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Mrunal-(मृणाल)
White उसे चोट लगती है तो तकलीफ़ मुझे होती है, मुझे चोट लगती है तो बेचैनी उसे भी होती है। दिल के इस रिश्ते को क्या नाम दें, जो जुबां से नहीं, मगर रूह से महसूस होती है। उसके दर्द से मेरी आँखे नम हो जाती हैं, मेरे ग़म से उसकी रातें भी तन्हा हो जाती हैं। मगर ये कैसी मजबूरी है हमारी, कि हम खुलकर जज़्बात नहीं कह पाते हैं। ख़ामोशी में भी इश्क़ की सदा सुनाई देती है, बिना कहे उसकी फ़िक्र दिखाई देती है। लफ्ज़ों की कैद में रिश्ते नहीं बंधते, ये एक ख़ास एहसास है जो खुद-ब-खुद समझी जाती है। काश, कभी वक़्त थम जाए इस कदर, कि दिल की हर बात लफ़्ज़ों में उतर जाए। जो आज सिर्फ़ आँखों से बयान होती है, वो मोहब्बत खुलकर इज़हार हो जाए। Mrunal(19/06/24) ©Mrunal-(मृणाल) #sad_quotes #Nojoto #Shayari #Quotes #Poetry #poem #Love #Hindi #Quote shayari on love
Vijay Vidrohi
हरियाणा हरियाणवी संस्कृति की धरा पर, खेतों में है खड़े किसान, मेहनत से जुटे दिन और रात हरियाणा की ये पहचान। उनके हाथों में हल, उनके दिल में सपने, सबका पेट भरे हैं अन्न से समझ के अपने महिलाएं घाघरा चोली पहने, सिर पर पललू, बेटे को यह प्यार से कहती मेरा कल्लू खेतों में भी साथ कमावै बणकै ढेठी ओलंपिक में मेडल लावे हरियाणा की बेटी उनके हाथों में सुई, उनके दिल में प्यार, गिद्दा खडवा घोड़ी नृत्य गाव गीत मल्हार। हरियाणवी संस्कृति एक सुंदर सी कहानी है, जिसमें मेहनत, संतोष,प्यार और मीठी बाणी। गर्व से उस फौजी बेटे पै जो राखे देश का मान यही है हरियाणवी संस्कृति की असली पहचान। जो हमें गर्व और सम्मान से भर देती है। कृपया बताएं कविता कैसी लगी ©Vijay Vidrohi हरियाणा #हरियाणा #my #new #poem poetry on love love poetry in hindi hindi poetry punjabi poetry poetry lovers
Bharat Bhushan pathak
नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया।। विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा। उमंग ही भरो नहीं उचाटना।। ©Bharat Bhushan pathak #newday love poetry in hindi poetry in hindi hindi poetry on life poetry on love hindi poetry
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read moreBharat Bhushan pathak
#विधा-सोरठा छंद देकर जिसने प्राण,रक्षित जीवन को किया। लिया नहीं अवकाश,सेवा माता को दिया।।१ खाते हरदम चोट,तपते रवि सम ही यहाँ । पल भर को भी चैन,लेते वो बोलो कहाँ।।२ छोड़ सदा परिवार,सदैव सरहद पे रहें। करते सबसे प्रेम,वार शत्रु के भी सहें।।३ मिले हमें आनंद,उपाय करते हैं यही। रहते ओढ़े बर्फ,कहता एकदम हूँ सही।।४ ©Bharat Bhushan pathak poetry in hindi poetry lovers hindi poetry hindi poetry on life poetry on love
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read moreChandan Navik 'VINAMRA'
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read moreAndaaz bayan
!झांसी की रानी लक्ष्मी बाई! स्वप्न अनोखा देखा था,चर्चा में उनको सुन रखा था। बोली मुझसे,निडर बनो,डर के आगे कभी ना झुको।। देख उनकी वेशभूषा,तलवार चांदी सी चमकी थी। बांधे कपड़े से लाल(पुत्र)को पीछे,शत्रुओं की काल बन बैठी थी।। किस्से और कहानी में नाना साहेब,तात्या टोपे,कुंवर सिंह आदि नामो सहित, एक वीरांगना ब्रिटिश हुकूमत पर भारी थी। देखा उनको मैं चकित हुई,आई स्वप्न में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई थी।। बहादुर साहसी निडर,दृढ़ संकल्पी,और बुद्धिमान थी। सच्ची योद्धा,शक्ति की प्रतीक देश की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई थी।। ना घुटने टेके,ना घबराई थी,ब्रिटिश हुकूमत के आगे बिल्कुल भी नही डगमगाई थी। (1857)प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों को धूल चटाई थी,"मैं झांसी किसी कीमत पर भी नहीं दूंगी", ये मन में उन्होंने ठानी थी।। करारा जवाब,अंग्रेजों को ललकार,बर्बरतापूर्ण नीतियों के खिलाफ,देना था। ओजस्वी तेजस्वी रानी लक्ष्मी बाई ने,दत्तक पुत्र के साथ झांसी का राजदरबार संभाला था।। नारी वो धुरंधर है जो,आकाश को भी चुनौती दे सकती है। अपने पर जब वो आ जाए तो,इंसान क्या यमराज से भी लड़ सकती है।। होती रहेगी,जय जयकार युगों युगों तक धरती पर वीर गाथाओं में । शत्रुओं पर भारी थी,सिंहनी-सी रानी झांसी की,जब उतरी रण मैदान में।। ✍🏻 ©Andaaz bayan #Jhansi #veer #RaniLaxmiBai #Dream Hinduism poetry lovers
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read moreShivu ki Poetry
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