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Creative Parsur
Madhav Jha
यात्रा ही केवल लेखक का होना तय नही करता। पूर्णतः मन का विचार केवल साहित्य पर निर्भर नही। एक दृष्टीकोण से ये सही है मगर लेखक अपने मन का प्रतिनिधि है। एक साहित्यकार और एक गंवार दोनो ही लेखक हो सकते हैं। केवल उनमें मन के भाव का उद्गम होना उनके परिस्थिति और समय के अनुसार जन्म लेता या मिट जाता है। अब.. घट ही पट है और पट ही घट है। ये सिद्धान्त के अनुसार अगर एक घड़ा ही कपड़ा है तो आश्चर्य है कैसे। एक घड़ा मिट्टी का अंश है। वहीं एक कपड़ा जो उसी मिट्टी से कपास के द्वारा बना वह भी मिट्टी है। जैसे एक शरीर मिट्टी है, मरणोपरांत जब भस्मविभूषित होता है तो बचती केवल मिट्टी है। सार्विक तातपर्य है कारण और उसके करण। ऐसे ही लेखक है जो मन से उपजता है और अथाह है। एक लेखक का परिचय
changed choubey
खुशमिज़ाज़ शायर हूँ सारा गम फेक आया हूँ, आज फिर उसके मोहहले से खिड़की पर देख आया हूँ।। ©two_liner_pro #Love #परिचय #story #हिंदी
roshan
आना है तॊ आ जाना है तो जा.... घुटने पे बैठके तुम्हे मनाना मुझे शोभा देगा क्या? पानी का नही नाम साब्जी को नही दाम बता गोल्डन नेकलेस तुम्हे दिलाऊ कैसे? कुवा सुख गया है नदी नाला रुख गया है बता तेरे प्यार मे शलांग लगाऊ कैसे? आना है तो आ जाना है तो जा.... बेजान सहै पत्थर पर बिना कुछ चडाये बता मान्नत मे तुझे उसीसे मांगु कैसे? भावनिक मै बहोत हू दिल मे तुम्हेहीं रखता हू पानी बचाते बचाते बता आसू अंखोसे बहाऊ कैसे? आना है तो आ जाना है तो जा..... ....रोशन देसाई.... 12/02/20 इन हिंदी
Vishal Charan
Sabra kar mere bhai udenge lekin Waqt per ©Vishal Charan शायरी इन हिंदी ,#shyari
rk_के_अल्फाज
बचपन में.... घर के सामने एक नीम का पेड़ हुआ करता था,जहाँ पुराने किसी साइकिल के टायर को नीम पर चढ़ किसी डाल के सहारे एक झूला बनाया करते थे और बारी-बारी सब....... 15-15 झूले से झूला झूलते थे अब भले ही जीवन में कितनी आलीशान, आरामदायक चीजे मिल रही है मग़र..... मेरे लिए आज भी.....उससे बेहतर कोई आलीशान,आरामदायक चीज नही है ।। ©rk_के_अल्फाज #Childhood #बचपन #हिंदी #लेखक
Prachi Sharma
शूरवीर दोहराते है काठ बने पुतले क्या ही शौर्य बूझ पाते है ©Prachi Sharma #oneliner #हिंदी_कोट्स_शायरी फर्स्ट पोस्ट इन हिंदी इन नोजोटो
Neelima Thakur
मजहब के नाम पर,कभी रंगों के नाम पर कभी जाति के नाम पर ,कभी संगी के नाम पर, बाँट देती है सियासत, आदमियत को कई नाम पर पर होश न खोना मेरे बन्धु, तू इतना जान ले, ये जो वतन है तेरा,इसे जरूरत है तेरी ये लोकतंत्र है जो चल रहा वोट से तेरी कुछ भी करना नही ऐसे ही किसी के दावँ पर जब भी लगे उँगली पर वो काल निशान वोट का, कुछ और याद आये ना तो उस वक़्त बस ईमान को याद कर, वोट दे जब भी अपना बस देना तिरंगे को देख कर जय हिंद जय भारत।।।। तिरंगे को देखकर#हिंदी लेखक#हिंदी#neelima#पोएट्री