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डॉ.अजय कुमार मिश्र
*बाबा साहब डॉ.भीमराव आंबेडकर के जयन्ती पर उन्हें शत-शत नमन??* ------------------- प्रकृति का शास्वत नियम है परिवर्तन,लेकिन प्रकृति उस परिवर्तन को स्वयं एवं पुरुष के संयोग से कराती है,उसमें भी जो पुरुष अचेतन/जड़ प्रकृति को हृदयंगम कर सकल कल्याण के निमित्त परिवर्तन का ध्वजवाहक बनता है,उसे मानव समाज ईश्वर मानता है,क्योंकि वह व्यक्ति विशेष जड़ प्रकृति से आत्म चेतना का संयोग कर मानव कल्याण के निमित्त प्रकृति-जन्य कालातीत नियम-निर्देशों में परिवर्तन करता है। वह परिवर्तन सार्वभौमिक,एकाकी,समुदाय विशेष, समाज विशेष,क्षेत्र विशेष,वर्ण विशेष अथवा वशुधैवकुटुम्बकम के प्रति भी हितकारी एवं कल्याणकारी होता है;परन्तु वह परिवर्तन कालांतर तक ग्राह्य नही होता,अपितु वह परिवर्तन भी पुनः परिवर्तन रूपी कार्य के लिए कारण रूप बनता है;क्योंकि मानव अज्ञानता से ज्ञान के तरफ उन्मुख होता हुआ अपनी उत्कट इक्षाओं एवं आकांक्षाओं से सदैव सर्वोच्चता को शिरोधार्य करना चाहता है;जिसके निमित्त कभी वह भाग्य का सहारा लेता है,तो कभी सद्कर्मों का लेकिन जब मानव कर्महीन,ज्ञानहीन होकर परिवर्तन के आदर्श को अपना नायक मानकर सर्वस्व प्राप्ति की इक्षा से समाज पर अपने आधिपत्य को स्थापित करना चाहता है,तो पुनः प्रकृति किसी पुरुष विशेष को अपने संयोग से नायक बनाकर नवीन परिवर्तन का रेखांकन करने को उद्वेलित होती है। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जी ने प्रकृति जन्य नियमों को सामाजिक कुरीतियों की संज्ञा देकर उन नियमोँ में परिवर्तन कर वर्ण विशेष और समुदाय विशेष में एक नव-चेतना का संचार किया;जिससे कि उत्कृष्ट समाज के समतुल्य समस्त मानव समाज उत्कृष्ट बन सके;लेकिन प्रतिकात्मक सम्बल लेकर नही अपितु ज्ञान-कर्म एवं विद्वेष-रहित सद्भावना को आत्मसात कर;परंतु आज जिस चिंतन से बाबा साहब ने सामाजिक कुरीतियों को समाप्त कर युग निर्माण के ध्वजवाहक बने आज उस ध्वज वाहक के आदर्शों को हम केवल प्रतीकात्मक अधिकार के रूप में स्वीकार करने एवं प्राप्त करने की आकांक्षाओं को प्रबल करने में समाज में पुनः नित नवीन कुरीतियों को जन्म देने एवं पुनः परिवर्तन के मार्ग को प्रशस्त करने को आतुर हैं। अतः आज के दिन आवश्यक है कि हम बाबा साहब के विचाओं ,सिद्धांतों एवं उनके आदर्शों को आत्मसात कर पुनः सामाजिक कुरीतियां उतपन्न न हो इसका संकल्प लें। *!!पुनः पुनः नमन!!* *डॉ.अजय कुमार मिश्र* (पूर्व-संयुक्त मंत्री-suacta) ©डॉ.अजय मिश्र डॉ. भीमराव आंबेडकर #Drown
Sandesh Chavhan
Satya Mitra Singh
बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 128वीं जयंती पर नमन। उनका व मेरा मानना है कि बिना बंधुत्वभाव (Fraternity) और समान भाव (Equality) के स्वतंत्रता (Liberty) का कोई मूल्य नहीं है। डॉ आंबेडकर
डॉ आंबेडकर
read moreमाने रमाकांत
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर गुलामगिरीत पडला होता माझा बहुजन समाज सगळे काही सहन करीत त्यांना वाली कोण नव्हतं भरडला जात होता बहुजन समाज पशुसारख जीवन जगत 14 एप्रिल 1891 ला भीमाईच्या पोटी बहुजनांचा हिरा जन्मला तो जगला नाही स्वतः साठी तो जगला फक्त समाजासाठी नव्हती समानता समाजात माणसाला माणूस म्हणून जगण्याचा नव्हता अधिकार मनु व्यवस्थेने काढला होता जगण्याचा अधिकार, मान सन्मान नव्हता रायगडाच्या पायथ्याशी भिमराव कडाडला मनुस्मृती दहन करूनी मनु व्यवस्थेला हादरा दिला समानता आणली समाजात = माने रमाकांत किसन डॉ बाबासाहेब आंबेडकर
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर #poem
read moreB.L. Paras
आज हमारा जो भी कुछ है सब तेरा ही है यह जीवन और मृत्यु यह शब्द और यह जीभ यह सुख और दुख यह स्वप्न और यथार्थ यह भूख और प्यास समस्त पुण्य तेरे ही हैं !! -------------------------------- © नामदेव ढसाल के कविता संग्रह 'तेरी ऊंगली थाम चला हूं मैं' से डॉ आंबेडकर के लिए !!
डॉ आंबेडकर के लिए !! #कविता
read moreकवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद
डॉ भीमराव अम्बेडकर दिलाया हक कदम से कदम मिलाकर चलने का सुबह शाम बेखौफ होकर अपने घर से निकलने का पलने का ख्वाब की कुछ कर सकते हैं अब हम भी दीपक बन कर जमाने के बीच ; जलने का कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद डॉ भीमराव अम्बेडकर..... कीर्तिप्रद
डॉ भीमराव अम्बेडकर..... कीर्तिप्रद
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