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Pintu Jangid

15 Aug ... #Motivational

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Maiz Gora

15 AUG #Motivational

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Amit Kumar

15 aug #Advice&Motivation

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Deepak

15 Aug #Love

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Manoj Agarwal

15 Aug #कविता

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Author Harsh Ranjan

15 Aug 2021

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3
मैं इंसानों को गुलाम होता देख रहा हूँ,
मैं व्यवस्थाओं को आंसू से तर-बतर
रोता देख रहा हूँ, समय को
मैं फूलो के बिस्तर पर लेटे
मेरी भावी पीढ़ी के बदन में
रंगीन कांटे चुभोता देख रहा हूँ।
कैसे कहूँ आज़ादी मना रहा हूँ,
मैं एक अदद तारीख पर,
एक अदद अनजान तारीख तक 
जिंदा रहने के लिए कसमसा रहा हूँ,
ख्वाब पूरे होने की खुशी नहीं
मैं एक सस्ता सा ख्वाब देखने
छटपटा रहा हूँ कि मैं घर पर हूँ
और घर को घर बनाये रखने
नित फैलती जाती, 
पड़ोस में शमशान को बेची
जमीन पर पछता रहा हूँ।
End 15 Aug 2021

Er Writer Fauji Ashish

15 Aug #India2021

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वर्षों से की पराधीनता से थी भारत माता ग्रस्त

समय सुहाना सैंतालिस का आया पंद्रह अगस्त


आया पंद्रह अगस्त हुआ था नया सवेरा

देश हुआ आज़ाद  फिरंगी भारत छोड़ा


गैरों की मर्ज़ी से था, जो चलता जीवन

अपने बस में हुआ, खिल गए वन औ' उपवन


खिंजा हटी बागों से, आया था बासंती मौसम

नयी कोंपलें निकली, खिला था जन का तन-मन


आओ याद करें उस दिन को, याद करें बलिदान

लें सौगंध की हिंद के लिए, देंगे अपनी जान


आशीष यादव

©Er Writer Fauji Ashish 15 Aug

#India2021

aksingh

15 aug. #DailyMessage

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Author Harsh Ranjan

15 Aug 2021

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3
मैं इंसानों को गुलाम होता देख रहा हूँ,
मैं व्यवस्थाओं को आंसू से तर-बतर
रोता देख रहा हूँ, समय को
मैं फूलो के बिस्तर पर लेटे
मेरी भावी पीढ़ी के बदन में
रंगीन कांटे चुभोता देख रहा हूँ।
कैसे कहूँ आज़ादी मना रहा हूँ,
मैं एक अदद तारीख पर,
एक अदद अनजान तारीख तक 
जिंदा रहने के लिए कसमसा रहा हूँ,
ख्वाब पूरे होने की खुशी नहीं
मैं एक सस्ता सा ख्वाब देखने
छटपटा रहा हूँ कि मैं घर पर हूँ
और घर को घर बनाये रखने
नित फैलती जाती, 
पड़ोस में शमशान को बेची
जमीन पर पछता रहा हूँ।
End 15 Aug 2021

Author Harsh Ranjan

15 Aug 2021

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1
कहा उसने,
तारीख लिख लो
दस्तावेजों में, किताबों में,
गुफा की दीवारों पर,
महल के मेहराबों में!
पर एक सवाल पूछूंगा,
पिंजरे से पंछी कब आजाद हुआ?
जब उसके पंख तीलियों से लड़े?
जब अचानक ही पिंजरे के द्वार खुल पड़े?
जब वो उससे बाहर आया?
जब उसने उड़ने को जोर लगाया?
जब वो उसी आँगन में लगी लता के
शीर्ष पर जा बैठा?
जब उसने वहाँ से अनंत आकाश देखा?
या अब जब वो उन स्मृतियों को
पीछे छोड़ने भागा जा रहा है?
तुम देखना नया बहेलिया 
उसके घोंसले की डाल के नीचे
जाल लगाकर सुस्ता रहा है!
मैं समझ गया कि
आज़ादी की कोई एक तारीख नहीं होती!
Cont... 15 Aug 2021
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