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Swati kashyap
सभ्यता और असभ्यता के मध्य मात्र लज्जा ही बलि चढ़ी.... ©Swati kashyap #लज्जा
Amit Singhal "Aseemit"
सुंदरता, शालीनता, सौम्यता और लज्जा, इनसे ही स्त्री के रूप एवं व्यवहार की सज्जा। जब चारों गुण होते हैं आदर्श स्त्री के अंदर, तब उसका जीवन बन जाता विशाल समंदर। ©Amit Singhal "Aseemit" #लज्जा
RAVINANDAN Tiwari
लज्जा कुपथ की सबसे बड़ी शत्रु है ! -मुंशी प्रेमचंद # लज्जा कच्ची सड़क
राजेश गुप्ता'बादल'
#RIPPriyankaReddy राख के ढेर से भी चीख़ते हैं सबाल मेरे, आखिर क्यूं जल रहे इस कदर ख़्वाब मेरे। आखिर मैं भी तो हूं हृदय स्पंदन किसी का, आंखों का नीर किसी का दरवाजे टिका इंतजार किसी का। सोचते हो छुप जाओगे नोचकर रूह बच जाओगे, गुजरी हूं जिस दर्द से मैं उसी दर्द में तुम भी इक दिन छटपटाओगे। आज जो टूटी है आशा की माला किसी की ख़ाक में मिली जो है निरपराध बाला किसी की, रहो चुप आज फिर तुम हर बार की तरह नींद तो तब टूटेगी तुम्हारी जब उजाडेगी घर तुम्हारा भी हैवानियत भरी हाला किसी की। #दरद #चीख #हैवानियत #लज्जा
Shashi Bhushan Mishra
परिधानों से लाज ढाँपती नज़रों में छुप जाती थी, लज्जा बसती थी आँखों में मन ही मन सकुचाती थी, पर्दे के पीछे का सच भी डर की जद में सिमटा था, लोक लाज के डर से नारी अक्सर चुप रह जाती थी, बचपन का वो अल्हड़पन दहलीज जवानी की चढते, खेतों की मेड़ों पर चलती इठलाती बलखाती थी, सावन में मदमस्त नदी सी चली उफनती राह कभी, देख आईने में ख़ुद को नटखट कितनी शर्माती थी, प्रेम और विश्वास अडिग वादे थे जीने मरने के, रूप सलोना फूलों सा कितनी सुंदर कद-काठी थी, माँ बाबूजी भैया भाभी सबके मन में रची-बसी, सखियों के संग हँसी ठिठोली मिलने से घबराती थी, भावुक हृदय सुकोमल काया मन से भोली थी 'गुंजन', बात-बात पर नखरे शोखी नयन अश्रु छलकाती थी, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ •प्र • ©Shashi Bhushan Mishra #लज्जा बसती थी आँखों में#
Diwan G
रात भर इक चाँद का साया रहा, कि बनके वह मेरा हमसाया रहा। मैंने दीदार किया अपने चाँद का, मेरा चाँद मुझसे ही लज्जाया रहा। ©Diwan G #साया #हमसाया #चाँद #दीदार #लज्जा
ताजदार
वो कहते हैं कि धृष्ट हो गया हूं मैं क्या करूं मोहब्बत दुर्दांत हो गयी है मोहब्बत हद से ज़्यादा बढ़ गई है। तभी शायद बेशर्म हो गया हूं मैं।। धृष्ट - लज्जारहित दुर्दांत - बेकाबू #लज्जारहित #बेकाबू #collabwithme #y