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Payal Vartak
Author kunal
2122 2122 212 गुल-फ़िशानी से बियाबाँ हो गया उसके जाते ज़र्द तिफ़्लाँ हो गया वो मुझे अबतक रफ़ू कर ढूँढती कोई कह दो मैं नयस्ताॅं हो गया रूबकारी में हुई झूठ मुद्द’आ बस सितमगर इक मुसलमाॅं हो गया डर समाया था कभी इस रास्त से सो करम से लाश सोज़ाँ हो गया आब-ओ-गिल था क़सम से कामिल पर वो छूई तो मैं शबिस्ताॅं हो गया ©Author kunal गुल-फ़िशानी / से बियाबाँ / हो गया 2122 / 2122 / 212 उसके जाते / ज़र्द तिफ़्लाँ / हो गया 2122 / 2122 / 212 वो मुझे अब /तक रफ़ू कर / ढूँढती
Ashutosh Mishra
राजा हो श्री राम जैसा,बेटा हो श्री राम जैसा, भाई हो श्री राम जैसा,मित्र हो श्री राम जैसा, सेना नायक हो श्री राम जैसा,पति हो श्री राम जैसा। धर्मात्मा भी राम जैसा,दानी भी राम जैसा क्यों राम राम राम राम आखिर क्यों राम जैसा ही हो, रावण, जैसा क्यों नहीं, इन्द्र जैसा,कंस जैसा क्यों नहीं। रावण तो महाप्रतापी राजा और महान पंडित था,वह भगवान शिव शंकर का अन्नय भक्त था, उसने शिव तांडव स्तोत्र जैसे महा काव्य की रचना की, उसने प्रचंड तप कर बहुत से वारदान और शक्तियां प्राप्त की थी, फिर भी कोई रावण सा राजा, बेटा, भाई,मित्र, नहीं चाहता, कारण रावण का जन्म तो ब्रह्मण कुल में हुआ था पर कर्म, राक्षसों जैसे हो गए थे। अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #Ramnavami कहने का अभिप्राय यह है कि श्री राम जो साक्षात साक्षात भगवान स्वरूप थे,पथ्वी पर जब मनुष्य रुप में जन्मे तो श्रीराम ने उन्होंने
Jotiram Sapkal
PARBHASH KMUAR
अभिषेकात्मक अनुष्ठान, सदा शिव की आराधना एवं स्तुति में विशेष महत्व रखता है। लेकिन क्या आपको पता है, शिवलिंग का जलाभिषेक क्यों किया जाता है? ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को जल बहुत प्रिय है। यही कारण है, कि मंदिरों में शिवलिंग के ऊपर एक बर्तन लटका दिया जाता है, जिससे पानी टपकता रहता है। लेकिन इसके पीछे का कारण क्या है। इस प्रश्न के उत्तर के लिए लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें- शास्त्रों के अनुसार,शिवलिंग में मौजूद ऊर्जा को शीतलता देने के लिए जलाभिषेक किया जाता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है की शिवलिंग पर जल चढ़ाने से वहां मौजूद नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है, लेकिन यहां किस शीतलता और ऊर्जा की बात हो रही है? बताते हैं, लेकिन उससे पहले एक पौराणिक कथा का ज़िक्र करते हैं। जब भगवान शिव ने विषपान किया था, तो उनका शरीर और मस्तिष्क गर्म हो गया था, तब देवताओं ने उनके ऊपर जल अभिषेक कर उन्हें शीतल किया। यहां मस्तिष्क गर्म होने से आज के दौर में अभिप्राय है, हमारी नकारात्मक सोच और नकारात्मक भाव। और यहां जल चढ़ाकर शीतल करने का अर्थ है, नकारात्मक शक्तियों को मन और मस्तिष्क के भीतर से बहाकर बाहर कर दिया जाए और स्वयं को शीतल किया जाए। आपने देखा होगा की जब आपको गुस्सा आता है, तो आपको पानी पीने की सलाह दी जाती है, चाय या कॉफ़ी पीने की सलाह क्यों नहीं दी जाती? क्योंकि पानी पीने से आपका मन और मस्तिष्क शांत हो जाता है। आपको मालूम होगा की मनुष्य के माथे में मध्य में आज्ञाचक्र होता है, जो पिंगला और इंडा नाड़ियों के मिलने का स्थान होता है और वहीं से आपके सोचने और समझने की क्षमता संचालित होती है, आयुर्वेद की चिकित्सा में भी, शिरोधारा मस्तिष्क को शांत करती है और हमारे शरीर में मौजूद 5 तत्व- पृथ्वी , जल, अग्नि, वायु, और आकाश, अंदर के तत्वों को विनियमित करते हैं। लेकिन इन तत्वों को संतुलित करने के लिए मन का शांत और शीतल होना ज़रूरी है। यह तभी संभव है, जब आप ओंकार का ध्यान करते हैं, जिससे आपके शरीर की ऊर्जा और मौजूद तत्व संतुलित हो जाते हैं। यही शांत मन ही तो शिव का स्थान है, और यही सकारात्मक ऊर्जा हमें, हमारे मन और सोच को शांत रखने में सहायक होती है। हम जल तो भौतिक स्तर पर डालते हैं, लेकिन वास्तव में यह जल हम अपने भीतर मौजूद सूक्ष्म स्तर पर डालते हैं। जो हमें एक स्वस्थ और उन्नत भविष्य की ओर ले जाता है। यही कारण है कि,भगवान शिव पर जल चढ़ाया जाता है, जो उनको शीतलता प्रदान करती है और जो हमारे अंतर्मन को भी शीतलता का अनुभव कराती है और उन्हें जागृत करने में हमारी मदद करती है । क्योंकि जीवन में सबसे अहम पल वो होता है जब हम अपनी ताकत को पहचान लेते हैं। तो चलिए, अपने जीवन के दुःख दर्द भोले शंकर के पास छोड़ दें। वो भोले हैं, शक्तियों का स्रोत हैं, सभी के जीवन में खुशियों का संचार करेंगे। श्रावण माह में आप भी भगवान शिव का अभिषेक कर अपने भीतर के शिवमय वातावरण को जागृत करें। ©parbhashrajbcnegmailcomm अभिषेकात्मक अनुष्ठान, सदा शिव की आराधना एवं स्तुति में विशेष महत्व रखता है। लेकिन क्या आपको पता है, शिवलिंग का जलाभिषेक क्यों किया जाता है?
Jotiram Sapkal
Neophyte
क्या है तुम्हारी ज़िन्दगी का अभिप्राय पूछा है? करोगे न मेरी परवरिश से न्याय पूछा है? लगता है अब मैं बड़ा हो गया हूँ मेरे पिता ने मुझसे मेरा राय पूछा है जो सुलझा लेता हो सबकी ज़िन्दगी के मांझे वो मुझसे अपनी समस्या का ऊपाय पूछा है वो शख़्स जिसके इशारों से सूरज उगे,सूरज ढले आज देखो हो कर कितना असहाय पूछा है कुछ गुरूर बाकी है उनमें बाप वाला अभी पूछा सब कुछ है,बस अपर्याय पूछा है ©क्षत्रियंकेश अभिप्राय!
Rakesh Srivastava
आशा और विश्वास कभी गलत नहीं होते..... बस यह हम पर निर्भर करता है कि ........ हमने किससे आशा की और किस पर विश्वास किया..... ©Rakesh Srivastava अभिप्राय #WorldEmojiDay2021