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Stories related to candlelight cigars 10

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Kavita Purohit

एक अकेला, मै ना हारा ,
काटू तम अंधियारा,
साथी दीपक लुप्त हो गए,
वो थके, जिता अंधियारा,
एक अकेला, मै ना हारा,
तम से लड़ा,अरूणांचल तक,
हुई रवि किरण, तम हारा,
एक अकेला, मै ना हरा,
काटू तम अंधियारा।

©Kavita Purohit #CandleLight 

#CandleLight

Thanush Kumar

prove yourself #library #soceity #cigars #Society

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Balwant Mehta

Nishar L

Shailendra Anand

रचना दिनांक १३,,,,१०,,,२०२३ 
वार शुक्रवार
समय ््नौ बजे

शीर्षक ््शीर्षक
्््््भावचित्र ्््््
जोत  खडी कूलदेवी विंध्यवासिनी देवी कूल दीपक शैलेंद्र आनंद।।
करे याचना दो दर्शन मार्गदर्शन मेरा कल और आज शुरू हुआ जीवन
मां तुझे देख रहा हूं एक दीपक के भांति निखरकर उभरकर सामने आ रही भावना जैसी उपमा दी जाय।।
 कि तू क्या जाने कि ये क्षण क्षणिका खून सबकुछ ठीक वैसा ही है अन्नपूर्णा देवी सी
तुम मिल जाओ मुझे एक फूल सा और जीवन सार्थक अपना
बालक गुरु सी दीक्षार्थी मां बनकर सच में मुझे अपना बालक को संमन्दर सा विशाल समग्र रूप में स्वीकार कर लो।।
 मैं तेरा मान सम्मान रखुगा सर्व धर्म समभाव निष्ठ भव महेश्वरं सागर से पार लगाती सतत साधना तपस्या भव्य मं्दिर में मानव ज्ञान ज्योति से ना हो जाति सम्प्रदाय और धर्म के शंखनाद हो मानवमात्र मानव जीवन जीव जीवाशं जन्तू तन्तु लता पत्रादि पूष्प पल्लव साहित्यिक जीवन सफल बनाएं।।
 और भारत मां शब्द से इस प्रेम को शब्द साधक साधना में उत्पन्न शक्ति से प्रेम करने वाले को ही आनंद आता है ।।
अन्नपूर्णा अन्नंअनामय से ही सुन्दर छबि मनोमय प्यारी सी खुशबू महकावे जो मानवता को पढ़कर आनंद लीजिए।।
्््््््
कवि शैलेंद्र आनंद
१३अक्टुम्बर२०२३

©Shailendra Anand #CandleLight

Maha

Gayatri Huddar

mansoor_writes086

#CandleLight

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imtiyaz khan

Anil Mishra Prahari

मन्द- मन्द  है  लौ  मुस्काती
जब मिलते हैं दीपक - बाती,
जगमग  हो    जाता   संसार
अँधियारा  जब  जाता   हार।
                उत्सव  रात   मनाती   है
                रग-रग पुलकित छाती है।
               
टूट  रहा  है  तम  का   घेरा
घर-आँगन अब नहीं अँधेरा,
मर-मिटने को आज चले हैं
सौ-सौ दीपक साथ जले हैं।
                गीत ज्योत्सना  गाती   है
                रग-रग पुलकित छाती है ।
               
घर - घर ने कर लिया  सिंगार
दीपों   का   आया     त्योहार,
फैली कण-कण में उजियाली
मोहक  वसुधा  छवि  निराली। 
                 स्वर्णिम ज्योति लुभाती है 
                 रग-रग पुलकित छाती  है ।

©Anil Mishra Prahari #CandleLight
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