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Priyanka Jaiswal
आई आईची वेडी माया, देते उन्हामध्ये छाया... काय लिहु तीच्यावरी, स्वामी तिन्ही जगाचा आईविना भिकारी.... जन्म मला देऊन, आनंद तिला झाला.... बोट धरुनी शिकवले, तिने मला चालवया.... भूक लागली मला जेव्हा, भरविला घास तिने तेव्हा. . स्वतः राहुनी उपाशी, स्वप्न पूर्ण केली रे पिलांची... तिच्या ममतेची काय सांगू कहाणी, ती आहे माता ,तीच जगतजनानी... ऐकून तिची अंगाई, मन शांत निजी जाई... विसरुनी साऱ्या दुःखाला, शांती मिळते मनाला... तिच्या उपकाराची काय दाखऊ काया, तिच्या अंतकर्णात आहे, धागाएवढी माया... आई आज तुला, सांगावेसे वाटते ग, जर नसती तू,तर मिपण नसते ग... माझे अस्तत्व सुरू झाले तुझ्यामुळे, तुझ्या ममतेचे काय उदाहरण देऊ जगापुढे... हाथ जोडुनी प्रार्थना करते देवाला, साती जन्मी हीच आई देरे देवा मला.. ©Priyanka Jaiswal #आई
Shiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता
"Hare Krishna "(कवि/गीतकार)
गिर गिर कर उठने कोशिश करते रहना है । चलना ही जीवन है प्यारे चलते रहना है ।। ©"Hare Krishna "(कवि/गीतकार) कविता
Shahid0007
Autumn गुलों के रास्ते में, कांटे तो आयेंगे ही, चुभेंगे पावों में,और दिल को दहलाएंगे भी, हो सकता है डर भी लगे,और मन कहे घर लौटने को मगर, ये कांटे ही गुलों तक पहुंचाएंगे भी 🙂 ©Shahid0007 #कविता
Aarzoo smriti
Blue Moon वो सवँर के सामने आई, हम नज़र क्या उठा बैठे, उसे देखते ही, पल में सारा जहाँ भुला बैठे। सागर से गहरी वो नशीली आँखें उसकी, वो नज़र क्या मिलाई हम होश गवाँ बैठे। ©Aarzoo smriti #वो सामने आई,,,,
Arora PR
Blue Moon ये कविता यूँ ही नहीं कविता बन जाती. ये कविता उतरती है ह्रदय के कैनवास पर.... और आती है ब्रह्माण्ड के अनचीन्हे कोनो से परिंदो के पँख पर बैठ कर. ©Arora PR कविता
Neel
भर आई आँखें पर.. क्यूं नमी हाथों में थी, दिल में था दर्द पर.. क्यूं गमी बातों में थी। समझ ही न आया कि.. रेत सा क्यूं वक्त था, धड़कनें थी मद्धम पर.. रवानगी सांसों में थी। 🍁🍁🍁 ©Neel भर आई आँखें 🍁