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Prashant Roy
Blue Moon एक कहानी, कभी किस्सा, कभी हकीकत की, जुबानी बन, एक कहानी एक कहानी बन गयी, जिसे लफ्जों से बायां ना कभी कर पाया, वही इश्क़ वही मोहब्बत एक हिस्सा ज़िन्दगी का, किस्सा मेरे वजूद का, एक कहानी अजनबी मुआनी बन, एक कहानी। ©Prashant Roy #bluemoon #poem #Hindi
गौरव आनन्द श्रीवास्तव
White चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया जागा रहा तो मैंने नए काम कर लिए ऐ नींद आज तेरे न आने का शुक्रिया सूखा पुराना जख्म नए को जगह मिली स्वागत नए का और पुराने का शुक्रिया आती न तुम तो क्यों मैं बनाता ये सीढ़ियाँ दीवारों, मेरी राह में आने का शुक्रिया आँसू-सा माँ की गोद में आकर सिमट गया नजरों से अपनी मुझको गिराने का शुक्रिया अब यह हुआ कि दुनिया ही लगती है मुझको घर यूँ मेरे घर में आग लगाने का शुक्रिया गम मिलते हैं तो और निखरती है शायरी यह बात है तो सारे जमाने का शुक्रिया अब मुझको आ गए हैं मनाने के सब हुनर यूँ मुझसे `कुँअर' रूठ के जाने का शुक्रिया कुँवर बेचैन ©गौरव आनन्द श्रीवास्तव #nightthoughts #Hindi #poem
राहुल Shiv
प्रश्न ये की अगर गौतम बुद्ध किसी के प्रेम में पड़े होते तो क्या निर्वाण को प्राप्त हो पाते..? महलों का वैभव तो त्याग दिया था.. क्या प्रेम से विरक्त हो पाते। क्या तज पाते प्रेयसी को पत्नी की तरह । बंध पाते वैराग्य में प्रेम से मुक्त होकर। कर पाते ध्यान किसी और आराध्य का । आँख बंद करते, वही मूरत दिखाई देती ध्यान तो छोड़िए, सो भी नही पाते और हर दिन कोरी आंखों सवेरा होता। जब सवार होती वेदना रूपी प्रताड़ना, तो ज्ञान का बोध चुनते या साथी का । प्रेम के निम्तम रूपों मोह, आकर्षण, वासना पर तो उन्होंने पार पा लिया था. दूसरों से मिले प्रेम को तो उन्होंने भावनाओं का ज्वार समझ कर नकार दिया लेकिन एक बार अपनी समस्त इन्द्रियों को साक्षी मानकर उन्होंने अपने चंचल ह्रदय में अगर किसी को बसाया होता..सुना होता किसी की सांसों का संगीत..बिताये होते एकांत के कुछ पल हाथों में हाथ लेकर..तो उनके मोक्ष के मायने बदल गए होते। अगर मन हुआ होता रक्तरंजित अपने प्रिय के इंकार से ..होता कभी जो प्रणय निवेदन अस्वीकार.. ह्रदय बिखरा होता छलनी होकर.. तो उन्हें मौन से ज्यादा मृत्यु, मुक्ति का मार्ग लगती। हर स्मृति, हर कल्पना, हर भावना बस एक ही विंदु पर आकर सिमट जाती ..और वो केंद्र विंदु होता प्रेम । ये शायद नियति ही थी कि गौतम बुद्ध के ह्रदय में प्रेम के बीज नही पड़े वर्ना विश्वास कीजिये वो सिदार्थ से गौतम तो हो जाते..पर शायद कभी बुद्ध नही हो पाते। ©राहुल Shiv #Path #Love #Hindi #poem
Kavyamarg.in
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