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Komal Singh
Unsplash Sochati hain abhi waqt bahut hai hamare pass itni bhi Kya jaldi Hai Abhi dusron ke hisab se ji lete Hain Apne liye to sari umar hi padi hai...😊 ©Komal Singh #Book #poems #hindipoetry #Poetry #poetryislife #viral #Trending sad poetry poetry in hindi sad urdu poetry lovers
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Rishi Ranjan
Unsplash " अलविदा कहना पड़ रहा.... " मेरे सभी BPSC PGT शिक्षक प्रशिक्षु आने वाला पल अब एक दास्ताँ में बदल रहा... एक पल में अर्सा गुजरने का दौर भी अब थम रहा.... आ गया वो मोड़ जिसमें अलविदा कहना पड़ रहा... क्लास और लंच वालीं कहानी होंगी खत्म... अब अलग होंगे विद्यालय एवं लेकिन मकसद होंगे केवल एक वो है अपने बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा... छह दिनों के प्रशिक्षण सब कितने जल्दी हो गए.... एक पल में अर्सा गुजरने का दौर भी अब थम रहा.... आ गया वो मोड़ जिसमें अलविदा कहना पड़ रहा है.... Bpsc शिक्षक बने हुए आए थे प्रशिक्षण ले कर जा रहे... सेमिनार हॉल के सांस्कृतिक कार्यक्रम सब कितने जल्दी हो गए... हाथ में certificate मिला और हम सभी बुनियादी रूप से भी शिक्षक हो गए.... एक पल में अर्सा गुजरने का दौर भी अब रहा.... आ गया वो मोड़ जिसमें अलविदा कहना पड़ रहा है.... मेरे दोस्तों ध्यान से देख लो कहीं कुछ छुटा ना हो... कहीं आपकी वज़ह से किसी का दिल रूठा न हो... भूलकर सब रंजिशें सब एक दूसरे से मिल लो.... क्युकी जा रहा ये वक़्त अब दुबारा आने से रहा.... दिल थाम कर आंखे पोंछ कर अलविदा कहना पड़ रहा... मेरे BPSC PGT शिक्षक ये साथ का पल अब एक दास्ताँ में बदल रहा... आ गया वो मोड़ जिसमें अलविदा कहना पड़ रहा है..... अलविदा कहना पड़ रहा.... धन्यवाद और आभार आप सबों को.... ©Rishi Ranjan #Book #poems #Life hindi poetry on life love poetry in hindi poetry in hindi poetry quotes
naveenlupoetry
White सपने सारे सपने हैं कहने को बस अपने हैं है दूजा कौन जो फिकर करे परिवारों की बीच भंवर में फ़सी पड़ी है किसे है चिंता पतवारों की उन्हें चाहिए आजादी चाहे मर्यादा मरघट में जाए अपने जीस्त से मतलब है चाहे रिश्तो में खटपट आए यही है दुनिया यही कहानी सबकी है चली आ रही है युगों युगों से न तब की है न अब की है कौन करे मेल- मिलाप कौन हलक से हमदर्दी बाँटे जब लगा है खून दांतो में एकलापन का कौन अपने - पराये का दूरी काटे रहो रुखसत रहो खफ़ा बस ऊपर वाले का खयाल रहे है नहीं क्यूँ सब के संग मेरा मन बस यही अंतर्मन में सवाल रहे ©naveenlupoetry #Sad_Status hindi poetry on life poetry lovers hindi poetry poetry in hindi deep poetry in urdu
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read moreArpan Varu
Andaaz bayan
!!1857 की क्रांति!! धधक उठी चिंगारी,सैलाब स्वतंत्रता का ये पहला था । गाय सूअर की चर्बी वाले कारतूसों ने,"घी "आग में डाला था ।। तब मौत का कोई खौफ नहीं रह गया,सीने पर गोली खाने को । जब मजबूर किया,भारतीयों को,ब्रिटिश इंडिया कंपनी के अमानुषिक व्यवहारों ने।। तब हल्ला बोला स्वतंत्रता सेनानियों ने जिनकी सूची काफी लंबी थी। (प्रमुख थे बहादुर शाह जफर,मंगल पांडे,नाना साहेब,तात्या टोपे,कुंवर सिंह लक्ष्मी बाई ) राज्य हड़पने,धर्म परिवर्तन,रिवाजों से छेड़छाड़,जब रास ना भारतीयों को ये सब आया था।। यूं तो देशभक्ति की ज्वाला हर एक क्रांतिकारी के दिल में थी, छूटी जमीन किसानों से ,जमीदारों की रियासतों का विलय हुआ । ठप्प हुआ हस्तशिल्प कारीगरों का,बच्चों से गुरुकुल मदरसा छीना गया, ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन ने सबका बेड़ा गर्क किया।। चली गई ब्रिटिश सरकार के हाथ में ,सत्ता ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत की। 