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santosh dutt pandey
जो न हो सदा के लिए वो इश्क़ नहीं, मसौदा है ©santosh dutt pandey मसौदा
Neophyte
ये चेहरा,ये जुल्फ़े, ये जिस्म,ये खुशबू,ये सादगी,ये सलीका,ये मुस्कान और हर तरीका इरादा कत्ल का ना हो तो पर्दा करलो तुम्हारी चौखट,तुम्हारा सज़दा,तुम्ही से आस और तुम्ही से मिन्नत तुम खुद को मेरा ख़ुदा करलो बड़े रंग भरने है ज़िन्दगी में तुम्हारे कोई पुराना रंग हो तो उसे सादा करलो कुछ कह कर मुझे तुम छोड़ गई थी इल्तेज़ा है अपने लब्ज़ आधा करलो सोचते रहना ज़िन्दगी में इश्क़ के नफ़ा-नुकसान मेरी खुशी के लिए अभी मसौदा करलो किसका डर,किसकी हया,कौन है अपना यहाँ तुम बस मुझे अपना बनाने का इरादा करलो बाकी जन्मो का क्या,मैं तुम्हे फिर ढूँढ लूंगा तुम बस इस जन्म साथ निभाने का वादा करलो ©क्षत्रियंकेश मसौदा!
Diwan G
कि जिंदगी में कुछ यूँ मसौदा होता है, यारो यहाँ हर चीज का सौदा होता है। कि इश्क़ भी अछूता नहीं तिजारत से, दिल के बदले दिल का सौदा होता है। ©Diwan G #तिजारत #इश्क #सौदा #मसौदा #माहर_हिंदीशायर #अछूता
Sajal preet
दुआएं और मिन्नतें सब बेकार सीं लगती हैं, तेरी ये नजदीकियां मुझे प्यार सी लगती हैं। सारी रात मसौदा बनता है,चैट पर तुझसे तेरी कुछ ख्वाहिशें मुझे करार सी लगती हैं। #cinemagraph मसौदा- Draft करार- Agreement #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqhindi #yqlove #ekrajhu
Pushpendra Pankaj
लिखो सदा प्रत्यक्ष लिखो, बंधकर नहीं ,निष्पक्ष लिखो । लोकतंत्र के हम सब प्रहरी, खुलकर अपना पक्ष लिखो ।। पुष्पेन्द्र पंकज ©Pushpendra Pankaj निष्पक्ष लेखन मर्यादित लेखन
Gurudeen Verma
शीर्षक - यही तो जिंदगी का सच है ---------------------------------------------------- सबको पता है और यह सत्य है कि, पहली आवश्यकता है आदमी की, रोटी, कपड़ा और मकान, और इन्हीं के लिए वह, करता है दिनरात इतनी भागदौड़, और बहाता है अपना खून- पसीना, करता है पाप और अनैतिकता भी, जीने को वह सुख- शान्ति से।। भूल जाता है वह, अपनी मंजिल तक पहुंचने में, अपने परिचितों के चेहरे और नाम तक, याद तक नहीं आते हैं उसको, अपने गम और दर्द तक, तोड़कर सभी से अपना रिश्ता वह, जीना चाहता है अकेला होकर, और जी.आज़ाद बनकर वह।। नहीं रहता उसको कुछ भी मतलब, अपने परिचितों और परिवार से, और इसी तरह चला जाता है वह, अंत में अपने सम्बन्ध सभी से तोड़कर, बहुत दूर अपने किसी संसार में, लेकिन वहाँ भी उसको नहीं होता है, किसी से कोई मतलब,प्यार और रिश्ता, यही तो जिंदगी का सच है।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #लेखन
Manmohan Dheer
कोई शब्द वर्जित नही मेरे लिए मैं भाषा को भाषा ही देखता हूँ उपजा प्रयोग हो रहा है प्रचलित अपने लेखन में स्थान देखता हूँ वैसे भी व्याख्या तो तुम ही करोगे मैं तो स्वयं को संवाहक देखता हूँ निर्लज्ज नही चूंकि उत्पादक नही मैं लेखन में भाषा ही देखता हूँ समाज है दोषी जो वर्जित हुए वे मैं तो बस उनमें अर्थ देखता हूँ . धीर लेखन
Rameshwar Yadav
मैं गैरों से जीतकर एक अपनो से हार गया लगा जैसे मैं अपने सपनों से ही हार गया बहुत गुरुर था मुझे उसके होने का जिसकी बातें मुझे अंदर से मार गई लेखन
Abhit khudarvi
#OpenPoetry बात वही है लिखने में बस आप डिक्शनरी से लिख के तीन को सात बना देते है ओर हम हालातो से लिख के शब्द को भी ज़ज़्बात बना देते है। #लेखन