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Mohit Kumar Singh

#SunSet योद्धा था वो वीर, नीतियों में निपुण था, सत्य का था साथी वो दिल से दानवीर था। #Suryaputrakarn #surya #danveer #maharathi #ज़िन्दगी

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Deepak Kumar

अब तो बस यादों में है इक साहिल किताबों में है जो बिछड़ गया था साथी इक पन्ना आख़िरी छोड़ कर उन पन्नों में नीव ढूढ़ रहा हूँ अपने हर रिश्ते को ज #Dil #feelings #ishq #Collab #nojotohindi #nojotoLove #nojotoshayari #nojotopoem

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अब तो बस यादों में है 
इक साहिल किताबों में है

जो बिछड़ गया था साथी
इक पन्ना आख़िरी छोड़ कर

उन पन्नों में नीव ढूढ़ रहा हूँ
अपने हर रिश्ते को जोड़ कर 

चका चौंद करते थे दुनियां
अपने हर जज्बातें रिश्ते से

आज वो मुकर रहें हैं
अपने ही हर इक बातों से अब तो बस यादों में है 
इक साहिल किताबों में है

जो बिछड़ गया था साथी
इक पन्ना आख़िरी छोड़ कर

उन पन्नों में नीव ढूढ़ रहा हूँ
अपने हर रिश्ते को ज

vishwadeepak

#अपना कोई रूठ गया, चाहा ज़िसको जान से बढ़कर, देखा सपना टूट गया, हमसे अपना कोई रूठ गया, गलती किसकी किसे है पता, हमसे तो ना हुई कोई खता, दिल फिर #Smile #कविता

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अपना कोई रूठ गया,
चाहा ज़िसको जान से बढ़कर,
देखा सपना टूट गया,
हमसे अपना कोई रूठ गया,
गलती किसकी किसे है पता,
हमसे तो ना हुई कोई खता,
दिल फिर भी कैसे टूट गया,
हमसे अपना कोई रूठ गया,
यादों में अब उनकी रहते हैं,
हम ना किसी से कुछ कहते हैं,
जाने ये रिश्ता कैसे टूट गया,
हमसे अपना कोई रूठ गया,
अब जाने आगे क्या होगा,
लगता किस्सा अब खत्म हुआ,
था साथी अपना छूट गया,
हमसे अपना कोई रूठ गया........

©Deepak Chaurasia #अपना कोई रूठ गया,
चाहा ज़िसको जान से बढ़कर,
देखा सपना टूट गया,
हमसे अपना कोई रूठ गया,
गलती किसकी किसे है पता,
हमसे तो ना हुई कोई खता,
दिल फिर

एक इबादत

निगाहें मिलाने का ख्या़ल था आरजू थी आज एक अनोखी मुलाकात का, देखता मैं जी भर कर उनको उनके चेहरे से घूंघट उठा कर डूबता नैनन में उनके सुन आवाज

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कर घूंघट का पहरा आज चांद मेरा जमीं पर आया था
सुर्ख गुलाबी अधर थे उसके नैनों में हया उसके समाया था,

पुष्प गुलाब की चुरा खुशबू आज वो महक रहे थे
पुष्प सरोज की भांति रूप उनके गमक रहे थे..!! निगाहें मिलाने का ख्या़ल था
आरजू थी आज एक अनोखी मुलाकात का,

देखता मैं जी भर कर उनको उनके चेहरे से घूंघट उठा कर
डूबता नैनन में उनके सुन आवाज

रजनीश "स्वच्छंद"

गवाही मेरे गुनाहों की।। कौन करेगा पैरवी, देगा कौन गवाही, मेरे गुनाहों की, जब हर चौराहे, होती रही वाह वाही, मेरे गुनाहों की। छुप जिस चादर म #Poetry #Quotes #Life #kavita #hindikavita #hindipoetry

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गवाही मेरे गुनाहों की।।

कौन करेगा पैरवी, देगा कौन गवाही, मेरे गुनाहों की,
जब हर चौराहे, होती रही वाह वाही, मेरे गुनाहों की।