1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का ये निर्णायक परिणाम हुआ।।✍🏻 ©Andaaz bayan #1857revolt #1857War #poem #poems Hinduism poetry poetry in hindi
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read moreदीक्षा गुणवंत
हां मैं ठीक हूं। शायद रातें लंबी हो गई हैं, तो ज्यादा देर जाग लिया करती हूं। कुछ करने को खास है नहीं, तो कुछ अनसुलझी बातें खुद में सुलझा लिया करती हूं।। हां मैं ठीक हूं। सर्द हवाओं का मौसम है आजकल, ये ठंडी हवाएं थोड़ा चुभती है सांस लेने में। कुछ देर घबरा कर, आंख बंद कर आहें भर लिया करती हूं।। हां मैं ठीक हूं। दिन तो कट जाता है लोगों के बीच में आराम से, शाम को काम के बीच खुद को व्यस्त कर लेती हूं। किसी को खास कहने को यूं तो कुछ है नहीं, पर कभी खुद को खुद से सारे आम कर देती हूं।। हां मैं ठीक हूं। चेहरे पर मुस्कान, आंखों में उम्मीद, सच है या झूठ कुछ कह नहीं सकते। सब पूछ लेते है कैसी हो? सब ठीक तो है ना? मुस्कुरा कर, सर हिला कर, मैं ठीक हूं कह दिया करती हूं।। हां मैं ठीक हूं। हां बाकी ये सब छोड़ो, मैं तो ठीक ही हूं।। -लफज-ए-आशना "पहाड़ी" . ©दीक्षा गुणवंत #Texture deep poetry in urdu hindi poetry poetry hindi poetry on life sad urdu poetry
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read moreदीक्षा गुणवंत
मैं उसको इस कदर आंख भर के देखूं, वो जाए दूर फिर भी आह भर के देखूं। एक इंसान ने यूं ही इस कदर पा लिया उसे, मैं उसे खुद के किस ख्वाब में देखूं? चंद लम्हे बिताए उसके साथ में, पर सपने हजार मैं देखूं। साथ में होकर भी रास्ते अलग से हैं हमारे, खुद अकेले चलकर उसे किसी और के साथ मैं देखूं।। कुछ कह कर भी किसी के एहसास-ए-मोहब्बत से वाकिफ होने से महरूम है ये दुनिया। यूं तो बिन कहे, बिन सुने समझ लेते हैं एक दूजे को, उसकी आंखों में खुद के लिए प्यार बेशुमार मैं देखूं।। यूं बिखरी जुल्फें, यूं बदहवास सी हालत, यूं आंखों के दरमियां घेरे काले काले, उसे पसंद हूं मैं इन खामियों के साथ। वो कहे मेहताब का नूर मुझे, उसकी नजरों से आईने में खुद का दीदार हजार बार मैं देखूं।। वो मेला, वो झूले, वो रास्ता तेरे साथ में, याद है वो आखरी दिन मेरा हाथ तेरे हाथ में। वो बिंदी, वो लाली, फिर भी कुछ कमी सी थी श्रृंगार में, वो तेरी पसंद के झुमके पहन खुद को बार-बार मैं देखूं।। मोहज़्ज़ब(सभ्य) मोहब्बत और ये बेइंतेहा चाहत हमारे दरमियां, एक पायल उसने अपने हाथों से पहनाई जो मुझे। कुछ इस तरह छुआ मेरे पैरों से मेरे दिल को, उस लम्हे को तन्हाई में हजार बार मैं देखूं।। बेबसी का आलम कुछ इस कदर है मेरे आशना, वो साथ होकर भी साथ नहीं है मेरे। मेरा होकर भी मेरा ना हो सका वो, उसे पाया भी नहीं, फिर भी खो देने का आज़ार(दर्द) मैं देखूं।। -लफ़्ज़-ए-आशना "पहाड़ी" । ©दीक्षा गुणवंत sad urdu poetry poetry urdu poetry poetry on love poetry in hindi
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