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Cricket
Dhanraj Gamare
kckfkfjfjfjfjfjfjfjfjfjfjfjfjfjfjfjfjf ©Dhanraj Gamare जेवढ्या जागतिक संस्था बघत आहेत इच्छुकांचे फोन आले पाहिजेत कारण मला ७ वर्ष मी कारभार बघितला तुमचा फक्त थातुर मातुर काम करण्यात आले मी सर्व बघ
वंदना ....
Dharminder Dhiman
अक्षर तो चाहे डाई ही हैं, मगर ताकत पूरी वर्णमाला की है.? Heart That Writes (HTW) के इस प्रॉम्पट पर कोलैब करें प्यार शब्दों में...... ▪️अनिवार्य हैशटैग: #HeartThatWrites #HTW_प्यारशब्दोंमें #HTW_Hi
Simant Sharma
स्कूल के वो दिन याद हैं मुझे याद हैं वो सारे लम्हें, दिन और साल आज भी और फिर कभी ना लौट आने वाला ज़माना याद हैं!! ( पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़िए ) रोज़ सुबह खिलें चेहरों से स्कूल जाना याद है स्कूल पहुँच कर दोस्तों से गप्पे लड़ाना याद है याद है वो क्लास बंक कर के बाहर चले जाना वो बचपन की
Kulbhushan Arora
मेरी इच्छा है, इस किताब को लिख कर, यहीं पोस्ट करने की *प्रश्नचिन्ह*????? प्लीज़ बिना पढ़े लाइक ना करें, लाइक करें तो कमेंट भी करें मुझे सुधारने में सहयोग मिलेगा🙏🏼🙏🏼 प्रस्तुत है इसकी शुरुआत.... प्रश्न चिन्ह?????????? चारों तरफ डर का माहौल, मास्क के पीछे छिपे चेहरे,माथे पे पड़े बल,आंखों में प्रश्न ,शंकित म
Kulbhushan Arora
प्रश्न चिन्ह?????? प्रश्नों के उत्तर भी जब प्रश्न बन के आने लगें ज़िंदगी प्रश्नचिन्ह हो के रह जाती है— % & प्रश्न चिन्ह?????????? चारों तरफ डर का माहौल, मास्क के पीछे छिपे चेहरे,माथे पे पड़े बल,आंखों में प्रश्न ,शंकित माहौल जिसमें जीना भी मुश्किल
Mahima Jain
•| ग़ज़ल |• दिल से मेरा सलाम (कविता अनुशीर्षक में) "यह ग़ज़ल उन सभी को समर्पित है जो खुद से ऊपर देश को मानते है।" जिस धरती पर हम जन्में हैं उसकी रक्षा खातिर लाखों वीर तैनात है आज स्वंतत्रता
Mahima Jain
•| स्कूल के "वो" दिन फिर वापस नहीं मिलते |• ( कविता कैप्शन में।) \\ स्कूल के वो दिन फिर वापस नहीं मिलते // जब मौका था तब जेल समझा, आज़ाद हुए तब दुनिया का खेल समझा, जिस तरह मुरझाए फूल फिर नहीं खिलते, उसी त
Sarita Shreyasi
रात को अकेले में पौधा सोचता रहा, जिसदिन राजू जीत कर उसे लाया था, राजू के साथ पौधा भी खुश था कि राजू ने उसे जीता है, उस दूसरे बच्चे के पास अपना घर भी नहीं था, वह ले जाता तो कुछ दिन बाद कहीं छोड़ ही देता। पर आज उसे महसूस हो रहा था कि गमले में उपेक्षित पड़े रहने से, बिना किसी के ध्यान के कुदरत के रख-रखाव में, वह अपनी जमीन पर ही अच्छा था। न किसी एक की राह तकता, न उपेक्षित महसूस करता। (Read in Caption) विद्यालय में सभी बच्चों को एक काम मिला, एक पौधा बाहर से लाकर अपने घर में लगाना था। राजू ने घर आते ही माँ को बताया और बोला कि कल मैं प्ले ग्र