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आलोक कुमार
आखिरी फैसला मित्रों....बस यूँ ही चलते-चलते अपने देश में विभिन्न सरकारों द्वारा किसी सन्दर्भित विषय पर लिए गए फैसलों में से किन फैसलों को आप चिरस्थायी काल तक विद्यमान रहने एवं सभी भारतवासियों द्वारा स्वीकार्य फैसला मानते हैं और जिसे "आख़िरी फ़ैसला" की संज्ञा देने की बात मन में दौड़ाने की कल्पना कर सकें. शायद ऐसा कोई फैसला दूर-दूर तक अब तक नजर आया ही नहीं. तो फिर आख़िरी फ़ैसला का तो जिक्र करना बेवकूफ़ी और मूर्खतापूर्ण भरी ही परिपाटी होगी. तो फिर "आख़िरी फ़ैसला" का प्रारुप, आलेख एवं श्रोत का माध्यम किसे बनाना उचित होगा. जैसा कि अब तक संविधान रूपी मानव के दिशानिर्देशों एवं प्रावधानों के आधार पर "आख़िरी फ़ैसला" दिया जाता रहा है, जो कि एक-दूसरे के लिए वर्ग के आधार पर खुद में ही अलग-थलग हुआ है. अब सत्तर साल गुज़र चुके हैं, जो कि वर्तमानकालीन वातावरण के अनुसार मानवों के औसत उम्र 60 वर्ष से 10 वर्ष ज्यादा भी हैं. इसलिए अब नए वातावरण के अनुसार संविधान रूपी मानव की पदस्थापना करना अत्यावश्यक होना भी लाज़िमी हो गयी है. मेरा मानना है कि यह इक्कीसवी शताब्दी की पहली "आख़िरी फ़ैसला" बन जाएगी. सधन्यवाद............... "इक्कीसवी शताब्दी का बड़ा ही निहितार्थ एवं चरितार्थ पहला 'आख़िरी फ़ैसला'"
Ajay Raja
यन्हा जिस मुल्क में हिंदू मुस्ल्मा साथ रहते हैं मोहब्बत से उसे हम यार हिंदुस्तान कहते हैं अजय राजा"रायबरेलवी" 6394670667 ________________ ❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️ ©Ajay Raja अखंड भारत प्यारा भारत हम सब का भारत
manisha suman
आलेख....आज का स्वतंत्र भारत **************************** हमारा देश भारत है,नदी गोदावरी-गंगा, लिखा भूगोल पर युग ने हमारा चित्र बहुरंगा। कवि...आरसी प्रसाद सिंह इन पंक्तियों में व्याखित भारत का भौगोलिक विस्तार मानो विधाता की कलाकारी का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। सोने की चिड़ियाँ कहा जाने वाला हमारे वैभवशाली देश को सदियों की दासता और गुलामी की काली छाया ने मलीन कर दिया था परंतु इक्कीसवीं सदी की दहलीज पर खड़ा हमारा देश विकासशील देशों की श्रेणी से निकल कर बड़ी तेजी से प्रगती पथ पर चलते हुए विकसित देशों की श्रेणी में अपना नाम दर्ज कराने में अग्रणी रहा है। आज का भारत अंतरिक्ष से लेकर चिकत्सकीय अनुसंधान में विश्व के कंधों से कंधा मिलाकर खड़े होने की क्षमता रखता है। आज देश के गाँव के कोने - कोने में कंप्यूटर क्रांती ने बदलाव की हवा को स्वीकार किया है। सरकारी क्षेत्र हो या ग्रमीण पंचायत या ब्लॉक सभी क्षेत्रों में कंप्यूटर पर कार्य को नेटवर्क से जोड़कर कर किया जा रहा है। बड़े -बड़े उद्योग घरानों ने मल्टीनेशनल कंपनीयों का दर्जा हासिल कर विदेशों में अपनी धाक जमायी है। भारत औद्योगिक जगत में आँठवा , परमाणु उर्जा में छटा और अंतरिक्ष विज्ञान में पाँचवा स्थान प्राप्त कर सफलता की दिशा में निंरतर आगे बढ़ता जा रहा है। विगत वर्ष 2019 में 22 जुलाई को इसरो ने 3840 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 को जीएसएलवी MK-III M1 रॉकेट से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया था। जिसने पूरी दुनिया में भारत की अंतरिक्ष शक्ती का लोहा मनवाया। इसी वर्ष 15 फरवरी को पहली बार 104 उपग्रह एक साथ अंतरिक्ष में इसरो द्वारा भेजे गए है। इस सफल प्रक्षेपण में भारत के 3 सैटेलाइट शामिल है, जब कि इनमे अमेरिका के अलावा इजरायल, हॉलैंड, यूएई, स्विट्जरलैंड और कजाकिस्तान के भी सैटेलाइट शामिल हैं.104 उपग्रहों में अमेरिका के 96 उपग्रह शामिल है। केवल अंतरिक्ष में ही नही बल्कि इसी साल भारतीय वैज्ञानिकों ने विदेशी वैज्ञानिकों के साथ मिल कर गेहूं के जीनोम को सीक्वेंस किया। गेहूं का जो जीनोम है वो बहुत बड़ा है। भारतीय वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक