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आहार, नींद, मैथुन ये तीन बातें शरीर के धारण में कारण हैं, जैसे खम्भे मकान को धारण किये रहते हैं। धारण
धारण
read moreArchana pandey
जन-सामान्य धर्म का मात्र उतना ही प्रतिशत स्वीकारता है जितमें में उसके स्वार्थ की पूर्ति सम्भव हो...,पर मूल धार्मिक सिद्धांतो से उनका कोई नाता नहीं प्रतीत होता..जैंसे- स्वयं को महान समझना, भेदभाव, दूसरों को तुच्छ समझना, अभिमान, अतिरिक्त लाभ की आशा, स्त्री-वृद्ध अपमान, कपट, झूठ, छल, विश्वासघात, घूंस, अन्य के धन-सम्पत्ति पर स्वयं का अधिकार आदि मूल धर्म का हिस्सा नहीं पर धर्म का स्वांग रचने वालों में भी ये अवगुण देखने मिल जाते हैं....अर्चना'अनुपमक्रान्ति' ©Archana pandey धारण करो सम्पूर्ण #SunSet
manoj kumar jha"Manu"
श्रूयतां धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा चैतत्प्रधार्यताम्। आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत्। । धर्म का सार सुनो और सुनकर उसे धारण करो।दूसरों के द्वारा किये हुए जिस आचरण को अपने लिये नहीं चाहते ,उसे दूसरों के प्रति भी मत करो ।कारण कि जो आचरण अपने लिये अप्रिय है, वह दूसरों के लिये भी प्रिय नहीं हो सकता। (पद्मपुराण) धर्म को धारण करें।
धर्म को धारण करें।
read moreShravan Goud
धर्म वही जो हमने धारण कर रखा है। कर्म वही जो किसी का दिल न दुखाएं। शास्त्र वही जो शस्त्र को हरा दे। मनुष्य वही जो इंसानियत बरकरार रखे। मानवता को धारण करना चाहिए।
मानवता को धारण करना चाहिए।
read moreNirankar Trivedi
सुकून कोई वस्तु नहीं है जिसे आप खरीद कर घर ले आये |सुकून हमेशा हमारी आपकी भावना, हमारे विचार और दूसरे के प्रति ईर्ष्या न होना ही है | आप अगर अपने जीवन मे सुकून पाना चाहते हैं तो अपने चारों तरफ देखिए और खुशी महसूस कीजिए कि आज जो भी है वो आपकी मेहनत और किस्मत द्वारा भगवान ने दिया है |दूसरे की वस्तु के प्रति बहुत ज्यादा आकर्षण भी हमे परेशान कर देता है |इसलिए आप हमेशा अपने किए गए परिश्रम से मिले परिणाम से हमेशा संतुष्ट रहे | सुकून को धारण करने का विचार
सुकून को धारण करने का विचार
read moreShravan Goud
किसी भी कमी को इंसान अगर भरपाई करने मे जुट जाय तो सफलता जरूर मिलती है। क्योकि आशा बलवान हो जाती है। इंसान संतोष धारण नही करता है।
इंसान संतोष धारण नही करता है।
read moreASHOK KUMAR POET
जिंदगी का कोई भरोसा नहीं जाने कब हो जाए इसका अंत। हम सब मिलकर ले आनंद और रहे भाई चारे के साथ। जीवो पर दया करें और मानवता का परिचय दे। जात पात को छोड़कर मानवता धारण करें। बेटा बेटी का भेदभाव मिटाएं उनको साथ पढ़ने भेजें। सबको रोटी कपड़ा मिले मकान सभी मानवता धारण करें। एक दूसरे को सहारा दे उनको भी खुशहाल बनाएं। उनको उनके हाल ना छोड़ो उन्हें लेकर भी चलें साथ। और मानवता का परिचय दें। मानवता धारण करें। अशोक कुमार poet
मानवता धारण करें। अशोक कुमार poet
read moreसुसि ग़ाफ़िल
अनंत तक की गई प्रतीक्षा मौन धारण कर लेती है ... अनंत तक की गई प्रतीक्षा मौन धारण कर लेती है ...
अनंत तक की गई प्रतीक्षा मौन धारण कर लेती है ...
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