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Nasamajh
लुटाने को क्या है हमने तो अपनी पूरी कायनात लुटा दी !! पर लुटाने से सब कुछ अपना नहीं हो जाता !! लुटाते तो हम सांँस भी हैं फिर भी वो मौत जिंदगी नहीं बनती ?? #लुटाने #हिंदी_कोट्स_शायरी #हिंदी #हिंदीqoutes
Parasram Arora
लुटाने का अर्थ शास्त्र ख्याल मे आया है आज कि जीवन मे जितना बाँटा जाए उससे दुगना आकर गिरता है झोली मे ©Parasram Arora लुटाने का अर्थ शास्त्र
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एक बार पाँच असमर्थ और अपंग लोग इकट्ठे हुए और कहने लगे, यदि भगवान ने हमें समर्थ बनाया होता तो बहुत बड़ा परमार्थ करते। अन्धे ने कहा— यदि मेरी आँखें होतीं तो जहाँ कहीं अनुपयुक्त देखता वहीं उसे सुधारने में लग जाता। लंगड़े ने कहा— पैर होते तो दौड़-दौड़ कर भलाई के काम करता। निर्बल ने कहा— बल होता तो अत्याचारियों को मजा चखा देता। निर्धन ने कहा— धनी होता तो दीन दुखियों के लिए सब कुछ लुटा देता। मूर्ख ने कहा— विद्वान होता तो संसार में ज्ञान की गंगा बहा देता। वरदान
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👉 Vardaan वरदान एक बार पाँच असमर्थ और अपंग लोग इकट्ठे हुए और कहने लगे, यदि भगवान ने हमें समर्थ बनाया होता तो बहुत बड़ा परमार्थ करते। अन्धे ने कहा— यदि मेरी आँखें होतीं तो जहाँ कहीं अनुपयुक्त देखता वहीं उसे सुधारने में लग जाता। लंगड़े ने कहा— पैर होते तो दौड़-दौड़ कर भलाई के काम करता। निर्बल ने कहा— बल होता तो अत्याचारियों को मजा चखा देता। निर्धन ने कहा— धनी होता तो दीन दुखियों के लिए सब कुछ लुटा देता। मूर्ख ने कहा— विद्वान होता तो संसार में ज्ञान की गंगा बहा देता। वरुण देव उनकी बातें सुन रहे थे। उनकी सचाई को परखने के लिए उनने आशीर्वाद दिया और इन पाँचों को उनकी इच्छित स्थिति मिल गई। अन्धे ने आँखें, लंगड़े ने पैर, निर्बल ने बल, निर्धन ने धन और मूर्ख ने विद्या पाई और वे फूले न समाये। परिस्थिति बदलते ही उनके विचार भी बदल गये। अन्धा सुन्दर वस्तुएँ देखने में लगा रहता और अपनी इतने दिन की अतृप्ति बुझाता। लंगड़ा सैर-सपाटे के लिए निकल पड़ा। धनी ठाठ-बाठ जमा करने में लगा। बलवान ने दूसरों को आतंकित करना शुरू कर दिया। विद्वान ने अपनी चतुरता के बल पर जमाने को उल्लू बना दिया। बहुत दिन बाद वरुण देव उधर से लौटे और उन असमर्थों की प्रतिज्ञा निभी या नहीं, यह देखने के लिए रुक गये। पता लगाया तो वे पाँचों अपने-अपने स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हुए थे। वरुण देव बहुत खिन्न हुए और अपने दिये हुए वरदान वापिस ले लिए। वे फिर जैसे के तैसे हो गये। अन्धे की आँखों का प्रकाश चला गया। लँगड़े के पैर जकड़ गये। धनी निर्धन हो गया। बलवान को निर्बलता ने जा घेरा। अब उन्हें अपनी पुरानी प्रतिज्ञायें याद आईं और पछताने लगे कि पाये हुए सुअवसर को उन्होंने इस प्रकार प्रमाद में क्यों खो दिया। समय निकल चुका था, अब पछताने से बनता भी क्या था? 📖 अखण्ड ज्योति अगस्त 1964 वरदान
Kavita Vijaywargiya
आज मेरी वजह से एक सच्चे , भोले और ईमानदार शख्स के दिल को इतनी गहरी चोट लगी है कि उसका दर्द बयां करने के लिए उसके पास शब्द तक नहीं है । जिसकी मुस्कान और हंसी ने मुझे हंसना और जीना सिखाया..... आज उसकी उस प्यारी हंसी को मैंने अपने शब्दों से घायल कर दिया । ईश्वर का वरदान किस रुप में आपके पास आये ये तो ईश्वर ही जानता है , मैं बस इतना जानती हूं कि.......... ❤️ " मुझे वो वरदान मिल गया " ❤️ 😇 #वरदान
sachin sharma
मैं ये मांगना चाहता हूँ जो लोग मुझसे प्यार और नफरत करते हैं उन्हें हमेशा खुश रखना। वरदान