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Stories related to चार दिन से बीमार रहा

अपर्णा विजय

#चार लोग

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White कौन है यह चार लोग 
जो  कि सवाल बहुत करते हैं 
हर एक की जिंदगी में ,बवाल बहुत करते हैं 
बिन पोथी के ही ये ज्ञानी सारा ज्ञान रखते हैं
सही गलत के क़ायदों की ये तो खान रखते हैं 
न जाने कितने ही ख्वाबों को ये निगल जाते हैं
और कहते हैं हम तो अपने काम से काम रखते हैं
कहीं शहनाई हो या किसी की अंतिम विदाई हो 
ये तो अपनी ज़बान को  व्यस्त  सरेआम रखते हैं
और कहते हैं कि हम बस अपने काम से काम रखते हैं

©अपर्णा विजय #चार लोग

Parasram Arora

चार दिनों क़ी जिंदगी

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White चार दिनों क़ी 
जिंदगी मे से 
दो दिन तों हमने 
हँसरे खेलते किसी 
तरह गुज़ार दिए 

अब बचे खुचे बाकि 
के दो दिन कैसे गुजरेँगे? 
उनका मुस्तकबिल क्या होगा? 
मै क्या कोई भी नही जानता
मेरे खुदा के सिवाय

©Parasram Arora चार दिनों क़ी जिंदगी

@Amarjeet Kumar shaksena

एक दिन सब जीतकर मृत्यु से हार जाना है

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White ##मन अब प्रेम से ज्यादा,

नौकरी के लिए चिंतित है...!!

Aspirants boy..railway junior clerk

©@Amarjeet Kumar shaksena एक दिन सब जीतकर मृत्यु से हार जाना है

Praveen Jain "पल्लव"

#sad_quotes खुद की गलत नीतियों से आज झुलस रहा है

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White पल्लव की डायरी
उतर गये कितनी गहरी खाई में
दोहन प्रकृति का कर डाला है
अविष्कारों के नाम पर भौतिकता बढ़ गयी
जीवन को संकट में डाला है
ऋतुएँ ने अपनी पहचान छोड़ दी
मौसम मर्यादा छोड़ रहे है
केलोफोनिया आग की लपटों में सिमट गया
तबाही का मंजर दिख रहा है
दुनिया पर पर्यावरण का टेरिफ लगाने वाला आका
खुद की गलत नीतियों से आज झुलस रहा है
                                                प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes खुद की गलत नीतियों से आज झुलस रहा है

महेन्द्र सिंह (माही)

#love_shayari कुछ दिन रोक लिया.. खुद को coll और message करने सेतबपता घला कि ये रिश्ता मेरे चलाने से ही चल रहा है.

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White कुछ दिन रोक लिया..
खुद को coll और message करने से तब पता
चला कि ये रिश्ता मेरे चलाने से ही चल रहा है....

©महेन्द्र सिंह (माही) #love_shayari कुछ दिन रोक लिया..
खुद को coll और message करने सेतबपता
घला कि ये रिश्ता मेरे चलाने से ही चल रहा है.

ranjit Kumar rathour

चंद दिन प्यार से

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ज़ब भी गुजरता हूँ बहक जाता हुँ 
तेरी गली से गुजरते ही महक जाता हुँ 
फिर पूरा सफर खोया रहता हुँ 
सोचता तुझको ही ऐसा होता 
वैसा होता.. कैसा कैसा होता 
मंज़िल तक पहुंच जाता हुँ 
तुझे ऐसा कुछ नहीं होता न 
या फिर बदल गए हो तुम 
आजकल निकलते नहीं घर से
मै हर उम्मीद से ठहर गुजर जाता हुँ 
जो सच बदल गयी तो 
यक़ीनन मै सम्हल जाऊंगा 
जो पल गुजरा उसे सहेज 
आगे निकल जाऊंगा 
सोचूंगा जो मिला वो कम तो नहीं 
वरना कहा मिलता है कोई 
चंद दिन ही सही इतने प्यार से

©ranjit Kumar rathour चंद दिन प्यार से

F M POETRY

#मेरी आँखों से दरिया बह रहा है....

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset हर इक झोंका हवा का कह रहा है..
कोई तो है जो दिल में रह रहा है..

जो दिल में है वही दिल तोड़ता है..
मेरी आँखों से दरिया बह रहा है..


यूसुफ़ आर खान....

©F M POETRY #मेरी आँखों से दरिया बह रहा है....

RJ VAIRAGYA

#rjharshsharma #rjvairagyasharma #jaunelia ❤️जिस दिन उस से बात हुई थी उस दिन भी बे-कैफ़ था मैं जिस दिन उस का ख़त आया है उस दिन भी वीरानी थी

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Unsplash जिस दिन उस से बात हुई थी उस दिन भी बे-कैफ़ था मैं
जिस दिन उस का ख़त आया है उस दिन भी वीरानी थी

©RJ VAIRAGYA #rjharshsharma #rjvairagyasharma #jaunelia 
❤️जिस दिन उस से बात हुई थी उस दिन भी बे-कैफ़ था मैं
जिस दिन उस का ख़त आया है उस दिन भी वीरानी थी

Kiran Chaudhary

वक्त अपनी रफ्तार से निकल रहा है.. #SunSet

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset वक़्त अपनी रफ्तार से निकल रहा है,
मगर मैं एक ही जगह स्तब्ध हूँ।।

©Kiran Chaudhary वक्त अपनी रफ्तार से निकल रहा है..
#SunSet

Shashi Bhushan Mishra

#दिन निकलता जा रहा#

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आज, कल, परसों पे  टलता जा रहा,
साईं पल-पल दिन निकलता जा रहा,

तैरने   वाले   गये   उस  पार   कबके,
कुछ  किनारे   हाथ  मलता   जा रहा,

भूलने   वाले   भुला    बैठे   अदावत,
टीसने   वाले   को   खलता   जा रहा,

जम   गई   है    बर्फ़   सी   संवेदनाएं,
वेदना   से    ग़म   पिघलता   जा रहा,

कोई   बच  पाया  नहीं  इस  काल से,
समय  की  चक्की में  दलता  जा रहा,

संभलकर  ही   कर्म  करना  जगत में,
भाग्य  बनकर  बीज  फलता  जा रहा,

ज्ञान दीपक  से मिटे  अंधियार 'गुंजन',
हृदय  में  सुख-शांति  पलता  जा रहा,
  ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
           प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra #दिन निकलता जा रहा#
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