छुप जिस चादर में, रहा करता कत्ल खुद का ही,
कौन था साथी, क्या सज़ा है बाकी, मेरे गुनाहों की।

निज मन मे झांका नहीं, बस आवरण का मोह था,
मैं था हकीकत, या कोई परछाई, मेरे गुनाहों की।

हर दर्द में मुस्काता, खुशियों में ग़मज़दा सा रहा,
मैं था झूठ, या था कोई सच्चाई, मेरे गुनाहों की।

परत दर परत, हैं कौन जो रहा उधेड़ता मुझको,
जाने किस कोने दबी थी अंगड़ाई, मेरे गुनाहों की।

रहा खुद को ढूंढता, कभी किस्सा कभी कटाक्ष,
कहानी, डर से थी सबने सराही, मेरे गुनाहों की।

मैं ही अदालत, पेशकार, अधिवक्ता, न्यायाधीश,
किसने कब थी कोई सज़ा सुनाई, मेरे गुनाहों की।

लो, आज होता हूँ पेश मैं अपनी ही अदालत में,
आज खुद मैने, होली है जलाई, मेरे गुनाहों की।।

©रजनीश "स्वछंद" गवाही मेरे गुनाहों की।।

कौन करेगा पैरवी, देगा कौन गवाही, मेरे गुनाहों की,
जब हर चौराहे, होती रही वाह वाही, मेरे गुनाहों की।

छुप जिस चादर म

Larence Pradhan

वो चंद्र था वो शेखर था सर्बोपरि वो आज़ाद रहा अंग्रेजी कुत्तों की झुंड पर खुद भारी वो आज़ाद रहा कम उम्र की जीवन से ही भारत माँ के काम आया

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चंद्रशेखर आज़ाद वो चंद्र था वो शेखर था
 सर्बोपरि वो आज़ाद रहा
अंग्रेजी कुत्तों की झुंड पर 
 खुद भारी वो आज़ाद रहा

कम उम्र की जीवन से ही
 भारत माँ के काम आया

Vikas Sharma Shivaaya'

✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 एक राजा वन विहार के लिए गया, शिकार का पीछा करते-करते राह भटक ग #समाज

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✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️

🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

एक राजा वन विहार के लिए गया,   शिकार का पीछा करते-करते राह भटक गया। घने जंगल में जा पहुँचा। रास्ता साफ नहीं दीख पड़ता था। साथी कोई रहा नहीं। रात हो गई। जंगल के हिंसक पशु दहाड़ने लगे। राजा डरा और रात्रि बिताने के लिए किसी आश्रय की तलाश करने लगा...,

ऊँचे पेड़ पर चढ़कर देखा तो उत्तर दिशा में किसी झोंपड़ी में दीपक जलता दिखाई दिया। राजा उसी दिशा में चल पड़ा और किसी वनवासी की झोपड़ी में जा पहुँचा...,

अपने को एक राह भूला पथिक बताते हुए राजा ने उस व्यक्ति से एक रात निवास कर लेने देने की प्रार्थना की। वनवासी उदार मन वाला था। उसने प्रसन्नता पूर्वक ठहराया और घर में जो कुछ खाने को था, देकर उसकी भूख बुझाई। स्वयं जमीन पर सोया और अतिथि को आराम से नींद लेने के लिए अपनी चारपाई दे दी...,

राजा ने भूख बुझाई। थकान मिटाई और गहरी नींद सोया। वनवासी की उदारता पर उसका मन बहुत प्रसन्न था। सवेरा होने पर उस वनवासी ने सही रास्ते पर छोड़ आने के लिए साथ चलने की भी सहायता की...,

