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Chintoo Choubey
हाँ! मैं शायद दु:ख को नहीं जानता, हाँ! शायद भावनाओं को नहीं मानता, हाँ! शायद खुद ही से खेल रहा हूँ मैं, बस ऐसे ही जी रहा हूँ मैं, हाँ! भोग यहीं हैं,दर्द भी यही हैं, हाँ! राज यही है, रंंक यही है, हाँ! शायद खुद ही से लड़ रहा हूँ मैं, बस ऐसे ही जी रहा हूँ मैं, हाँ! लब्ज़ ये कागजी है, हाँ! मर्म ये आपसी है, हाँ! मैं नहीं जानता हूँ तुम्हे,उसे,किसी को, हाँ! शायद सब को भूल गया मैं, बस ऐसे ही जी रहा हूँ मैं, परिचय खुद से
परिचय खुद से
read moreDamodar dewal
एक कड़वा सच बताऊं मैं आपको जब सर पर जिम्मेदारी आती है ना तो सच्ची मोहब्बत भी बोझ लगने लगती है कड़वा है लेकिन सच है... ©Damodar dewal जीवन से परिचय #droplets
Raj Kishor Verma ✍️
🌸 अपरिचित से परिचय 🌸 परिचय मोहताज़ नहीं होता सफर है जिंदगी अब इंतजार नहीं होता , बस इतना हीं तो पूछा था क्या है हालचाल परिवार का पूछना कभी अवसाद नहीं होता । शिरक़त करने कितने आये अभिवादन में ही भड़क गए , रश्क़ ! कैफियत के दरम्यां ! खुद के ही होकर बिखर गए । गुनाह अभिवादन में था या की नफ़्ज़ की रुख्सियत , अपने पराये का हीं एक दर्द है ! वरना हर ज़ख्म असरदार नही होता । अश्क़ छलके हैं या शुष्क है ये नैना कहते हैं नभ में आज चाँद दिखा है , बारिश हो गए हैं फिर से शायद इंद्रधनुष की सौंदर्य यूँ बेकार नहीं जाता । इबादत में भी वही दुआ करो जो ज़ख्म ना दे कोई अपरिचित को , अजीब सी है दास्ताने जिंदगी वरना आपस में यूँ दरार नहीं होता !! ✍️ राज किशोर वर्मा दिनाँक: 14- 09- 2020 ©Raj Kishor Verma ✍️ अपरिचित से परिचय 🍁 #InspireThroughWriting
अपरिचित से परिचय 🍁 #InspireThroughWriting #अनुभव
read moreYogesh Malviya
#emotionalstory सफलता दुनिया से आपका परिचय कराती हैं और असफलता आपको दुनिया से परिचय कराती। #कविता
read moreAnuj Ray
जब से तुमसे परिचय हुआ है, खुल गए हैं द्वार मेरी किस्मत के। बदल गई है ज़िन्दगी पल भर में, मुस्कुराते हुए आई है रुत बहार की । शुरू हुआ है दूर मुलाकातों का , करते हैं मुश्किल से पल इंतज़ार के। ©Anuj Ray जब से तुमसे परिचय हुआ है,
जब से तुमसे परिचय हुआ है, #लव
read moreEk villain
लोकनाट्य नौटंकी शब्द सुनते ही सबके मन में अपने अपने अनुभव के आधार पर कुछ अभी अंकित हो जाती हैं कभी ढोल नगाड़े के साथ मंच पर हो रही प्रस्तुति तो कभी बांसुरी की धुन के साथ यूं ही कुछ लोगों की भीड़ के बीच अपनी कला का प्रदर्शन करते लोगों की टोली नौटंकी कला को संगीत भी कहा जाता है जो कई रूपों में हमारे समाज का हिस्सा बन चुकी है मनुष्य अन्य सभी प्राणियों से अलग इसलिए है क्योंकि उसके अंदर भाव है और वह मनोरंजन चाहता है समय के साथ जैसे-जैसे मनोरंजन के साधन बढ़ते गए नौटंकी का प्रसार कम होता गया डॉ वीरेंद्र कुमार चंद्र सखी ने अपनी पुस्तक संगीत के विवाद आया में एक नौटंकी के विवाद रूपों को दर्शाया है अपने साधनों में इसकी अलग-अलग रूपों कोहबर गीत किया है इसमें संगीत की ऐतिहासिक को विश संप्राण स्थापित किया गया इसके अभाव और विकास क्रम को समझने में यह पुस्तक विशेष रूप से सहायक हो सकती है नौटंकी का नाट्यशास्त्र विवेचन इस पुस्तक की सबसे बड़ी सुदन सुदन सुदन स्वतंत्रता ऐसे लिखे पुस्तक क्योंकि जिस तरह से नौटंकी समाज को प्रतिनिधित्व करती है उसी तुलना में इसे इतना सम्मान नहीं मिला अभी जाता यह वर्ग में इस है रे दृष्टि से देखा बहुत विचारक इसे साहित्य की श्रेणी में रखने से कोई भी कर रहे हैं लेखक ने नौटंकी के काव्य सौष्ठव योजना और इसे देखने वाले सामाजिक प्रतिबिंब तक सभी व्यक्तियों को विस्तार से अपनी पुस्तक में समेटने का प्रयास किया ©Ek villain #लोकनाट्य की कला से परिचय #Love
अर्पिता
जब हम किसी से बात कर रहे होते है, तब हम अपने आसपास के वातावरण का परिचय दे रहे होते हैं...... ©अर्पिता #परिचय