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Ombir Kajal
संभल ना सकैं जिंदगी मै,इतने भी टूट्टे कोन्या, हम खुद लुटे सैं यारो, किसी नेै लुट्टे कोन्या, अर के बात जो एक छौडगी,छौरी होर भतेरी सैं, हामनै एक भी ना मिलै,भाग इतने भी फुट्टे कोन्या। 😎😎😎 Ombir Kajal ©Ombir Kajal भाग इतने भी फुट्टे कोन्या 😊
Santosh Kumar
इतने अमीर तो कोन्या क सब कीमे खरीद ल्या पर इतने गरीब भी कोन्या क खुद बिक जावा
Heer
मातृतृत्व (मातृप्रेम)— यशोदा मैया कान्हा तू काहे सताए मोहे...। भोर से निकाला अब सांझ भई तेरी यादों में मैय्या खोई, कबसे राह निहारे थक गए नैन अब मोरे, जाने कितना सताए गोपियां ये सोच सोच जी घबराए, कान्हा तू काहे सताए मोहे ...। न भेजूं अब गैया चराने न करने दू चौखट पार, गले लगाने को तड़प रही बाहें नैन दरस बिन पथराए, अपने हाथों पकवान बनाए जो लल्ला के मन को भाए, जल्दी जल्दी घर आजा लल्ला तू इतना काहे सताए मोहे....। नंद बाबा जल्दी जाओ मेरे लल्ला को ले आओ, मन को चैन तब तक न आवे जब तक लल्ला को दरस न पावे। ©Heer #मातृत्व प्रेम - मैया यशोदा
Santosh Kumar
इतने अमीर तो कोन्या क सब कीमे खरीद ल्या पर इतने गरीब भी कोन्या क खुद बिक जावा
विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात )
इश्क़ झूठा, एक दर्द है ये सच, हमें धोखा देकर चला जाता है अक्सर। पर फिर भी हम खो जाते हैं उसमें, इसे छोड़कर जीना हमें नहीं आता कहीं। जो था इश्क़, अब बस एक कल्पना है, हमारे दिल में ये दर्द हमेशा ज़िंदा है। कोई क्या जाने इस इश्क़ के अंदर, जो दिल का हाल बदल देता है अदा से नज़र। इश्क़ के झूठ में मत खो जाना, सच्चे प्यार को हमेशा साथ रखना। दिल से उठे हर एहसास को देखो, इस इश्क़ के झूठ में फिर कभी मत फसो। जिंदगी के साथ इसे सीख जाओ, इश्क़ के झूठे सपनों को तुम भूल जाओ। ©विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात ) जागो रे रे........
Gurudeen Verma
शीर्षक- छेड़ता है मुझको यशोदा मैया --------------------------------------------------------------- (शेर)- करता है बहुत परेशान, सुन ओ यशोदा मैया। राहों में आते जाते मुझको, तेरा नटखट कन्हैया।। ------------------------------------------------------------ छेड़ता है मुझको यशोदा मैया। नटखट तेरा यह कन्हैया।। छेड़ता है मुझको----------------।। परेशान राहों में, करता है मुझको। पनघट पर जाते, देखकर मुझको।। कंकर मारकर, फोड़े मेरी मटकी। नटखट तेरा यह कन्हैया।। छेड़ता है मुझको----------------।। जहाँ मैं जाती हूँ, वहाँ यह आता है। नहाते समय, मेरे कपड़े चुराता है।। माखन खाये मेरा, चुपके से आकर। नटखट तेरा यह कन्हैया।। छेड़ता है मुझको----------------।। अपनी मुरली पर यह, मुझको नचाये। सोने नहीं देता यह, मुझको जगाये।। मेरी राधा कहकर, मुझको पुकारे। नटखट तेरा यह कन्हैया।। छेड़ता है मुझको----------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #छेड़ता है मुझको यशोदा मैया