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Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).
White सिर्फ सोच का ही फर्क है, वरना समस्याएँ आपको कमजोर नहीं मजबूत बनाती है...! ©Krishna Deo Prasad. ( Advocate ). #Night #सिर्फ सोच का ही फर्क है वरना समस्याएँ आपको कमजोर नहीं मजबूत बनाती है...!
Shivkumar
Black मेरी कविता मेरे विचार, इसके सिवा नहीं कुछ यार । मैं जो कुछ भी देख रहा हूं, वही लिख रहा केवल यार ।। दुनिया क्या कहती है यार, मुझको नहीं कोई परवाह । वाह-वाह के लिए न लिखता, मैं सबकी करता हूं परवाह ।। सोए जन जागे सब यार, यही सोचता हूं मैं यार । आए दिन हम लिखते रहते, मेरी कविता का समझो सार ।। स्वयं में पहले करो सुधार, मैं यही बात समझाऊं यार । स्वयं को कमजोर न समझें, जो तुम हो वह कोई ना यार ।। पीछे मुड़कर नहीं देखना, आगे केवल निहारों यार । कवि होरीलाल विनीता लिखें, जरा ज्ञान बढ़ाओ थोड़ा यार ।। ©Shivkumar #Thinking #think #Nojoto #nojotohindi #दिलकीबातशायरी143 मेरी कविता मेरे #विचार इसके #सिवा नहीं कुछ यार मैं जो कुछ भी देख रहा हूं वही लि
Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).
यह सोचकर कभी कमजोर मत पड़ना कि आप अकेले हो बल्कि यह सोचकर डटे रहना कि आप अकेले ही काफी हो। ©Krishna Deo Prasad. ( Advocate ). #trafficcongestion #यह सोचकर कभी कमजोर मत पड़ना कि आप अकेले हो बल्कि यह सोचकर डटे रहना की आप अकेले ही काफी हो।
amnewsnational
AM news national ©amnewsnational *IYC प्रेस विज्ञप्ति:* *विपक्ष को कमजोर करने के लिए टैक्स आतंकवाद का सहारा ले रही है भाजपा: श्रीनिवास बी वी।* *केंद्र सरकार अलग-अलग तर
Arun Mahra
इंसान अकेला जीना कब सीखता है जब उसको सबसे पहले अपना घर में मां बाप छोड़ देता है और अपना घर से निकल देता है तब वो जिंदगी में सबसे पहले अकेला जीना सीख जाता है सबसे आगे ©Arun Mahra जो इंसान अकेला जीना सीख जाता है वो किसी इंसान से कमजोर नहीं होता है
Sangeeta Kalbhor
Village Life ये कहाँ की है रवायते जो समझ नही आ रही है सता रही है एक चिंता जो बताने नही दे रही है..... माना कि मैं कमजोर नही विचारों एवं इरादों से तंग चल रही है सेहतभरी हवा कैसे बच पाऊँगी विवादों से शांत , सरल रहना पसंद करती हूँ मैं आरोग्य से भरपूर प्रेम करती हूँ मैं मुझे मेरे मैं से फकत इतना पूछना है मुझे यूं कबतक विवादों से झूजना है..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor ये कहाँ की है रवायते जो समझ नही आ रही है सता रही है एक चिंता जो बताने नही दे रही है..... माना कि मैं कमजोर नही विचारों एवं इरादों से तंग च
Manya Parmar
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ । माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।। दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ । धूल में फूल खिलाने के लिए रहता हूँ ।। शहर में मैं नही जाता कमाने को पैसे । हाथ बापू का बटाने के लिए रहता हूँ ।। जानता हूँ दूरियों से खत्म होगें रिश्ते । मैं उन्हें आज बचाने के लिए रहता हूँ ।। हर जगह जल रहे देखो आस्था के दीपक । मैं उन्हीं में घी बढ़ाने के लिए रहता हूँ ।। कितने कमजोर हुए हैं आजकल के रिश्ते । उनको आईना दिखाने के लिए रहता हूँ ।। कुछ न मिलता है प्रखर आज यहाँ पे हमको । फिर भी इनको मैं हँसाने के लिए रहता हूँ । ११/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ । माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।। दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ । धूल में फूल