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Amit Singhal "Aseemit"
सुंदरता, शालीनता, सौम्यता और लज्जा, इनसे ही स्त्री के रूप एवं व्यवहार की सज्जा। जब चारों गुण होते हैं आदर्श स्त्री के अंदर, तब उसका जीवन बन जाता विशाल समंदर। ©Amit Singhal "Aseemit" #लज्जा
Nishant Yadruk
Vikrant Rajliwal
😈 डाक बंगला _ Daak Bangla Horror Novel (भूतिया उपन्यास) Read Full Horror Novel! http://vikrantrajliwalblogs.blogspot.com/2024/01/daak-bangla-horror-novel.html Don't Forget To Share & Follow My Blog site. ©Vikrant Rajliwal 😈 डाक बंगला _ Daak Bangla Horror Novel (भूतिया उपन्यास) Read Full Horror Novel! http://vikrantrajliwalblogs.blogspot.com/2024/01/daak-bangl
कर्म गोरखपुरिया
शर्म आनी चाहिए ©कर्म गोरखपुरिया दुनिया का सबसे विनाशकारी चीज इंसान स्वयं है ! हवस का ज्वार लोगों मे इस तरह चढ़ा हुआ है की लोगों का विवेक मर चुका है ! इंसानियत ने भी हैवानिय
@Divya
तुमको निरंतर पराभव और अभिशाप सह कर भी जिसका जीवन - दीप स्नेह से प्रज्ज्वलित है_ _ यशपाल ©@DivyA यशपाल (दिव्या उपन्यास)🧡❤️
Gyanu ojha
उसके बालों मैं गुलाब जचते बहुत हैं, वो खिल जाती है गुलाब सी गुलाब की महक से सच कहूं तो वो ख़ुद गुलाब सी है ज्यादा खूबसूरत नहीं फिर भी लाजवाब सी है हर मुश्किल में गिरते गिरते भी संभलना जानती है धोखा खाने के बाद भी अच्छाई है मानती है मान लेती है हर बार हार जीवन से , मगर हर दफा फिर से उठना ,चलना जानती है वो गुलाब सी है,कांटों में रहकर भी मुस्कुराहट को सहेजकर रखा है उसने यूं तो लोग उसकी बर्बादी की माला जपते बहुत हैं बहरहाल बातें तो बहुत है उसपे गजल या शायरी नहीं उपन्यास लिखे जा सकते हैं आत्मनिर्भर बनने की कोशिश के दौर में भी अपने संस्कार साथ लेकर चलने वाली पुराने और आधुनिक विचारों के खूसूरत सम्मिश्रण की मिसाल जो है छल करने वालों के जी का जंजाल वो है सुना है जब से बेबाक हुई है,लोग मरते हैं ही उसपे ,मगर अब लोग उसे डरते बहुत हैं अब बात गुलाब की थी गुलाब पर खतम करदें बहुत है उसके बालों में गुलाब जचते बहुत हैं..... ©Gyanu ojha उसके बालों मैं गुलाब जचते बहुत हैं, वो खिल जाती है गुलाब सी गुलाब की महक से सच कहूं तो वो ख़ुद गुलाब सी है ज्यादा खूबसूरत नहीं फिर भी लाजव
KP EDUCATION HD
KP NEWS HD कंवरपाल प्रजापति समाज ओबीसी for the ©KP NEWS HD इस पर्व का संबंध शिव जी से है और 'हर' शिव जी का नाम हैं इसलिए हरतालिका तीज अधिक उपयुक्त है. महिलाएं इस दिन निर्जल व्रत रखने का संकल्प लेती ह
Medha Bhardwaj
जीवन की कहानी, उपन्यास जैसी है.. धीरे धीरे हर चरण को पूर्ण करके अगले में कदम रख रहे है..! हर चरण में एक नयी उमंग और एक नयी चुनौती है, रहस्य, अजनबी लोग, परिवार, दोस्त , प्रकृति और सबको बनाने वाले विधाता... जन्म से लेकर मृत्यु तक पल पल में रहस्य होता है अगले पल में क्या होने वाला है ..नहीं जानते ! पर जानने की उत्सुकता में मृत्यु होने तक, पन्ने पलटते रहते हैं..! और उपन्यास की आखिरी पंक्तियों में रहस्य खुल जाता है.. कि सब कुछ यहीं रखा रह जाता है.. सिर्फ धर्म और कर्म साथ जाते हैं || ©Medha Bhardwaj जीवन की कहानी उपन्यास जैसी है। #kitaab #Novel #Novembercreator #Hindi #hindi_poetry #hindi_quotes #hindi_shayari #EXPLORE #Expectations #vir
एक अजनबी
एक पुरुष और स्त्री के आपसी संबंधों की परिणति, सिर्फ देह ही तो नहीं हो सकती। क्या एक स्त्री और पुरुष किसी और तरह नहीं बँध सकते आपस में ? और बँधें ही क्यों ? उन्मुक्त भी तो रह सकते हैं, समाज के बने बनाए एक ही तरह के खाके से जिसमें सदियों पुरानी एक सड़ांध सी है। एक स्त्री और पुरुष बौध्दिकता के स्तर पर भी एक हो सकते हैं उपन्यास, कविताएँ, कहानियों, ग़ज़लों पर विमर्श करना कहानियों की पौध रोपना क्या दैहिक सम्बन्धों की परिभाषाएँ लाँघता है ? एक स्त्री और पुरुष-घण्टों बातें कर सकते हैं फूल के रंगों के बारे में, तितलियों के पंखों के बारे में, समुद्र के दूधिया किनारों के बारे में, और ढलती शाम के सतरंगी आसमानों के बारे में, पत्तों पर थिरकती, बारिश की सुरलहरियों के बारे में; इनमें तो कहीं भी देह की महक नहीं, दूर - दूर तक नहीं। फिर दायरे, वही दायरे बाँध देते हैं दोनों को। एक स्त्री और पुरुष- आपस में बाँट सकते हैं - एक दूसरे का दुःख, ठोकरों से मिला अनुभव, कितनी ही गाँठें सुलझा सकते हैं, साथ में मन की। मगर, नहीं कर पाते, ......क्योंकि दोनों को कहीं न कहीं रोक देता है, उनका स्त्री और पुरुष होना। एक स्त्री और पुरुष - के आपसी सानिध्य की उत्कंठा - की दूसरी धुरी.. आवश्यक तो नहीं कि दैहिक खोज ही हो; मन के खाली कोठरों को सुन्दर विचारों से भरने में भी सहभागी हो सकते हैं - स्त्री और पुरुष। यूँ भी तो हो सकता है कि - उनके बीच कुछ ऐसा पनपने को उद्वेलित हो, जो देह से परे हो, प्रेम की पूर्व गढ़ित परिभाषाओं से भी अछूता हो, क्यों न दें इस नई परिभाषा को? स्त्री और पुरुष के बीच। ©एक अजनबी #एक_स्त्री_और_पुरुष #कृपया_पूरी_पढ़े 🙏🏻 *एक पुरुष और स्त्री के आपसी संबंधों की परिणति, सिर्फ देह ही तो नहीं हो सकती। क्या एक स्त्री और पुर