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Stories related to वेदव्यास के पिता कौन थे

sanju पहाड़ी

#कौन मैं,कौन तू

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White 🤍 कौन मैं, कौंन तू 🤍

जानता हूं परेशान मैं ही नहीं, आप भी नजर आते हो 
दिल में भरी बातों को,दिल में ही दफ्फन कर जाते हो 
कब तक खुद को, यूं ही सजा देते रहोगे
कभी अपने फेसलों पर, मुड़कर के तो देखो 
मिलेंगें राह में, अनेकों हसीन चेहरे 
कभी इस मासूम चेहरे की, तरफ भी तो देखो
मालूम नहीं, किस बात को दिल से लगा बैठे हो
अनसुनी कहानियों पर, पर्दा डालकर के तो देखो
आसान नहीं है, रिश्ते को कामयाबी की ओर देखना   
लोगो के नजरिया को, नजरअंदाज करके तो देखो
कभी खुद के, दिल से पूछ्कर के देखना
कौन मै कौन तू ,जरा ये दिल से पूछ करके तो देखो 
यूं ही न जाने देना, इस अटूट रिश्ते को 
दो आत्माओं के बन्धन में ,साथ देकर के तो देखो

©sanju पहाड़ी #कौन मैं,कौन तू

Praveen Jain "पल्लव"

#chaandsifarish सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे

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पल्लव की डायरी
घुटन कियो लिबासों में हो रही है
फेशनो के नाम पर 
नंगेपन की नुबायस हो रही है
सादगी अंगों की बनी रहे
सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे
लगता है बाजारू रुख
असभ्यताओ को निमंत्रण दे रहा है
फले फूले बाजार,कट लिबास कर
अंगप्रदर्शन को तज्जबो दे रहा है
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #chaandsifarish सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे

Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन के सांप बहुत थे#

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आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा,
झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा,

बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, 
नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा,

जादू-टोना,  ओझा मंतर,  पूजा-पाठ   सभी   कर   डाले,
मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा,

धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है,
बड़ी-बड़ी  मीनारों  से  भी करके सीना चाक के देखा,

कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, 
मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा,

चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, 
हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, 
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra #आस्तीन के सांप बहुत थे#
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