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Rahul pateriya
Shabdveni
Raahul Kant
दीपा साहू "प्रकृति"
"हमेशा नए लगना" बारिश में भीगे कपड़े की तरह, निचोड़ कर हृदय , जब देखो दोनों हाथों के बीच, पानी की तरह दर्द निचोड़कर बाहर आना ! फिर धूप में सुखाए कपड़े की तरह, सूखा आना! और झूठी हँसी की इस्त्री कर, गम के सिलवटों को हटाकर, नई निशान के साथ,फिर से चल पड़ना। जहाँ लोगो को हमेशा नए से लगो। ©दीपा साहू "प्रकृति" #Prakhar_ #deepliner #love #Pain #intejar #poetry "हमेशा नए लगना" बारिश में भीगे कपड़े की तरह, निचोड़ कर हृदय , जब देखो दोनों हाथों के बीच,
Nisheeth pandey
शीर्षक - तुम्हारी छुअन 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ तुम्हारे छुअन से पता ही नहीं चलता फूर्र से ' पंख फैलाकर , मन कहाँ उड़ जाता है तुम्हारा आना करीब पाना - तुम्हारी सोच का छुअन पाना तुम्हारी हंसी का छुअन पाना तुम्हारी नज़र का छुअन पाना तुम्हारी शरारतों का छुअन पाना आत्मसात हो जाता है जैसे मेरा अस्तित्व तुम्हारे संग मैं , मैं सा नहीं रहता तब तुम , तुम सा नहीं रहती , सच में हमारे बीच प्रेम अलौकिक नृत्य करता है डरता हूं सच में मन ही मन उन पलो को जीने के बाद बिछरण के विरह से भ्रमीत होकर । तुम्हारे जाने के बाद, ढूंढता हूं तुम्हें ख्यालों की समंदर में - अपने होंठो पर अंकित तुम्हारे चुंबन में चाय के कप पर तुम्हारी छुअन में चादर में मौजूद सिलवटों पर , आईने पर भूली बिंदी जैसे तुम्हारी रूह मुझे हर पल तकती रहती है सच में क्योंकि - न जाने क्यों तुम थोड़ा सा खुद को मेरे पास भूल आती हो बार - बार और हर बार अपनी छुअन मेरे डायरी पर लिख जाती हो .... @निशीथ ©Nisheeth pandey #Chhuan शीर्षक - तुम्हारी छुअन 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ तुम्हारे छुअन से पता ही नहीं चलता फूर्र से ' पंख फैलाकर , मन कहाँ उड़ जाता है