #harshitwrites #lifelines #untitled

mautila registan(Naveen Pandey)

किस राह पर जाऊं,
प्रश्न है मेरा जीवन इसे कैसे सुलझाऊं?
मन की राह पर चल नही सकता
उसमे भय है, दोष है कायरता
साहस है कोसों दूर कैसे पास बुलाऊं
प्रश्न है मेरा जीवन इसे कैसे सुलझाऊं....।

हर्ष की आकांक्षा तक सो गई है
साहस और प्रेम से विरक्त सा हूं
जिजीविषा की एका एक मृत्यू हो गई है
इस एकाकी, अनंत अंधकार से कैसे बाहर आऊं
प्रश्न है मेरा जीवन इसे कैसे सुलझाऊं...।

जहा तक देखता हूं बस तमस दिखता है
मेरे अक्षम प्रणों का शव दिखता है
आलस्य, असत्य और शोक दिखता है
स्वयं से बढ़ता हुआ क्षोभ दिखता है
इस कुंठा की अग्नि से कैसे बाहर आऊं
प्रश्न है मेरा जीवन इसे कैसे सुलझाऊं....।

©mautila registan #जीवन #प्रश्न #nojohindi #selfhate 

प्रश्न

Sushil pandey

Amit Singhal "Aseemit"

Manmohan Dheer

प्रश्न

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प्रश्न हो तुम दग्ध हॄदय लगते हो
प्रेम वेदना में मुग्ध हॄदय लगते हो
शीत कणों के आवरण में किन्तु
अनुरक्त तप्त हॄदय लगते हो
लौटो कि परिणाम प्रेम मात्र है
व्यर्थ ही विरक्त हॄदय लगते हो
.
प्रश्न लगते हो
.
धीर

 प्रश्न

R K Mishra " सूर्य "

Ganesh Din Pal

🌹🤔इम्तिहान जिंदगी का हो या परीक्षा का प्रश्न दोनों के बड़े कठिन होते हैं,
पर धैर्य से किए जाएं तो दोनों हल हो जाते हैं।😌🌹

©Ganesh Din Pal #प्रश्न#

Sachin Zanje

प्रश्न

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एका प्रश्नातून किंवा उत्तरातून 
अनेक प्रश्न निर्माण ही होतात.
तसेच अनेक प्रश्र्नांची उत्तरे ही मिळतात.
पण तुम्ही त्याकडे कशाप्रकारे  बघता 
ह्यावर अवलंबून असते.
सचिन झंजे.. प्रश्न

दीपक शुक्ला

प्रश्न

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एक बात पूछनी है🤔🤔
असफलता के झूठे डर से, बोलो क्या झुक जाऊं मैं?
चढ़ आई गोधूली देख धरा में, बोलो क्या छुप जाऊं मैं?
–शुक्ला विशाल
 प्रश्न

Snigdha Rudra

प्रश्न #शायरी

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ऐ जिदंगी
    बहुत प्रश्न है तेरी किताबों में
   कुछ तो हल किये मैंने
कुछ के लिए अभी वक़्त लगेगा प्रश्न
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