दोनों एक दूसरे से विलग होने लगे। तो राजा को उस एक दिन के गान और आतिथ्य का बदला चुकाने का मन आया। परन्तु क्या दे? कुछ दे भी तो उस एकान्तवासी पर चोर रहने क्यों देंगे? इसलिए ऐसी भेंट देनी चाहिए जिसके चोरी होने का डर भी नहीं और आवश्यकतानुसार उसमें से आवश्यक राशि उपलब्ध होती रहे...,

उसी जंगल में राजा का एक विशाल चंदन उद्यान था। उसमें बढ़िया चंदन के सैकड़ों पेड़ थे। राजा ने अपना पूरा परिचय वनवासी को दिया और अपने हाथ से लिखकर उसे चंदन उद्यान का स्वामी बना दिया। दोनों संतोष पूर्वक अपने-अपने घर चले गये...,

वनवासी लकड़ी बेचकर गुजारा करता था। इसने लकड़ी का कोयला बना कर बेचने में कम श्रम पड़ने तथा अधिक पैसा मिलने की जानकारी प्राप्त कर ली थी। वही रीति-नीति अपनायी। पेड़ अच्छे और बड़े थे। आसानी से कोयला बनने लगा। उसने एक के बजाय दो फेरी निकट के नगर में लगानी आरंभ कर दी ताकि दूनी आमदनी होने लगे। वनवासी बहुत प्रसन्न था। अधिक पैसा मिल जाने पर उसने अधिक सुविधा सामग्री खरीदनी आरम्भ कर दी और अधिक शौक मौज से रहने लगा...,

दो वर्ष में चन्दन का प्रायः पूरा उद्यान कोयला बन गया। एक ही पेड़ बचा। एक दिन वर्षा होने से कोयला तो न बन सका। कुछ प्राप्त करने के लिए पेड़ से एक डाली काटी और उसे ही लेकर नगर गया। लकड़ी में से भारी सुगंध आ रही थी। खरीददारों ने समझ लिया चह चंदन है। कोयले की तुलना में दस गुना अधिक पैसा मिला। सभी उस लकड़ी की माँग करने लगे। कहा कि- “भीगी लकड़ी के कुछ कम दाम मिले हैं। सूखी होने पर उसकी और भी अधिक कीमत देंगे...,

वन वासी पैसे लेकर लौटा और मन ही मन विचार करने लगा। यह लकड़ी तो बहुत कीमती है। मैंने इसके कोयले बनाकर बेचने की भारी भूल की, यदि लकड़ी काटता बेचता रहता तो कितना धनाढ्य बन जाता और इतनी सम्पदा इकट्ठी कर लेता जो पीढ़ियों तक काम देती...,

राजा के पास जाने व पुनः याचना कर अपनी मूर्खता दर्शाने में कोई सार न था। शरीर भी बुड्ढा हो गया था। कुछ अधिक पुरुषार्थ करने का उत्साह नहीं था। झाड़ियाँ काटकर कोयले बनाने और पेट पालने की वही पुरानी प्रक्रिया अपना ली और जैसे-तैसे गुजारा करने लगा...,

मनुष्य जीवन चंदन उद्यान है इसकी एक-एक टहनी असाधारण मूल्यवान है। जो इसका सदुपयोग कर सकें, वे धन्य होंगे, जिसने लापरवाही बरती वे वनवासी की तरह पछतायेंगे...!

अपनी दुआओं में हमें याद रखें 🙏

बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....!
🙏सुप्रभात 🌹
आपका दिन शुभ हो 
विकास शर्मा'"शिवाया" 
🔱जयपुर -राजस्थान🔱

©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️

🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

एक राजा वन विहार के लिए गया,   शिकार का पीछा करते-करते राह भटक ग

Ek Lamba safer with Adarsh upadhyay

साथी साथ निभाना था। #कविता

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Sandip Ovhal

एक साथी और भी था

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एक साथी 
और भी 
था एक साथी और भी था

Jakir Pathan

मेरा जुनूँ अभी बाकी था। मेरा हौसला मेरा साथी था। #nojotophoto

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 मेरा जुनूँ अभी बाकी था।
मेरा हौसला मेरा साथी था।
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