दिल्ली और लुधियाना की लैबॉरेट्री में इस जीनोम को सीक्वेंस किया। इस सफलता से भारत को अपनी खाद्य सुरक्षा को पुख्ता करने में मदद मिलेगी। ज्ञान ,आध्यात्म,कला ,संस्कृति ,साहित्य में विश्व पटल पर अपनी अद्भुत बहुरंगी आभा बिखेरता हमारे देश भारत की मूल शक्ती ,यहाँ के जन गण मन में बसा दर्शन ही है जो विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश देता है। वेदों ,उपनिषदों,महाभारत , रामायण मात्र धार्मिक ग्रंथ ना होकर बल्कि दिशा निर्देश व मार्गदर्शन करने वाली आचार संहिता है जो हमें संसार में शांति ,सुरक्षा सद्भाव के लिये प्रेरित करती है। आज विश्व भयंकर वायरस कोरोना से त्रस्त है । जहाँ विश्व के विकसित राष्ट्र इसके आगे घुटने टेक दिये हैं ,वहीं हमारा देश भारत ने इसके खिलाफ युद्ध छेड़ते हुए न केवल इसका सफल टीका (वैक्सीन) बनाई बल्कि दुनिया की विशालतम जनसंख्या वाले देश में १०० करोड़ टीके के लक्ष्य को पूरा करते हुए ,इस संक्रमण को रोकने में सफलता प्राप्त की है। यह हमारे मनोबल ,आधयात्म व इच्छा शक्ति की विजय का शंखनाद ही है। हमारे देश के प्राचीन ज्ञान, विज्ञान की विजय पताका आज पूरे विश्व में लहरा रही है। हमारे देश मेें अपनी दिव्यता की छटा बिखेरते एक ओर मुनि गौतम ,कनाद, कपिल, चैत्नय,रामानुज,आर्यभट्ट हैं तो दूसरी ओर वालमीकि , व्यास, गौतमबुद्ध , कालिदास, कबीर, रहीम और तुलसीदास जैसे महाज्ञानियों के कारण भारत की विजय-वैजयंति संसार में फहरा रही है। अत: हमार स्वतंत्र आत्मनिर्भर भारत आत्मोन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हुए ,विश्व गुरू की भूमिका निभाने को अग्रसर है। --- मनीषा 'सुमन' ©manisha suman #आज का भारत
PRAVEEN YADAV
इतिहास भाग 1 भारत का इतिहास उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में समुद्र तट तक फैला यह एक उपमहाद्वीप को भारतवर्ष के नाम से जाना जाता है, जिसे महाकाव्य तथा पुराणों भारतवर्ष या भरत का देश तथा यहां के निवासियों को भारती या भरत की संतान कहा जाता हैं| यूनानियों ने भारत को इंडिया तथा मध्यकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने हिंद या हिंदुस्तान के नाम से बुलाया है | अध्ययन की दृष्टि से भारत के इतिहास को 3 भागो में बाटा गया है 1 प्राचीन इतिहास। 2 मध्यकालीन इतिहास। 3 आधुनिक इतिहास। ©PRAVEEN YADAV भारत का इतिहास
Rashid Dhanbad Vlogs
आप का उत्तर किया है कमेंट कर ©Rashid ali 786 भारत का मिठाई
शुभ'म
अटल हिन्द के जमीं पर, शेर ही जन्म लिया करते हैं, गीदड़ो का तो शौक है, जो शेरों को ही अक्सर घेर लिया करते हैं, अब मैं सत्तर के दशक का बच्चा वाला शेर नही हूँ, मन मे जब चाहा तब उठा के, इधर-उधर कर दिया ऐसा कोई ढेर नही हूँ..... दुनिया ने इक्कसवी सदी मेरे नाम की है, मैने भी दुश्मनों के घर मे घुसकर मारने की, अपनी नई परम्परा को सारेआम की है, तुमने क्या सोचा डोकलाम, लद्दाख ऐसे ही निगल जाओगे, मगर अब मै तुम्हे एेसा काटूँगा, कि तुम तिब्बत सहित सब बाहर उगल जाओगे.... अरे नेपाल को कितना बहकाओगे, वह तो भाई है हमारा, रोटी-बेटी के रिश्ते मे, आखिर काम क्या है तुम्हारा.... तुमनें अगर अपनें फूटनीति के खोपड़ी में, ड्रैगन जहरीला डाला है, तो हमनें भी अपने वीरत्व मष्तिक में, हाथी और शेंर पाला है.... आखिर पाकिस्तान को कब तक, चमचा बनाओगे अपना तुम, उसे तो मैं बहुत बार धोया हूँ, लेकिन इस बार उसे और जबरदस्त तरिके से, धोनें का प्लान है हमारा, उसके बाद अपनी चाल को समझ कर चलना, अब तो दफन होने का समय भी आ गया है तुम्हारा, अब तो दफन होने का समय भी आ गया है तुम्हारा....!! -Sp"रूपचन्द्र" भारत का चेतावनी
himani panchal
क्या ये उन सपनों का भारत है? जो हमनें- तुमने देखा था! सदियाँ बीत गईं, फिर भी ना कोई बदलाव हुआ। तु कल भी पैदल चला था, तु आज भी पैदल चल रहा। वो बंटवारे की त्रासदी थी, ये अच्छे दिनों का भारत है । #सपनों का भारत