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Himanshu Prajapati
शब्द का मतलब है और मतलब के शब्द, सब अर्थ का अनर्थ है.! ©Himanshu Prajapati #feather शब्द का मतलब है और मतलब के शब्द, सब अर्थ का अनर्थ है.! #36gyan #hpstrange
#feather शब्द का मतलब है और मतलब के शब्द, सब अर्थ का अनर्थ है.! #36gyan #hpstrange
read moreits_tezmi
White ओढ़ कर झूठ की चादर चले है सच से परदा करने .... ©its_tezmi #love_shayari #ओढ़ कर झूठ की चादर चले है सच से पर्दा करने😏
#love_shayari #ओढ़ कर झूठ की चादर चले है सच से पर्दा करने😏
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} जो भी पुरुष इस धर्म+मय हम दोनों के संवाद रूप गीता शास्त्र को पढ़ेगा, उसके द्वारा भी मैं ज्ञानयज्ञ (गीता अध्याय 4 श्लोक 33 का अर्थ देखना चाहिए।) से पूजित होऊँगा- ऐसा मेरा मत है ॥ 70॥ जय श्रीराधेकृष्ण जी!! ©N S Yadav GoldMine #Thinking {Bolo Ji Radhey Radhey} जो भी पुरुष इस धर्म+मय हम दोनों के संवाद रूप गीता शास्त्र को पढ़ेगा, उसके द्वारा भी मैं ज्ञानयज्ञ (गीता अध
#Thinking {Bolo Ji Radhey Radhey} जो भी पुरुष इस धर्म+मय हम दोनों के संवाद रूप गीता शास्त्र को पढ़ेगा, उसके द्वारा भी मैं ज्ञानयज्ञ (गीता अध
read moreRAMLALIT NIRALA
White महाकुंभ मैं बोलना नहीं चाहता था पर बोलना पड रहा है सबसे पहले उन लोगों को जो भगदड मे दब कर मौत हो गई कुंभ के मेले मे उन के आत्मा को शान्ति के लिए मैं ईस प्राकृतिक से बिनती करता हूँ कि उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे सम्भल जाओ आम जनता नहीं तो ईसितर दबाकर कुचले जाओगे कब समझोगे कभी धर्म के नाम पर कभी जाती के नाम पर ©RAMLALIT NIRALA पुजा का क्या अर्थ है कौई बतायेगा कौई भी बताये पुरे भारत में
पुजा का क्या अर्थ है कौई बतायेगा कौई भी बताये पुरे भारत में
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White ये कैसा प्यार मैं कर बैठा, उनकी नज़रों में खुद को गिरा बैठा। अब तो रातें तन्हा ही कटती हैं, सुकून ये इश्क़ भी गवां बैठा। कहाँ आती होगी सुकून की नींद, उनकी आँखों से अश्क छलका बैठा। कितनी दिलकश थीं हमारी यादें, मैं उन्हें भी दुःख-दर्द दे बैठा। अब उनके दिन कहाँ ख़ुशी के हैं, तकिया-चादर भीगा मैं कर बैठा। दर्द-ओ-ग़म से निकलना मुश्किल है, कैसी मुसीबत में उन्हें डाल बैठा। कैसे कह दूं कि वो भी खुश होंगी, उनकी रातों को तन्हा मैं कर बैठा। ©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_quotes ये कैसा प्यार मैं कर बैठा, उनकी नज़रों में खुद को गिरा बैठा। अब तो रातें तन्हा ही कटती हैं, सुकून ये इश्क़ भी गवां बैठा।
#sad_quotes ये कैसा प्यार मैं कर बैठा, उनकी नज़रों में खुद को गिरा बैठा। अब तो रातें तन्हा ही कटती हैं, सुकून ये इश्क़ भी गवां बैठा।
read morePoet Kuldeep Singh Ruhela
Unsplash ओढ़कर चादर कोहरे की देखो जनवरी आ गई प्यार के उमंगों को जवान बनाने की देखो आज घड़ी आ गई ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #snow ओढ़कर चादर कोहरे की देखो जनवरी आ गई प्यार के उमंगों को जवान बनाने की देखो आज घड़ी आ गई
#snow ओढ़कर चादर कोहरे की देखो जनवरी आ गई प्यार के उमंगों को जवान बनाने की देखो आज घड़ी आ गई
read moreAnjali Singhal
Unsplash "तेरी यादों को चैन कहाँ! इश्क़ की चादर ओढ़े, चली आईं शीत लहरों के संग यहाँ। सुलगा रही हैं दिल में मेरे कोई दर्द नया।।" ©Anjali Singhal "तेरी यादों को चैन कहाँ! इश्क़ की चादर ओढ़े, चली आईं शीत लहरों के संग यहाँ। सुलगा रही हैं दिल में मेरे कोई दर्द नया।।" #sad #dard #whatsapp
theABHAYSINGH_BIPIN
White बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा, गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा। भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी, तकिए के ओट में चादर भिगो रही होगी। कितने अरमानों को सजाया था दिल ने, दोनों दिलों में अधूरी मोहब्बत दम तोड़ रही है। उठ रहे हैं दिल में ना जाने कितने सवाल, दो जवां दिलों में ख्वाहिशें दफ़्न हो रही हैं। रोशन हो रही थी मुहब्बत चंद की रोशनी में, यह कैसी घड़ी है जहां उम्मीदें बिखर रही हैं। परवान चढ़ने पर था ख्वाबों सा मुंतजिर, जैसे चांद से चकोर अलग हो रही है। ©theABHAYSINGH_BIPIN #good_night बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा, गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा। भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी, तकिए के ओट मे
#good_night बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा, गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा। भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी, तकिए के ओट मे
read moreParasram Arora
Unsplash मन अगर संवेदबमनाओ के संवेनद से भरा हो तों अनर्थ क़ी झड़ मे से भी अर्थ डुंडा जा सकता है ©Parasram Arora अर्थ अनर्थ
अर्थ अनर्थ
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे हैं, सर्दी ने रोका हर काम। हिम्मत भी थरथर कांप उठी, लिपटे हम गर्म चादर में। उठकर मुंह धुलना भी दुश्वार है, किसने बर्फ डाल दी पानी में? कौन है जो यूं कहर ढा रहा, पूरे गांव को कैद किया है घर में? राह अंधेरी, जमी हुई है, थोड़ी उम्मीद बची है मन में। चलता हूं बस सहारे इसके, जो दिख रहा टॉर्च की रोशनी में। शिथिल पड़े हैं मेरे जज्बात, आलस ने ले लिया गिरफ्त में। यह कैसा दिन, एक पल न सुहा, सिकुड़ा पड़ा हूं एक चादर में। हर कदम जैसे थम सा रहा, जीवन को ढो रहा धुंध में। क्या कभी सूरज की रौशनी लौटेगी, या मैं यूं ही खो जाऊं रजाई में? ©theABHAYSINGH_BIPIN #coldwinter कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे
#coldwinter कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे
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