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yogesh atmaram ambawale
पोरीची जात बंदिस्त नियमांच्या आत म्हणे हद्द तिची फक्त दाराच्या आत. पोरीची जात तिला अटी सतराशे साठ रक्ताचं नातं तिथपर्यंत जो पर्यंत जुळेना लग्नाची गाठ. सुप्रभात सुप्रभात मित्र आणि मैत्रिणीनों कसे आहात? आजचा अप्रतिम विषय आहे पोरीची जात.. #पोरीचीजात हा विषय Himani Bagore यांचा आहे.
yogesh atmaram ambawale
गणेशोत्सव हा आवडता सण असूनही काही लोकांच्या फालतू नाहक त्रासामुळे नकोसा वाटतो,. बाप्पा जर ह्या दशकात अवतरले तर त्यांच्या सणांच्या नावाखाली केले जाणारे राजकारण पाहून चक्रावून जातील तसेच ते एक असतानादेखील आमचा गणपती तुमचा गणपती अशी विभागणी झालेली पाहून पुरते हैराण होतील... ( कॅपशन मध्ये वाचावे ) शुभ प्रभात लेखक मित्र आणि मैत्रिणींनो #या दशकात जर बाप्पा अवतरले तर काय होईल? अस तुम्हाला वाटतं, प्रत्येकांचे वेगवेगळे विचार ते वाचुन नक्कीच
Radhika S
अजीब सी सिलवटें थी उसके माथे पर वो साठ की थी मगर मुहब्बत अभी जवान थी अजीब सी सिलवटें थी उसके माथे पर वो साठ की थी मगर मुहब्बत अभी जवान थी
Anurag Singh
रिश्ते अगर निभाने हो तो पचास ग्राम की जीभ को साठ किलो के शरीर पर हावी ना होने दे ऐ खुदा उन्हें समझने की ताकत दे.. ©MrSingh रिश्ते अगर निभाने हो तो पचास ग्राम की जीभ को साठ किलो के शरीर पर #Marriage #Relationship #RAMADAAN
kumaarkikalamse
!!..सबसे सही उम्र होती है साठ की..!! (कविता अनुशीर्षक में) उम्र का सबसे अच्छा पड़ाव होता है साठ थोड़ी सी मशक्कत और थोड़ा सा ठाठ (१) ना स्कूल बैग की चिंता ना होमवर्क का डर ना नौकरी की फ
Nitin Kr Harit
प्रेम में, एक सी नहीं रहती समय की गति. विरह हो, तो सदियों से लंबा हो जाता है, एक पहर. मिलन हो, तो एक क्षण में गुजर जातीं हैं, कई सदियाँ... पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें विज्ञान ने शायद कभी प्रेम नहीं किया, इसीलिये, वो आज भी कम ही जानता है, अनभिज्ञ है. कहता है... सर्दी, गर्मी, बरसात, सुबह, दोपहर, शाम, समय की
Raushni Tripathi
रंग-ओ-रस की हवस और बस मसअला दस्तरस और बस यूं बुनी हैं रगें जिस्म की एक नस टस से मस और बस उस मुसव्विर का हर शाहकार साठ-पैंसठ बरस और बस सब तमाशा-ए-कुन-ख़त्म-शुद कह दिया उसने बस और बस #AmmarIqbal . ©Raushni Tripathi रंग-ओ-रस की हवस और बस मसअला दस्तरस और बस यूं बुनी हैं रगें जिस्म की एक नस टस से मस और बस उस मुसव्विर का हर शाहकार साठ-पैंसठ बरस और बस
Raushni Tripathi
रंग-ओ-रस की हवस और बस मसअला दस्तरस और बस यूं बुनी हैं रगें जिस्म की एक नस टस से मस और बस उस मुसव्विर का हर शाहकार साठ-पैंसठ बरस और बस सब तमाशा-ए-कुन-ख़त्म-शुद कह दिया उसने बस और बस #AmarIqbaal ©Raushni Tripathi रंग-ओ-रस की हवस और बस मसअला दस्तरस और बस यूं बुनी हैं रगें जिस्म की एक नस टस से मस और बस उस मुसव्विर का हर शाहकार साठ-पैंसठ बरस और बस
Vipin Dilwarya
Ankita Shukla
क्या खोना क्या पाना जब साथ कुछ नही ले जाना सारा सुख छाड़िक भर का हैं मर मर के क्यों सजोना कोई एक कोई दो कोई पांच करोड़ कमा रहा पूछो उसे क्या बचा रहा हैं साठ साल की जिंदगी पचास तक क्यों कमा रहा हैं रोती कपड़ा मकान तक ही सीमित है यदि जीवन तो नए नए धंधे क्यों बड़ा रहे हो ©Ankita Shukla #Raat क्या खोना क्या पाना जब साथ कुछ नही ले जाना सारा सुख छाड़िक भर का हैं मर मर के क्यों सजोना कोई एक कोई दो कोई पांच करोड़ कमा रहा पूछो उस