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Md Javed Ansari
White टैक्स के माध्यम से मिडिल क्लास को लूटा जा रहा है मध्यम वर्ग, जो किसी भी समाज की रीढ़ माना जाता है, आज अपनी मेहनत की कमाई पर लगातार बढ़ते टैक्स के बोझ तले दबा जा रहा है। भारत में मध्यम वर्ग की स्थिति ऐसी बन गई है कि वे न तो सरकारी लाभ योजनाओं का हिस्सा बन पाते हैं और न ही अमीर तबके की तरह टैक्स से बचने के लिए कानूनी रास्ते खोज पाते हैं। मध्यम वर्ग पर टैक्स का दबाव मध्यम वर्ग पर सबसे ज्यादा असर अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes) का पड़ता है। जब रोजमर्रा की चीज़ों जैसे पेट्रोल, डीजल, खाना-पीना और अन्य आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी (GST) लगाया जाता है, तो इसका सीधा बोझ मध्यम वर्ग पर आता है। उदाहरण के लिए, पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें न केवल उनकी दैनिक परिवहन लागत बढ़ाती हैं, बल्कि बाकी वस्तुओं की कीमतों में भी इज़ाफा करती हैं। सीधे करों (Direct Taxes) की मार सीधे करों के मामले में, मध्यम वर्ग को आयकर (Income Tax) के सबसे बड़े हिस्से का योगदान देना पड़ता है। जबकि गरीब वर्ग को टैक्स से छूट मिलती है और अमीर वर्ग अक्सर कर से बचने के लिए अलग-अलग निवेश और कानूनी उपाय अपनाता है, मध्यम वर्ग पूरी ईमानदारी से टैक्स चुकाता है। सरकार की टैक्स स्लैब नीतियां भी अक्सर मिडिल क्लास के लिए संतोषजनक नहीं होतीं। सरकारी योजनाओं से बाहर मध्यम वर्ग को यह भी शिकायत है कि उन्हें न तो गरीब वर्ग के लिए बनाई गई सब्सिडी योजनाओं का लाभ मिलता है और न ही वे खुद को उच्च वर्ग की विलासिता के करीब पाते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसी आवश्यकताओं पर भारी खर्च करना उनके लिए मजबूरी बन गया है। मध्यम वर्ग की उम्मीदें मध्यम वर्ग चाहता है कि सरकार टैक्स नीति में सुधार करे और ऐसी योजनाएं लागू करे, जिनसे उनकी बचत और जीवन स्तर में सुधार हो सके। टैक्स स्लैब का पुनर्निर्धारण: आयकर की सीमा बढ़ाई जाए ताकि मध्यम वर्ग को राहत मिल सके। अप्रत्यक्ष करों में कटौती: रोजमर्रा की चीज़ों पर जीएसटी दरें कम की जाएं। सामाजिक सुरक्षा: स्वास्थ्य और शिक्षा पर सब्सिडी दी जाए ताकि मध्यम वर्ग की बचत बढ़ सके। निष्कर्ष मध्यम वर्ग को टैक्स के माध्यम से लूटने की भावना उनके जीवन में असंतोष और असुरक्षा का कारण बन रही है। यह तबका, जो देश की अर्थव्यवस्था को गति देता है, अगर उपेक्षित महसूस करेगा, तो इसका प्रभाव देश के विकास पर भी पड़ेगा। इसलिए सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि टैक्स प्रणाली मिडिल क्लास के लिए समानुपातिक और न्यायसंगत हो। ©Md Javed Ansari middle class par Tex ka dabaw Aaj Ka Panchang
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kalki 2898AD ©Sashank Kalki 1000 crores collection poster #Kalki #prabhas #HERO #Movie
Sh@kila Niy@z
White इंसान के दिमाग़ में कोई बात अटक जाए अगर तो थोड़ी बहुत अक़्ल रखने वाला इंसान भी उस बात पर बहुत कुछ सोच सकता है और सोच भी लेता है और तब तक सोचता रहता है जब तक उसे उस बात का सही या फ़िर दिल को तसल्ली देने वाला जवाब न मिल जाए । फ़िर वो ये नहीं सोचता कि वो जो भी सोच रहा है वो सही सोच रहा है या ग़लत क्यूॅंकि किसी भी बात पर सही direction में सोचने के लिए उस बात की सच्चाई और हक़ीक़त का पता होना बहुत ज़रूरी होता है वर्ना इंसान ग़लत ही सही लेकिन सोचता ज़रूर रहता है । ग़लती इस में उस इंसान की भी तो नहीं होती क्यूॅंकि अक्सर इंसान का ख़ुद अपनी सोच पर भी कहाॅं बस चलता है?? वो बस वही और उतना ही सोचता और समझता है जो और जितना उसे नज़र आता है और पता होता है। लेकिन बहुत अर्से तक उसकी उलझन ना सुलझे अगर तो फ़िर वो उन बातों को अपने ही दिल की गहराई में कहीं दफ़न कर देता है और वक़्त के हवाले छोड़ देता है ये सोच कर कि.... कुछ बातों का जवाब कभी भी नहीं मिलता और कुछ बातों का जवाब ख़ुद वक़्त ही दे देता है । #bas yunhi ek khayaal ....... ©Sh@kila Niy@z #basekkhayaal #basyunhi #Insaan #dimaag #Soch #nojotohindi #Quotes #22November
Sh@kila Niy@z
White सच को सच, झूठ को झूठ, सही को सही और ग़लत को ग़लत कहने की मुझे आदत है। मेरी इसी आदत से अक्सर लोगों को शिकायत है। मेरी बातों से बड़े हक़ नाराज़ तो हो जाते हैं लोग लेकिन मेरी बातों में ग़लत क्या होता है, उसी हक़ से ये क्यूॅं नहीं बताते हैं लोग?? मैं अक्सर वही कहती हूॅं, वही लिखती हूॅं जो मैं दिल से महसूस करती हूॅं । दिमाग़ से सोची हुई बातें तो ख़ैर ग़लत हो सकती हैं लेकिन उन बातों को ग़लत कैसे कहूॅं ?? जो मैं दिल से महसूस करती हूॅं । ©Sh@kila Niy@z #basekkhayaal #basyunhi #Dil #dimaag #baatein #ehsaas #nojotohindi #Quotes #18Nov