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Ek villain
जीवन का कोई क्षेत्र हो प्रस्थान बिंदु होता है और अवसान बिंदु भी जहां प्रस्थान बिंदु किसी कार्य के प्रारंभ के प्रति केवाई अवसान उसकी सफलता का किंतु अवसान बिंदु की सफलता प्रस्थान बिंदु की प्रकृति पर निर्भर करता है इसलिए मानव जीवन में प्रस्थान बिंदु और उसके निर्धारित तत्वों का महत्वपूर्ण स्थान है जीवन यात्रा के विभिन्न चरणों में इस के निर्धारक तत्व से ही जीवन की दिशा और दशा तय होती है जीवन प्रयत्न बच्चे पर माता-पिता एवं परिवार के सदस्यों का प्रभाव रहता है बालिकाएं में उनके द्वारा स्थापित संस्कार बच्चे के भविष्य के स्वरूप रेखा सुनिश्चित कर देते हैं ©Ek villain जीवन के प्रस्थान बिंदु #alone
बद्दज़ुबान_writer__✍️
ज़िन्दगी रास्ता है जनाब, जिसकी कोई मंज़िल नही.....! प्रस्थान....!
Pushpendra Pankaj
समाज मे कुछ लोग आपको बुरा तो कुछ आपको सही भी कहते हैं, यह सब पर लागू होता है । अतः मात्र स्वयं को ही दोषी नहीं मान । समाज की संरचना ही ऐसी है । पुष्पेन्द्र पंकज ©Pushpendra Pankaj विचार बिंदु
Parasram Arora
शब्दों से जुडी है कविता जैसे. नींद से जुड़ा है ख्वाब जैसे साँसे जुडी है जिंदगी से जैसे वैसे ही मैं जुड़ा हूँ तुमसे और तुम मुझसे इस जुड़ाव बिंदु पर कोई तो है जो जोड़े रखता है हमेँ एक दूसरे से कदाचित वो प्रेम का सम्पुट हो या फिर हमारे विश्वासों का उल्लास या फिर रात्रि के अभिसार का कोई प्रणय गीत जो हमारे अस्तित्व क़ो बरकरार ऱखने के लिए और एक दूसरे से जोड़े ऱखने के लिए. तत्पर हो ©Parasram Arora जुड़ाव बिंदु
अरविंद राव
दो जिस्म ओर वो बिस्तर फिर भी हैं फ़ासले यूँ हमबिस्तर होना है जोड़ मात्र एक होता अगर संयोंग ये जिस्मों का मिलना तो जुड़ती रूह ना होते बोझिल और धुंधले से ये सम्बंधो के फ़ासले बहुत कुछ है अब क्षितिज की बिंदुरेखा सा इक तेरे मेरे दरमियाँ।। ©Arbind #क्षितिज बिंदु
Pushpendra Pankaj
विचार बिंदु संबंध की डोर बहुत महीन होती है जिसके दोनों छोर विश्वास नामक पेंचों से कसे होते हैं ।किसी भी पेच के ढीले होने से डोरी का ढीली होना स्वाभाविक है । पुष्पेन्द्र " पंकज " ©Pushpendra Pankaj विचार बिंदु
Parasram Arora
अनुभव की धरोहर धूप की गरमाहट से पिघल कर पसीने का निर्माण करती रही मै जानता था यही दंश एक न एक दिन मेरे रूपांतरण का केंद्र बिंदु बनेगा ©Parasram Arora केंद्र बिंदु