Nojoto: Largest Storytelling Platform

New नका समजू आम्हा कमजोर Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about नका समजू आम्हा कमजोर from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, नका समजू आम्हा कमजोर.

    PopularLatestVideo

Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).

#Night #सिर्फ सोच का ही फर्क है वरना समस्याएँ आपको कमजोर नहीं मजबूत बनाती है...! #मोटिवेशनल

read more
mute video

Shivkumar

Thinking think nojotohindi दिलकीबातशायरी143 मेरी कविता मेरे विचार इसके सिवा नहीं कुछ यार मैं जो कुछ भी देख रहा हूं वही लि

read more
mute video

Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).

#trafficcongestion #यह सोचकर कभी कमजोर मत पड़ना कि आप अकेले हो बल्कि यह सोचकर डटे रहना की आप अकेले ही काफी हो। #मोटिवेशनल

read more
mute video

amnewsnational

*IYC प्रेस विज्ञप्ति:* *विपक्ष को कमजोर करने के लिए टैक्स आतंकवाद का सहारा ले रही है भाजपा: श्रीनिवास बी वी।* *केंद्र सरकार अलग-अलग तर #न्यूज़

read more
mute video

Arun Mahra

जो इंसान अकेला जीना सीख जाता है वो किसी इंसान से कमजोर नहीं होता है #Life

read more
mute video

Navdeep Baba

इतना कमजोर रक्त नहीं है❌viral #Google #nojota #कोट्स

read more
mute video

Sangeeta Kalbhor

ये कहाँ की है रवायते जो समझ नही आ रही है सता रही है एक चिंता जो बताने नही दे रही है..... माना कि मैं कमजोर नही विचारों एवं इरादों से तंग च #शायरी

read more
mute video

Bachan Manikpuri

कमजोर न बने #ज़िन्दगी

read more
mute video

Manya Parmar

बेटी प्यार में पड़ती है वो सभी को दिखता है लेकिन उसे दिनभर काम में लगाना, बेटे के काम भी उससे कराना, घर बाहर का सब काम करने की योग्यता रखने #घरेलूहिंसा #hunarbaaz #MissionMaanyMaang

read more
mute video

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ । माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।। दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ । धूल में फूल #शायरी

read more
ग़ज़ल :-
घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ ।
माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।।

दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ ।
धूल में फूल खिलाने के लिए रहता हूँ ।।

शहर में मैं नही जाता कमाने को पैसे ।
हाथ बापू का  बटाने के लिए रहता हूँ ।।

जानता हूँ दूरियों से खत्म होगें रिश्ते ।
मैं उन्हें आज बचाने के लिए रहता हूँ ।।

हर जगह जल रहे देखो आस्था के दीपक ।
मैं उन्हीं में घी बढ़ाने के लिए रहता हूँ ।।

कितने कमजोर हुए हैं आजकल के रिश्ते ।
उनको आईना दिखाने के लिए रहता हूँ ।।

कुछ न मिलता है प्रखर आज यहाँ पे हमको ।
फिर भी इनको मैं हँसाने के लिए रहता हूँ ।
११/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ ।
माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।।

दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ ।
धूल में फूल
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile