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i am Voiceofdehati
एक अबला पुत्रवती थी,गरीब,असहाय थी वो शायद कोई दिक्कत थी उसको,इसलिए बकती थी सबको लोगों ने न कभी हाल पूछा,उल्टे पागल का तमगा दिया बेटे भी भविष्य की चिंता में,उस मां को पागल समझकर ,परदेश जाकर बस गए, वो तो आखिर मां ही थी,वह क्रूर तो न हो सकी लेकिन क्रूर,स्वार्थी लोगों ने उसकोपागल,आवारा और न जाने उसे क्या-क्या कहा वह बाजार भी जाती,दुकान भी जाती सभी के रुपए बराबर चुकाती तबीयत न पूछा उसका कभी लेकिन शब्द बाणों से उसे बींधते रहे, धन्य है वह नारी सभी विषों को पी लिया सुनते हुए भी उसने सब कुछ अनसुना किया अंततः वह एक दिन बीमार ज्यादा हो गई वो बेचारी कैंसर की मारी हो गई शायद इसीलिए वो यूं हमेशा बोलती थी बेटे न परेशान हों,इसलिए वह यह सब झेलती थी गरीबता उसके लिए अभिशाप बनी बिस्तर पर पड़ी वो मौत का आह्वान करती आखिर में वो दिन आ गया उस “मां" का निधन हो गया लोगों ने कहा बहुत अच्छी मौत मिली है पितृपक्ष में मरी वह,पितरों में शामिल हुई हैं वाह क्या जमाना है आया जो जिंदगी भर कष्ट सहे,किसी ने दुःख दर्द नहीं पूछे, मौत पर सब “अच्छा" बताकर जैसे उपहास उसका कर रहे। कहां गई मानवता कहां गया वो ‘बेटे-मां' का प्यार इसके पीछे थी आखिर वो कौन? सी दिवार। #वास्तविक_घटना इसे मैंने अपने कलम से #जीवटता देने का प्रयास किया है। आप भी पढ़िए और अंत में जो #प्रश्न है उसका उत्तर बताइए , इसमें #गलती किस
gudiya
नारी! तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत-नग पगतल में। पीयूष-स्रोत-सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में। देवों की विजय, दानवों की हारों का होता-युद्ध रहा। संघर्ष सदा उर-अंतर में जीवित रह नित्य-विरूद्ध रहा। आँसू से भींगे अंचल पर मन का सब कुछ रखना होगा- तुमको अपनी स्मित रेखा से यह संधिपत्र लिखना होगा। ©gudiya कामायनी / जयशंकर प्रसाद जयशंकर प्रसाद » कामायनी »
Vidhi
देवलोक की अदालत स्वर्गलोक में आपातकालीन बैठक बुलाई गयी थी। जबसे अहिल्या का पाषाणरूप से उद्धार हुआ था उसने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर खुलासों की बौछार कर दी