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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- नशा नाश करता है जीवन , समझो मेरे यार । मत कर इससे यारी भाई , करे बुरा व्यवहार । नशा नाश करता है जीवन.. देखो अपने इधर उधर तुम , इसका क्या परिणाम। दाने दाने को है तरसे , मिले नहीं आराम ।। दिन जीवन के चार मिले है ,बाटों सबमें प्यार । नशा नाश करता है जीवन.... गली-गली इसके सौदागर , करते नित व्यापार । लेकर जीवन मौत दे रहे , दिए साथ सरकार ।। वैधानिक चेतावनी लिखो , हो हासिल अधिकार । नशा नाश करता है जीवन.... अखबारों और दूरदर्शन , पर हो खूब प्रचार । अश्लीले तस्वीरे मिलकर , करे धर्म संहार ।। नहीं पूछता कोई इनसे , निभाएं शिष्टाचार । नशा नाश करता है जीवन.... डूब रहा है धर्म-कर्म अब , मुश्किल में संसार । पीकर मदिरा बाला नाचें ,पिता हुए लाचार । आज कहूँगा मैं भी खुलकर, आओ थानेदार । नशा नाश करता है जीवन.... लूट मची है निर्धन के घर , कहते हैं व्यापार । बनकर शुभचिंतक है आये , चोरो के सरदार ।। किसे आज अब हम समझाये , हम भी है आधार । नशा नाश करता है जीवन .... नशा नाश करता है जीवन , समझो मेरे यार । मत कर इससे यारी भाई , करे बुरा व्यवहार ।। १८/०४/२०२३ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- नशा नाश करता है जीवन , समझो मेरे यार । मत कर इससे यारी भाई , करे बुरा व्यवहार । नशा नाश करता है जीवन.. देखो अपने इधर उधर तुम , इसका
Mayank Sharma
Dedicating a #testimonial to Shraddha Sharma ❣️💕 आओ.. तुम्हें तुम्हारे जन्मदिन पर बताता हूँ मेरे लिये क्या हो तुम! इश्क़ का मेरे सच्चा
SUNIL MADAAN
सय्याँ जी ने पकड़ी, जब मेरी कलाई कमरीया ने मेरी, फिर ली अंगड़ाई पास खींचा सय्याँ ने, तो मैं हो गई दीवानी हाय मैं तो, हो गई यूँ पानी, रे पानी, रे पानी हाँ हो गई यूँ पानी 🎸🎶 थोड़ा खिसक के मैं, दूर जाने लगी थी सय्याँ जी को मैं, इशारों से, समझाने लगी थी ले लिया, बाहों में मुझे हाय, मेरी एक ना मानी हाय मैं तो, हो गई यूँ पानी, रे पानी, रे पानी हाँ हो गई यूँ पानी 🎸🎶 साँसों में शोले अब, हाय दहकने लगे थे सय्याँ जी भी अब थोड़े, बहकने लगे थे साँसों से सुनाने लगे, वो अब प्रेम कहानी हाय मैं तो, हो गई यूँ पानी, रे पानी, रे पानी हाँ हो गई यूँ पानी 🎸🎶 मेरी जुल्फों के साए में, सय्याँ जी पड़े थे गोद में सर रख के, हाय निहारने लगे थे मुझे ख़ुद पे झुका के, करने लगे वो नादानी हाय मैं तो, हो गई यूँ पानी, रे पानी, रे पानी हाँ हो गई यूँ पानी 🎸🎶 नज़रों से नज़रें फिर, सय्याँ जी से टकराई पलकें झुका के हाय, थोड़ा सा मैं शरमाई सय्याँ जी ने, हाय चुरा ली, मेरे होठों की लाली हाय मैं तो, हो गई यूँ पानी, रे पानी, रे पानी Sun💕L ⭐An🎵Prerna🖋️⭐ Pic : Designed by me 🙆🏻♂️😛🙈 Source Pic : Pinterest 🧸💓🙋🏻♂️ #anupamsongs #yqsunilmadaan #yqdidi #yqlove #yqbaba #yqshayari #panipani #सय्याँ
Muskan Singh
