Find the Latest Status about उड़ाएंगे नाटक गुलाबी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, उड़ाएंगे नाटक गुलाबी.
Rahul Yadav
तुम्हारी वो नजरें गुलाबी गुलाबी, वो उड़ती हुई जुल्फें हैं जैसे शराबी, वो गालों की नरमी गुलाबी गुलाबी, लचकती कमर चाल जैसे नवाबी, माथे की बिंदिया गुलाबी गुलाबी, है बालों में गुड़हल गुलाबी गुलाबी, सजी जैसे दुल्हन का जोड़ा गुलाबी, इतनी है चंचल चपलता लिए, राजा का जैसे हो घोड़ा गुलाबी मेहँदी से हाथों का कोना गुलाबी, माहवार से पैरों का होना गुलाबी, इतना गुलाबी गुलाबी गुलाबी, वो है, गुलाबी या हम हैं गुलाबी, लगता है पूरा ही तन है गुलाबी। साथ ही है दोनों का मन भी गुलाबी ©Rahul Yadav # गुलाबी गुलाबी #nojohindi
Vrishali G
जीवनाच्या नाटकात सहभाग सगळ्यांचा असतो पण आपली भुमिका नाही वठली तर सारा तमाशा होऊन जातो नाटक
Arora PR
स्वप्नलोको के प्रलोबन मुझे कभी सममोहित नहीं कर सकते क्योकि मैं हर स्वप्न कोबन्द आँखों का नाटक ही समझता हूँ ©Arora PR नाटक
Vandana
हृदय में बेसब्री सी रहती है कि जल्दी से चारदीवारी के बाहर निकलू,,, कहीं भोर की बेला छूट न जाए वह मनोरम अनुपम दृश्य रह न जाए,,, जब सूरज आने से पहले नभ हल्का का लालिमा युक्त दिखाई देता है,,, हल्की अंधेरे की चादर ओढ़े रहती है चारों तरफ मलयज पवन बहती है मंत्रमुग्ध करती है चितवन को,,, चारों तरफ जीवंत प्रकृति का आनंद लू,,, हंसी सुबह गुलाबी,, शहर गुलाबी,,,गुलाबी कलीयां,,, गुलाबी नगर फूल गुलाबी,,,हौंट गुलाबी,,,लब्ज गुलाबी,,,रुखसार भी गुलाबी,,,, तेरे ख्याल भी गुल
अज़नबी किताब
नाटक.. रंगमंच... कलाकार... कला... दर्शक.. कुछ ऐसा हुआ, में रंगमंच पे खड़ी थी, और मेरी कला मेरा हाथ थामे | दर्शक मेरी कला से मुझे पहचानते थे.. क्या खूब कला थी, खुदा की देख हुआ करती थी | एक बार बोली बात, में जमी को ख़त्म हो ने पर भी निभाती थी, कला थी.. वचन निभाने की, नाटक बन गयी.. रंगमंच पे उस खुदा के, में आज एक कटपुतली बन गयी... वचन निभाती नहीं, ऐसा सुना है मेने, दर्शकों से | क्या कहु, कला खो गयी, पर ये कला उनके लिए कायम है, जो सही में आज भी वचन को समझते है | कला खुदा की देन होती है, खुदा भी ख़ुश होते होंगे मेरे वचन ना निभाने से.. -अज़नबी किताब नाटक..
Babli BhatiBaisla
झूठे और ओछे मक्कार महात्मा को कोई नहीं पूछता काले पड़ गए मैले मनको को कोई नहीं पूजता आर्यो की धरती पर शास्त्रों का ऊंचा स्थान है भारत मां के शास्त्रियों की विश्व में अलग पहचान है लाल बहादुर शास्त्री हो या धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री दोनों ने साबित कर दिखाया गरीबी नहीं पिछाड़ती महानता में पिछड़ जाते हैं धनाढ्य भी नीयत से बहुत मूर्ख लगते हैं भूख हड़ताल का नाटक करते हष्ट-पुष्ट काटा है लम्बा सफ़र आंखें मूंद कर अनपढ बहुत थे पढ़ कर समझ गए सभी जयचंद और शकुनि कौन थे बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla नाटक