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शुभम सोनी (बुंदेला)
मायके ने जाओ मोरी गुइयां तुमाय बिना जी जो लागत नईयां जबसें चलीं गईं गोरी तुम जो अपने मायकें राशन बड़ा गओ अब बियारी बने काय कें अरे आटो दार कछु नईयां तुमाय बिना जी जो लागत नईयां मोड़ा मोड़ी फिर रय हैं भिनके से गांव में काम नई बड़ा रओ लगे पंखा हैं पांव में दिन भर है मच रईं फिरकइयां तुमाय बिना जी जो लागत नईयां भेसों को गोबर और झारा बटोरी सब डरो है करबे जो कैसे मचो री कर कर कें फट गई परदनिया तुमाय बिना जी जो लागत नईयां रो रय बुंदेला जा उसार को कर है काम घरवारी को ओई सें समर है चले सुसरारे बनकें सईयां और लयाये घरवारी टांगे कईयां तुमाय बिना जी जो लागत नईयां मायके ने जाओ मोरी गुइयां तुमाय बिना जी जो लागत नईयां #बुंदेला #लोकगीत
Sunil K Bundela
Mere Likhe Har Alfaz Sangeet Ki Dhun Ho Jaenge Kabhi Akele Me Gour Se Sunana Kya Likha Tha Maine Tumhare RanzoGum Sab Gum Ho Jaenge ©Sunil K Bundela अल्फ़ाज़ / सुनील के बुंदेला
Manish Shrivastava
लोकगीत तोरी कोमल जुवानी, तुतरयानी | जेठ जमके परो, देखो मछरयानी || होंठ तोरे लाल-लाल, गोरे थे गाल-गाल | 2 भरी दुपहरिया, नजरयानी | जेठ जमके परो, हो गई भुतरयानी || लगन लगीं देखो, कजरयानी |2 जेठ जमके परो, देखो मछरयानी || कारे-कारे गुदना परे, गोरे -गोरे गाल पे | कैसी हो गई है, देखो गुदरयानी | जेठ जमके परो, देखो मछरयानी || लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) गैरतगंज मो.9009247220 ©Manish Shrivastava लोकगीत
रौशन कुमार प्रिय
मोहन नंदलाल "बरसाने"वन आयो मोहन नंदलाल बरसाने वन आयो अहो बरसाने की गुंजरिया दधिया बेचे जाए, वाट मिले बनवारी हो,"कर" लियो बोलाय , "कर" लियो बोलय बैठ कदम के छइयां रे "दोना" बनवाय,दोना - दोना दधी बांटे हो दधी दियो लुटाय ,दधी दियो लुटाय ताहि समय हरि आयो मोहन नंदलाल बरसाने वन आयो....२ होली न खेले श्यामरो, आपन ससुरार भर पिचकारी मारे हो, रंग उरे गुलाल, रंग उरे गुलाल बेला फुले चमेला , जूही कंचनार , फुलवा लोरहे मलिनिया हो, गूथे नंदलाल, गूथे नंदलाल माला पिन्हे कन्हैया हो जसोदा जी के लाल जसोदा जी के लाल ताहि समय हरि आयो मोहन नंदलाल बरसाने बन आयो-२ हो ऊपर पहाड़ गरमोहवा , हो ऊपर पहाड़ गरमोहवा, हो नीचे बरय दुकान, बरय नय कतरय पनमा रस बीड़ा लगाय, रस बीड़ा लगाय बीड़ा न खा हय कन्हैया जसोदा जी के लाल , जसोदा जी के लाल ताहि समय हरि आयो मोहन नंद लाल बरसाने वन आयो तबला बजे मंजीरा , हो तबला बजे मंजीरा ढोलक धुधूआय ,बाजे सरंगिया रोंय रोंय हो रस बजे सितार, रस बाजे सितार ताहि समय हरी आयो मोहन ननंद लाल बरसाने वन आयो मोहन नंद लाल बरसाने वन आयो #लोकगीत