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- @छोटे हार्दिक
मैं कलम भी,कार भी, हाँ कलमकार हूँ..... मैं स्याह भी, क्लांत भी, हाँ स्याक्लांत हूँ..... मैं तोल भी, मोल भी, हाँ तोलमोल हूँ...... मैं कल भी,नहीं भी, हाँ कलनहीं हूँ.....।। मैं अग्नि भी, पथ भी, हाँ अग्निपथ हूँ.... मैं अग्नि भी, शमन भी, हाँ अग्निशमन हूँ..... मैं वायु भी,यान भी हाँ वायुयान हूँ.... मैं जल भी,कर भी, हाँ जलकर हूँ.... मैं अव भी, तरण भी, हाँ अवतरण हूँ.... मैं रस भी, पान भी, हाँ रसपान हूँ..... मैं यम भी, राज भी, हाँ यमराज हूँ..... मैं अंत भी,मृत्यु भी, हाँ अंतमृत्यु हूँ.... मैं मृत्यु भी, लोक भी, हाँ मृत्युलोक हूँ......।। ✍️✍️हार्दिक महाजन ©hardik Mahajan मैं कलम भी,कार भी, हाँ कलमकार हूँ..... मैं स्याह भी, क्लांत भी, हाँ स्याक्लांत हूँ..... मैं तोल भी, मोल भी, हाँ तोलमोल हूँ...... मैं कल भी,न
मैं कलम भी,कार भी, हाँ कलमकार हूँ..... मैं स्याह भी, क्लांत भी, हाँ स्याक्लांत हूँ..... मैं तोल भी, मोल भी, हाँ तोलमोल हूँ...... मैं कल भी,न #Poetry
read moreRagini sharma
White यह नाजुक मासूम कोमल ना समझना हम स्त्री हैं जिस भी रूप को चाहे उस रूप में ढल सकते है । ©Ragini sharma #स्त्री
Harpinder Kaur
White मिठास में मैं ताज़ा हूँ फलों का मैं राजा हूँ हा! मैं "आम" होकर भी बड़ा खास हूँ मैं सब से मीठा कहता हूँ सब संग मैं चटपटा भी रहता हूँ मुझसे लदे डाल शाख पर जब बैठने,कोयल आ जाती है अपने संगीत के स्वरों में वो मिठास मुझे से पाती है जब किसी बाग में लगा देख मुझे बच्चे फूला न समाते हैं तब मुख से चटकारे भर मेरे सपनों में खो जाते हैं जब खोखल कर मेरी गुट्ठली का सीटी कोई बजाता है उसकी सीटी पर फिर मेरा अंग अंग थिरक जाता है जब हो कोई त्योहार घरों में मेरे पत्तों की तोरन फिर बनाते हैं पूजा में मुझे साथी बना धन्य मुझे कर जाते हैं सबकी थाली में सजकर थाली को चार चाँद लगाता हूँ फिर राजा बनकर मैं "आम" से खास हो जाता हूँ ©Harpinder Kaur # मैं " आम" से खास हूँ......
# मैं " आम" से खास हूँ...... #Poetry
read moreSonam kuril
स्त्री सोचती हुँ,इस जिंदगी के, मायने क्या है, मेरे अपने,मुझे समझाते,मेरे दायरे क्या है, हर वक़्त रहता एक सवाल ज़हन में, स्त्री होने के आखिर फायदे क्या है, सोचती हुँ, इस जिंदगी के, मायने क्या है | सूरज चढ़ता, दिन ढलता, बस यूँ ही वक़्त सी मैं ढलती जाती, कुछ ठहरा सा लगता है, वो बस मेरे जज्बातों का दरिया है, मैं रोज लगाती गोते जिसमें, कभी हसती,कभी मैं रोती, दिन रात मैं खुद से लड़ती रहती, छोड़ दिया हमने जिनके लिए सपने अपने, वो स्त्री के अहमियत क्यों नहीं समझते, ना समझ सी मैं, ना जानती ये समाज का चेहरा क्या है, ना जानती की स्त्री के दायरे क्या है, मेरे होने के आखिर मायने क्या है | ©Sonam kuril #मायने #mayne #jindgi #स्त्री #स्त्रीअस्तित्व #स्त्रीजीवन #Nojoto #hindi_poetry #Hindi #कविता
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read morePyari si Aahat
White मैं ख़ामोशी हूँ तेरे मन की तू अनकहा अलफ़ाज़ मेरा मैं एक उलझा लम्हा हूँ तू रूठा हुआ हालात मेरा ©सत्यमेव जयते मैं ख़ामोशी हूँ
मैं ख़ामोशी हूँ #Shayari
read moreVED PRAKASH 73
वो स्वतंत्र थी तो कैद की गई वो सीधी थी तो सताई गई वो उन्मुक्त थी तो चरित्रहीन कहलाई... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #स्त्री
DR. LAVKESH GANDHI
White LAVKESH GANDHI ©DR. LAVKESH GANDHI #Buraee # #मैं बुरा हूँ #
Buraee # मैं बुरा हूँ #
read morePoetry-Meri Diary Se
White मैं वही इंसान हूँ, जों आईने जैसा हैँ! प्यार दिखाओगे तो प्यार पाओगे, नफ़रत दिखाओगे तो जल जाओगे! ©ABi Aman #nightthoughts मैं वही इंसान हूँ @#
#nightthoughts मैं वही इंसान हूँ @#
read moreDR. LAVKESH GANDHI
जिंदगी मैं अपनी ही जिंदगी में मैं अपने हाथों से खुद आग लगा बैठा हूँ फिर क्यों आज रोता हूँ,बिलखता हूँ फिर क्यों दुनियाँ के सामने मैं नादान बनता हूँ छोड़ कर दूर वापस भाग आया हूँ मैं फिर आज इस संसार में ढूंँढता हूँ इधर-उधर क्यों कोई विकल्प नहीं है दूसरा कोई जान कर भी अपनी जिंदगी में आग लगा बैठा हूँ ©DR. LAVKESH GANDHI #Mankadahan # #नासमझ हूँ मैं #
Mankadahan # नासमझ हूँ मैं #
read moreKiran Chaudhary
खुद हैरान हूँ मैं, अपने सब्र का पैमाना देख कर, तूने याद भी ना किया और मैंने इंतज़ार नहीं छोड़ा। ©Kiran Chaudhary खुद हैरान हूँ मैं..
खुद हैरान हूँ मैं.. #शायरी
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