Find the Latest Status about बहुधा का विलोम from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, बहुधा का विलोम.
Sneh Prem Chand
काश कोई योग गुरु ऐसा भी होता जो हमें ऐसा अनुलोम विलोम करना सिखा देता, जिसमें अंदर सांस लेते हुए संग प्रेम,सौहार्द,अपनत्व और स्नेह ले जाएं, और बाहर सांस छोड़ते हुए अपने भीतर के ईर्ष्या,द्वेष, अहंकार,क्रोध,लोभ,काम सब छोड़ देवें।। दिल की कलम से ©Sneh Prem Chand अनुलोम विलोम #Hope
Navonmeshi_Raaj
टूटी फूटी क़िस्मत की मरम्मत में, हौसलों के हथियार घिस गये चार दिन की ज़िन्दगी में न जाने हम, कितनी बार पिस गये| ✍--राजकुमारी न मानो...होता है बहुधा ऐसा ही.. #Nojoto #nojotohindi #quotes
Alok Vishwakarma "आर्ष"
विलोम लोम रात दिन, एक लगे तेरे बिन । असत्य सत्य वाक् मौन, मेरे लिये हुए गौण ।। अमत मत विराग राग, हृदय से रिसता पराग । अन्ध दीप्त तम अलोक, क्षण वियोग अश्रु शोक ।। "विलोम-लोम मिश्रण" एक कविता लोम व विलोम के पहलुओं को दर्शाती हुई। विलोम लोम रात दिन, एक लगे तेरे बिन । असत्य सत्य वाक् मौन, मेरे लिये हुए ग
REETA LAKRA
वो किसी का दुश्मन नहीं हो सकता। तुम जिसके यार हो न वो किसी का याराना भुला नहीं सकता। तुम जिसके मित्र हो न वो किसी का शत्रु नहीं हो सकता। तुम जिसके साथी हो न वो किसी का साथ नहीं छोड़ सकता। तुम जिसके दिलदार हो न वो तुमसे दिलदारी नहीं छोड़ सकता। ३२४/३६६ तुम जिसके दोस्त हो ना... #जिसकेदोस्तहो #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi विलोम yreeta-lakra-9mba
DR. SANJU TRIPATHI
अनपढ़ चाहे कितना भी समझदार क्यों ना हो जाए, उसके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर ही रहता है। ईश्वर ने भी जाने कैसी मुसीबत सबके सर पर डाली है, बचे तो बचे कैसे कोई भी आगे कुआं तो पीछे खाई है। औरतें चाहे घर बाहर के सब काम सामंजस्य से कर लें, रहेंगी जीवन भर घर की मुर्गी दाल बराबर के जैसी ही। न रह गया अब रिश्तों में विश्वास कोई भी मान सम्मान, सभी एक दूजे से थोथा चना बाजे घना बनकर रहते हैं। करते हैं सभी न्याय की बड़ी बातें बताते हैं खुद को सही, डरते हैं सभी दूध का दूध और पानी का पानी कौन करें। प्रयुक्त विलोम शब्द काला अक्षर भैंस बराबर आगे कुआं पीछे खाई थोथा चना बाजे घना घर की मुर्गी दाल बराबर दूध का दूध पानी का पानी #काव्यसंग्
vishnu prabhakar singh
स्वीकृत सहनशीलता लिये एक दूजे के स्पंदन में जीविका से संस्कृति तक धी बेटी का यश पुरुषार्थ होगा न जब स्त्री पुरुष दोनों का संयोजन ही सृष्टि का आधार है...गृहस्थ जीवन का सार है...तो फिर बहुधा स्त्रियों पर ही क्यों की जाती है कविता?? PC: Pin
REETA LAKRA
सोना जागना लगा रहेगा, उत्थान पतन लगा रहेगा, उपयोग दुरुपयोग लगा रहेगा, आदान प्रदान लगा रहेगा, आरंभ अंत लगा रहेगा, उधार नकद लगा रहेगा, रुकना चलना लगा रहेगा, जय पराजय लगा रहेगा, क्रय विक्रय लगा रहेगा, उतार चढ़ाव लगा रहेगा, जब तक जीवन है, तब तक मरण का डर लगा रहेगा। ३३७/३६६ पाना खोना लगा रहेगा, रोना धोना लगा रहेगा... #पानाखोना #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #विलोम yreeta-l
DR. SANJU TRIPATHI
रात-दिन तेरा खयाल बस तेरा इंतजार करते हैं, शाम ओ सवेरे अब हमको नागिन से डसते हैं। सोचा था तन्हाइयां और वीरानियां मिट जाएंगी, जीवन में बस प्यार की महफिलें सज जाएंगी। अमीरी गरीबी ने हमारे बीच में दीवारें उठा दी, हमारे रिश्ते में प्यार की जगह नफरत भर दी। हर मोड़ हर घड़ी हमारा ही था तिरस्कार किया , रख लेते रिश्ते का मान गर तुमने था प्यार किया। विलोम शब्द रात- दिन शाम- सवेरे तनहाई- महफिल अमीरी- गरीबी प्यार- नफरत तिरस्कार -मान