मैं अच्छाई छोड़कर, बुराई पर गया था उसकी गर्दन नापने,सुराही पर गया था डूबा दिया उसने खुद के, अंदर मुझको मैं गहरे दरिया की, गहराई पर गया था उसके होटों की हसी,रूक नहीं रही थी मैं ख़ुद रोने उसकी,विदाई पर गया था कभी ना होती मौत,उसके कैदखाने में मर तो मैं खुद की, रिहाई पर गया था नहीं हुई मोहब्बत,फिर कभी किसी से मैं एक ज़ुल्मी की, जुदाई पर गया था Dimpal🥀 ©Muskan Singh मैं अच्छाई छोड़कर, बुराई पर गया था उसकी गर्दन नापने,सुराही पर गया था डूबा दिया उसने खुद के, अंदर मुझको मैं गहरे दरिया की, गहराई पर गया था
Mohammad Arif (WordsOfArif)
नफ़रत करने वालों का अलग ही मजा होता है जब कभी मिलते है थानेदार से तो अलग सजा होता है धर्म की बात में ऐसा उलझा दिया है लोगों को पुजा और इबादत करना दोनों का अब कजा होता है अपनी झूठी बातों पर इतना यकीन हो रहा है आपस में लोग लड़ जाएं तो एक दिन यहां रजा होता है बुलंदी पर बैठे हो तो इतना गुमान मत करो तुम मालूम नहीं नीचे आने के बाद यहां बुरा नतीजा होता है चन्द दिनों के लिए दुनिया में आये हो तुम ख्याल करो दुनिया छोड़कर जाने के लिए दुआओं का तकाजा होता है गुनाहों का अम्बार लगा बैठे और जन्नत का तलब अगर जन्नत चाहते हो तो गुनाहों का माफी नामा होता है ©Mohammad Arif (WordsOfArif) नफ़रत करने वालों का अलग ही मजा होता है जब कभी मिलते है थानेदार से तो अलग सजा होता है धर्म की बात में ऐसा उलझा दिया है लोगों को पुजा और इबाद
#maxicandragon
चोर पुलिस, दलाल पत्रकार मिल के कर रहे भ्रष्टाचार ये कहीं नही, हर नुक्कड चौक चौराहे कर रह हैे अत्याचार खुद ही खुद को आग लगाकर करते रहते प्रचार प्रसार लोकतंत्र की बली चढाकर मचारहे है हा हा कार रात नींद मे गला दबाकर दिन मे करते गहन विचार पत्रकार की पत्रकारिता पर कोई न करता गहन विचार एन्काउंटर होने से पहले खबर उडाते है अखबार 22इंच की छाती लेकर बन जाता अब थानेदार सांस फूल जाती है सुनकर गरजे कोई चोर चुहाड चोर पुलिस, दलाल पत्रकार मिल के कर रहे भ्रष्टाचार #SadharanManushya #चोर #पुलिस #दलाल #पत्रकार #Curruption #Evil चोर पुलिस, दलाल पत्रकार मिल के कर रहे भ्रष्टाचार ये कहीं नही, हर नुक्कड चौक चौराहे कर रह हैे अत्याचार खुद ही खुद को आग लगाकर करते र
विलुप्त आवाज़
कहूँ कैसे कि मेरे शहर में अखबार बिकता है डकैती लूट हत्या और बलात्कार बिकता है। तेरे आदर्श तेरे मूल्य सारे बिक गए बापू तेरा लोटा तेरा चश्मा तेरा घर-बार बिकता है। बड़े अफसर का सौदा हाँ भले लाखों में होता हो सिपाही दस में और सौ में तो थानेदार बिकता है। वही मुंबई जहाँ टाटा अम्बानी जैसे बसते हैं वहीं पर जिस्म कईओं का सरे बाज़ार बिकता है। चुने जाते ही नेता सारे वादे भूल जाते हैं यह वोटर किस छलावे में भला हर बार बिकता है। ये कलियुग है ठगी की इन्तेहाँ होती नहीं कोई सुना है नेट पर दिल्ली का क़ुतुब मीनार बिकता है। करप्शन इस कदर हावी शहर के अस्पतालों में दवा के वास्ते हर रोज़ ही बीमार बिकता है। अभिनव अरुण ©विलुप्त आवाज़ कहूँ कैसे कि मेरे शहर में अखबार बिकता है डकैती लूट हत्या और बलात्कार बिकता है। तेरे आदर्श तेरे मूल्य सारे बिक गए बापू तेरा लोटा तेरा चश्मा
Farhan Raza Khan
ज़ुल्मी है तू तो ज़ुल्म करता जा हम भी तेरे रास्ते से अब ज़रूर गुजरेंगे।। ज़ुल्मी है तू तो ज़ुल्म करता जा हम भी तेरे रास्ते से अब ज़रूर गुजरेंगे।। #farhanrazakhan #kayar #your #nojot #Hindi #hindishayari #foots